मूर्ख गधा और शेर – Moorkh Gadha aur Sher | Panchatantra Moral Stories in Hindi
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murkh gadha aur sher Panchtantra ki kahani in Hindi
एक बार एक बूढ़े शेर और हाथी में लड़ाई हो गई जिसमें शेर बुरी तरह घायल हो गया। स्वयं शिकार करने में असमर्थ होने के कारण, शेर ने सियार से कहा की वह उसके लिए कोई जानवर खोज कर लाए।
सियार जंगल में घूम रहा था। तभी उसे एक गधा घास चरते हुए दिखा।
सियार उसके पास जाकर बोला, “प्यारे गधे! तुम इतने पतले क्यों हो गए हो?”
गधे ने जवाब दिया, “मेरा मालिक मुझे पेट भर खाना नहीं देता। इस कारण वश में जंगल में आकर घास चरता हूं।”
सियार ने उसे सुझाव दिया कि वह उसके साथ जंगल के उस हिस्से में चले जहां ज्यादा घास है। मूर्ख गधा मान गया और सियार के साथ चल दिया। शेर उसको देख कर प्रफुल्लित हो गया। उसने गधे के ऊपर छलांग लगा दी पर गधा भाग गया।
सियार को शेर पर बहुत गुस्सा आया और उसने शेर को अगली बार थोड़ा धैर्य रखने को कहा। सियार गधे के पीछे भागा।
सियार ने चतुरता से बोला, “अरे तुम इस तरह भागे क्यों हो? वह जानवर जो तुम पर कूदा था वह एक गधी थी जो तुम्हें देखकर बहुत खुश हो गई थी।”
गधे को उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ। सियार फिर बोला, “तुम ही सोचो अगर कोई शेर तुम पर हमला करता तो क्या तुम जिंदा होते? चलो, अब मेरे साथ आओ।” मूर्ख गधा सियार पर विश्वास करके फिर उसके साथ चल दिया।
इस बार शेर चुपके से आया और गधे को मार दिया। शेर ने सियार को शव की रखवाली करने को कहा। ताकि वह नदी में स्नान करके आ सके। सियार भूखा था तो उसने गधे का दिमाग खा लिया।
जब शेर वापस आया तो वह क्रोधित हुआ। सियार ने उसे समझाते हुए कहा, “अगर गधे में दिमाग होता तो क्या आपके हमला करने पर वह दोबारा आता?”
शेर उसकी बात से सहमत हो गया और दोनों ने गधे का भोजन किया।
नैतिक शिक्षा :– कठिन परिस्थितियों से निकलने के लिए बुद्धि का उपयोग करें।
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