इंद्र देव का तोता पंचतंत्र की कहानी | indra dev ka tota Panchtantra ki kahani in Hindi
एक बार इंद्रदेव अपने सिंहासन पर बैठे थे और अपने तोते से बात कर रहे थे। तभी वहां यमराज आए।यमराज को देखकर इंद्रदेव का तोता भय से कांपने लगा। इंद्रदेव ने यमराज से उनके तोते को जीवन दान देने के लिए कहा।
यमराज ने कहा, “यह मेरा फैसला नहीं है इंद्रदेव। आप भाग्य की देवी से बात करिए।”
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वह सभी भाग्य की देवी के पास गए। देवी ने उनकी बात सुनी और बोली, “क्षमा करिएगा इंद्रदेव पर यह मेरा फैसला नहीं है आप स्वयं मृत्यु से बात करिए।”
फिर वह सभी मृत्यु के पास गए ताकि उससे तोते की जान बचाने के लिए बात कर सके। पर जैसे ही मौत ने तोते को देखा, तोते का निधन हो गया।
सभी देवताओं ने तोते की मौत का शोक मनाया।
यमराज ने कहा, “मृत्यु से कोई नहीं बच सकता। यह अटल सत्य है।”
नैतिक शिक्षा :– विधि के विधान को कोई नहीं टाल सकता।
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