- Aarti Bhairav Baba Ki || Suno Ji Bhairav Ladle – सुनो जी भैरव लाडले || FULL VIDEO #Ambey
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- Bhairav Aarti Lyrics In Hindi PDF Download – श्री भैरव आरती
- भैरव की उत्पत्ति तथा आठ रूपों की पौराणिक कथा || Kaal Bhairav || Video Kalash
- संक्षिप्त काल भैरव कथा
- Aarti
Aarti Bhairav Baba Ki || Suno Ji Bhairav Ladle – सुनो जी भैरव लाडले || FULL VIDEO #Ambey
Bhairav Aarti Lyrics In Hindi
॥ श्री भैरव आरती ॥
सुनो जी भैरव लाडले,कर जोड़ कर विनती करूँ।
कृपा तुम्हारी चाहिए,मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ।
मैं चरण छुता आपके,अर्जी मेरी सुन लीजिये॥
सुनो जी भैरव लाडले॥
मैं हूँ मति का मन्द,मेरी कुछ मदद तो कीजिये।
महिमा तुम्हारी बहुत,कुछ थोड़ी सी मैं वर्णन करूँ॥
सुनो जी भैरव लाडले॥
करते सवारी स्वान की,चारों दिशा में राज्य है।
जितने भूत और प्रेत,सबके आप ही सरताज हैं॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
हथियार हैं जो आपके,उसका क्या वर्णन करूँ।
माता जी के सामने तुम,नृत्य भी करते सदा॥
सुनो जी भैरव लाडले॥
गा गा के गुण अनुवाद से,उनको रिझाते हो सदा।
एक सांकली है आपकी,तारीफ उसकी क्या करूँ॥
सुनो जी भैरव लाडले॥
बहुत सी महिमा तुम्हारी,मेंहदीपुर सरनाम है।
आते जगत के यात्री,बजरंग का स्थान है॥
सुनो जी भैरव लाडले॥
श्री प्रेतराज सरकार के,मैं शीश चरणों में धरूँ।
निशदिन तुम्हारे खेल से,माताजी खुश रहें॥
सुनो जी भैरव लाडले॥
सिर पर तुम्हारे हाथ रख कर,आशीर्वाद देती रहें।
कर जोड़ कर विनती करूँ,अरु शीश चरणों में धरूँ॥
सुनो जी भैरव लाडले॥
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Bhairav Aarti Lyrics Image
Bhairav Aarti Lyrics In Hindi PDF Download – श्री भैरव आरती
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भैरव की उत्पत्ति तथा आठ रूपों की पौराणिक कथा || Kaal Bhairav || Video Kalash
काल भैरव रूप शिव का एक रूप है, यह रूप ऐसा है कि इससे काल भी डरता है, काल जो खुद मृत्यु, अंत और डर है। भैरव भय पर विजय हासिल करने वाला है। जो भी भगवान शिव के काल भैरव रूप की उपासना करता है उसे मृत्यु का बिल्कुल भी भय नही रहता है तथा उसको जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं।
शिव के रूप काल भैरव का जन्म मार्ग शीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा करने से रोगों से भी मुक्ति मिलती है।
संक्षिप्त काल भैरव कथा
किसी बात को लेकर एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश मे श्रेष्ठता को लेकर बहस हो गई। तब सभी देवताओं को बुलाकर उनसे राय ली गई कि कौन सबसे श्रेष्ठ है। सभी ने अपनी- अपनी राय दी जिससे विष्णु जी और शिव जी भगवान तो सहमत हो गए लेकिन ब्रह्मा जी नाराज़ होकर शिव जी को अप शब्द कहने लगे।
ब्रह्मा जी की बातों से क्रोधित होकर शिव जी ने अपने भैरव रूप का अवतरण किया। भैरव अवतार का वाहन काला कुत्ता होता है। इनके एक अवतार मे छड़ी होती है। शिव जी के भैरव रूप को महाकालेश्वर भी कहा जाता है।
भैरव रूप ने गुस्से मे आकर ब्रह्मा जी के पांच मुखों मे से एक को काट कर अलग कर दिया तभी से ब्रह्मा जी के चार मुख हैं। ब्रह्मा जी ने शिव जी से क्षमा मांगी तब शिवजी अपने असल रूप मे आए लेकिन भैरव पर ब्रह्रम हत्या का पाप लगा जिसके लिए उन्हे दंड भी भुगतना पड़ा।