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पंडित की बकरी | pandit ki bakri Panchtantra ki kahani in Hindi
पुराने समय की बात है। एक पंडित अग्नि देव की पूजा करता था। एक दिन उसके एक जजमान ने उसे एक मोटी बकरी भेंट में दी। पंडित ने बकरी को अपने कंधे पर उठाया और अपने घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में जब वह जंगल से गुजर रहा था, तीन चोरों की नजर उस बकरी पर पड़ी।

एक चोर बोला, “अगर हमें यह बकरी मिल जाए, तो आज हम दावत उड़ाएंगे।”
तीन चोरों ने मिलकर यह तय किया कि वे पंडित को ठग कर उसकी बकरी छीन लेंगे।
पहला चोर पंडित के पास गया और बोला, “इस मैले कुत्ते को अपने कंधे पर रखकर कहां जा रहे हो, पंडित जी।”
पंडित चिड़कर बोला, “यह कुत्ता नहीं बकरी है। मैं इसे अपने घर ले जा रहा हूं, मूर्ख।”
पंडित आगे अपने घर के लिए चल पड़ा। अब दूसरा चोर उसके पास आया और बोला, “पंडित जी, आप एक मरे हुए बछड़े को कंधे पर उठाकर क्यों घूम रहे हो?”
इस बार पंडित बोला, “मुझे समझ नहीं आ रहा तुम इसे मृत बछड़ा क्यों बोल रहे हो? यह तो बकरी है।”
पंडित आगे बढ़ा। थोड़ी दूरी पर उसे तीसरा चोर मिला। वह पंडित से बोला, “इस बंदर को अपने कंधे पर उठाकर तुमने अपने धर्म का अपमान किया है।”
अब पंडित थोड़ा घबरा गया। असमंजस कि स्थिती मैं उसने सोचा, “तीनों में से एक भी व्यक्ति ने यह नहीं कहा कि मैं बकरी को लेकर जा रहा हूं। कहीं यह कोई बहरूपिया राक्षस तो नहीं।”
पंडित डर गया। डर के मारे उसने बकरी को वही फेंका, और अपने घर की ओर भागा। तीनों चोर ठहाका लगाते हुए वहां आए और बकरी को लेकर चले गए।
नैतिक शिक्षा :– दूसरों की बातों में आकर अपना नुकसान ना करें।
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