हाथी और खरगोश की कहानी || Hathi aur khargosh ki kahani || Animated Moral story for kids- OPEN MIND
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हाथी और खरगोश पंचतंत्र की कहानी | hathi aur khargosh Panchtantra ki kahani in Hindi
एक बार खरगोशों का समुदाय एक झील के किनारे की नरम मिट्टी में बिल बनाकर रहने लगा। एक दिन हाथियों का एक झुंड वहां आया। झील को देखकर हाथी बहुत खुश हुए और उन्होंने झील के किनारे झील के पानी में खूब मस्ती की। दुर्भाग्य से अपनी इस मस्ती में उन्होंने अनजाने में कई खरगोशों को अपने पैरों के नीचे कुचल दिया। बाकी खरगोश अपनी जान बचाकर भागे।

हाथियों के जाने के बाद सभी खरगोश विचार विमर्श के लिए इकट्ठा हुए। एक खरगोश बोला, “हमें तुरंत इस जगह को छोड़कर कहीं दूर चले जाना चाहिए।”
खरगोशों के राजा ने अपनी असहमति जताई और कहा, “इस जगह की खोज पहले हमने की थी। बिना कोई कोशिश किए, यहां से हमें नहीं जाना चाहिए। मेरे पास हाथियों को भगाने का एक उपाय है।”
अगली रात जब हाथी आए तो वह खरगोश झील के किनारे एक चट्टान पर चढ़ गया और जोर से चिल्लाकर बोला, “धूर्त राजा, रुको! यह झील चंद्र देव की संपत्ति है। वह तुमसे बहुत नाराज है क्योंकि तुमने कल कई खरगोशों को घायल किया। कितने खरगोशों को तुमने अपने पैरों तले कुचला। मैं भगवान चांद का दूत हूं। उन्होंने तुम्हारे झुंड को यहां आने से प्रतिबंधित किया है।”
हाथियों के राजा ने कहा, “अगर सच में तुम भगवान के दूत हो तो तुम्हे जरूर पता होगा चंद्रदेव कहां है!?”
खरगोश हाथियों के राजा को झील के एक कोने में लेकर गया और पानी में चांद की परछाई दिखा कर बोला, “वह स्वयं यहां आए हैं ताकि वे मृतकों के परिवार को सांत्वना दे सके।”
हाथियों के राजा ने चांद की परछाई का अभिवादन किया और अपने झुंड को लेकर वहां से चला गया।
नैतिक शिक्षा :– मुसीबत का सामना सूझबूझ से करना चाहिए।
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