चोर का बलिदान | Hindi Moral Story | Spiritual TV
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chor ka balidan Panchtantra ki kahani in Hindi
एक चोर को पता चला कि तीन अमीर ब्राह्मण एक शहर से दूसरे शहर यात्रा कर रहे हैं। वह वेष बदलकर उनसे मिला और उनके साथ यात्रा में शामिल हो गया।
वक्त के साथ उसने उन ब्राह्मणों का विश्वास जीत लिया। तीनों ब्राह्मण उसे अपने साथ दूसरे शहर ले चलने के लिए तैयार हो गए। अपने धन से उन्होंने कुछ रत्न खरीदें।
अपनी जांघों को काटकर उन्होंने रत्नों को महा छुपा लिया ताकि रास्ते में उन्हें कोई चुरा ना ले। चोर को उनका यह राज पता था।
उसने योजना बनाएं कि वे उन तीनों को जहर देकर मार देगा और फिर रत्नों को चुरा लेगा। जब वे लोग जंगल से गुजर रहे थे, कुछ आदिवासी आए और वे उन सभी को बंदी बना लिया और वे उन सबको अपने सरदार के पास ले गए। आदिवासियों के सरदार के कंधे पर एक कौवा बैठा था।
सरदार बोला, “इनकी तलाशी लो!”
आदिवासियों ने उन ब्राह्मण के तलाशी ली पर उन्हें कुछ नहीं मिला। सरदार ने अपने कौवे की तरह देखा।
“इनके पास खजाना है!” कौवा चिल्लाया।
ब्राह्मणों ने सरदार से विनती की, “हम बहुत गरीब यात्री हैं जो एक शहर से दूसरे शहर रोजगार के लिए यात्रा करते हैं। हमारे पास कोई खजाना नहीं है”
“मेरा कौवा कभी झूठ नहीं बोलता। तुम लोग झूठ बोल रहे हो। हो सकता है तुमने रत्न निगल लिया हो। हम तुम्हें मार देंगे और फिर तुम्हें चीर कर सारे रत्न निकाल लेंगे।”
चोर ने सोचा, “अगर यह लोग किसी भी ब्राह्मण को मार कर उनकी तलाशी लेंगे तो इन्हें रतन मिल जाएंगे और फिर मेरा यह यकीन नहीं करेंगे और मुझे भी मार देंगे।”
ऐसा सोचकर वह आगे बढ़ा और सरदार से बोला, “तुम्हें हम पर यकीन नहीं तो मुझे मार कर देख लो। हम सभी को मारने से तुम्हें कोई फायदा नहीं होगा।”
सरदार मान गया और उसने चोर को मार दिया। आदिवासियों को उसके शरीर में कुछ नहीं मिला।
सरदार ने माफी मांग कर तीनों ब्राह्मणों को छोड़ दिया। चोर ने अपने प्राणों की बलि देकर ब्राह्मणों को बचा लिया।
नैतिक शिक्षा :– बेवकूफ दोस्त से समझदार दुश्मन अच्छा है।
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