ललिता माता की आरती – lalita mata ki aarti video
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Maa Lalita aarti lyrics in Hindi
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी।
राजेश्वरी जय नमो नमः॥
करुणामयी सकल अघ हारिणी।
अमृत वर्षिणी नमो नमः॥
जय शरणं वरणं नमो नमः।
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी॥
अशुभ विनाशिनी, सब सुख दायिनी।
खल-दल नाशिनी नमो नमः॥
भण्डासुर वधकारिणी जय माँ।
करुणा कलिते नमो नम:॥
जय शरणं वरणं नमो नमः।
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी॥
भव भय हारिणी, कष्ट निवारिणी।
शरण गति दो नमो नमः॥
शिव भामिनी साधक मन हारिणी।
आदि शक्ति जय नमो नमः॥
जय शरणं वरणं नमो नमः।
जय त्रिपुर सुन्दरी नमो नमः॥
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी।
राजेश्वरी जय नमो नमः॥
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श्री ललिता जयंती | Sri Lalita Jayanti | Lalita Jayanti | Lalita Devi Jayanti | Lalita Devi Festival
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मां ललिता दस देवियों मे से हैं
त्रिपुरा सुंदरी दस देवियों मे से है। इन्हें महा त्रिपुर सुंद, षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेक्ष्वरी तथा राजराजेक्ष्वरी भी कहते हैं। वे दस महाविधाओं मे सबसे प्रमुख देवी हैं।
मां के चार कर दर्शाए गए हैं, चारों हाथों में पाश, अंकुश, धनुष और बाण सुसोभित हैं। देवी भागवत में ये कहा गाय है, वर देने के लिए सदा- सर्वदा तत्पर भगवती मां का श्रीविग्रह सौम्य और ह्रदय दया से पूर्ण है। जो इनका आश्रय लेते है, उन्हे इनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इनकी महिमा अवर्णनीय है।
संसार के समस्त तंत्र- मंत्र इनकी अरादना करते हैं। प्रसन्न होने पर ये भक्तों को अमूल्य निधिंया प्रदान कर देती हैं।
एक बार पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा, “भगवन” आपके द्वारा वर्णित तंत्र शास्त्र की साधना से जीव के आधि- व्यादि, शोक, संताप, दीनता- हीनता तो दूर हो जआंगे, किंतु गर्भवास और मरण के असह्रा दुख की निवृति और नोक्ष पद की प्राप्ति का कोई सरल उपाय बताइये। तबपार्वती जी के कहने पर शिव ने त्रिपुरा सुंदरी श्री विधा साधना- प्रणाली को प्रकट किया।
मां काली का रक्तवर्णा रूप हैं। काली के दो रूप कृष्णवर्णा और रक्तवर्णा हैं। त्रिपुरा धन, ऐश्वर्य, भोग और मोक्ष की अधिष्ठानी देवी हैं। इससे पहले की महाविधाओं में कोई भोग तो कोई मोक्ष मे विशेष प्रभावी हैं, लेकिन यह देवी समान रूप से दोनों ही प्रदान करती है।
Aarti
Reference-
24 August 2020, lalita mata ki aarti, wikipedia