कबूतर और बहेलिया | Hindi Moral Stories For Kids | Hindi Story
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कबूतर और बहेलिया पंचतंत्र की कहानी | kabutar aur baheliya Panchtantra ki kahani in Hindi
एक बार कबूतरों का एक झुंड आकाश में उड़ रहा था तभी उन्होंने देखा कि जमीन पर एक जगह चावल के बहुत सारे दाने पड़े हुए थे। कबूतर उधर जाने लगे तो कबूतरों के सरदार ने उन्हें रोकते हुए कहा, “यह कोई चाल है। वरना इस तरह जमीन पर चावल कौन फेकता है?”
कबूतरो ने उसके बात अनसुनी कर दी और जमीन पर उतर के चावल खाने लगे। जब वह चावल खा रहे थे तभी उनके ऊपर एक जाल गिरा। वह जब उस जाल में फंस गए। घबराहट में वह एक दूसरे को दोष देने लगे। बहेलिया इतने कबूतरों को फसा देखकर खुश हो रहा था। वह एक बड़ा झोला लेने अपने घर की ओर चल पड़ा।
कबूतरों का सरदार बोला, “आपस में झगड़ने और घबराने से कुछ नहीं होगा। अगर तुम लोग मेरी बात मानो तो मेरे पास सब की जान बचाने का एक उपाय है।”
तुम सभी जाल का एक हिस्सा अपनी सोच में दबा लो। फिर हम सब लोग संतुलन बनाकर एक साथ जाल को लेकर उड़ जाएंगे।”
सभी कबूतर ने ऐसा ही किया और जाल के साथ उड़ चले। बहेलिया यह देख कर दंग रह गया। वह कुछ दूर तक कबूतरों के पीछे पीछे भागा पर उन्हें पकड़ नहीं सका।
उड़ते उड़ते सभी कबूतर एक चट्टान पर पहुंचे वहां पहुंचकर सरदार बोला, “यही उत्तर जाओ सभी। यहां मेरा एक दोस्त रहता है। वह हमारी मदद करेगा।”
कबूतरों को देखकर एक चूहा अपने बिल से बाहर आया। उसे देखकर कबूतरों का सरदार बोला, “मेरे दोस्त, क्या तुम हमें इस जाल से आजाद कर सकते हो?”
चूहे ने तुरंत जाल को कुतर दिया। सभी कबूतरों ने चूहे को धन्यवाद दिया और उड़ गए।
नैतिक शिक्षा :– एकता में बल है।