राजा और कुम्हार |पंचतंत्र की कहानी: कुम्हार की कथा | The Potter Story In Hindi | aakarsit kahaniya|
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raja aur kumhar Panchtantra ki kahani in Hindi
एक कुम्हार टूटे हुए मटके पर गिर गया और उसके माथे पर चोट लग गई। घाव इतना गहरा था कि उसके माथे पर एक बड़ा सा निशान बन गया।
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कुछ दिनों बाद कुम्हार कुछ सिपाहियों के साथ दूसरे राज्य में चला गया। उस राज्य के राजा ने जब उसके माथे पर वह निशान देखा तो यह समझ बैठा कि यह किसी युद्ध में लगा घाव का निशान है और कुम्हार एक वीर योद्धा है।
राजा ने उस कुमार को अपनी सेना का सेनापति बना दिया। कुछ दिनों बाद पड़ोसी राज्य ने उस राज्य पर हमला कर दिया। राजा ने देखा कि नया सेनापति युद्ध में जाने के नाम से कांप रहा है। राजा ने उससे पूछा, “बताओ यह घाव का निशान तुम्हारे माथे पर कैसे पड़ा?”
कुम्हार ने उस घाव की सच्ची कहानी राजा को सुना दी। फिर वह गिड़गिड़ाते हुए राजा से बोला, “कृपया मुझे आपकी तरफ से युद्ध पर जाने दे।”
राजा ने जवाब दिया, “मैं तुमसे नाराज नहीं हूं। पर तुम सैनिक नहीं हो। मैं तुम्हें युद्ध में जाने की अनुमति नहीं दे सकता।”
कुम्हार अपने गांव वापस चला गया।
नैतिक शिक्षा :– किसी व्यक्ति को उसके चेहरे से नहीं परखना चाहिए।
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