एक मूर्ख ऊंट की कहानी जिसके दोस्तों ने की दगा//वासुदेव दर्शन//
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मूर्ख ऊंट पंचतंत्र की कहानी | murkh unt Panchtantra ki kahani in Hindi
एक ऊंट और उसका बच्चा जंगल में भटक रहे थे। एक शेर, सियार और भेड़िए कि नजर उन पर पड़ी। उन्होंने ऊंट को मारकर खा लिया। शेर को बच्चे पर दया आ गई और उसने उसे छोड़ दिया। ऊंट का बच्चा उन तीनों के साथ ही रहने लगा और बड़ा हो गया। वह शेर का सलाहकार बन गया। एक बार शेर बीमार पड़ गया और शिकार करने में असमर्थ हो गया।
धूर्त सियार ऊंट के पास गया और उससे बोला, “प्यारे ऊंट। तुम्हें खुद को शेर को शॉप देना चाहिए ताकि वह अपनी भूख शांत कर सके। इससे तुम्हें पुण्य मिलेगा और अगले जन्म में तुम दुगने ताकतवर पैदा होगे।”
मूर्ख ऊंट उसकी बातों में आ गया। वह शेर के पास गया और खुद को पेश किया। शेर भूख से व्याकुल था। उसने ऊंट को मार दिया। फिर सियार ने शेर से कहा, “आपको ऊंट को खाने से पहले स्नान करके भगवान को धन्यवाद देना चाहिए ताकि आपका अगला जन्म खुशियों से भरा हुआ हो।”
शेर को सियार का सुझाव पसंद आया और वह नहाने के लिए चला गया।
इस बार सियार ने भेड़िए को भड़काया और बोला, “तुम ऊंट को थोड़ा सा खा सकते हो। मैं शेर से कुछ नहीं कहूंगा।”
लालच में आकर भेड़िए ने ऊंट के शरीर में अपने दांत गड़ाए ही थे कि शेर वापस आ गया। शेर को देखकर सियार चिल्लाया, “मैंने तुम्हें कितना मना किया कि ऊंट को शेर से पहले मत खाओ, पर तुम माने ही नहीं।”
आतंकित भेड़िया वहां से तुरंत भाग खड़ा हुआ।
तभी वहां से ऊंटों का एक कारवां गुजरा। सियार उनको देखकर शेर से बोला, “यह कारवां तो भगवान का भेजा हुआ है, महाराज! वे आपसे नाराज हो गए हैं क्योंकि आपने ऊंट को वक्त से पहले ही मार दिया। आपको तुरंत यहां से भाग जाना चाहिए।”
शेर को भागते हुए देख सियार जोरो से हंसा। फिर उसने सारे ऊंट को अकेले ही खाया।
नैतिक शिक्षा :– हमें धूर्त लोगों का साथ छोड़ देना चाहिए।
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