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- Shri Mehandipur Balaji Ki Paawan Gatha/ katha By KUMAR VISHU I Full Audio Song I Art Track
- बालाजी का इतिहास
- Aarti
स्पेशल बाला जी की आरती video | Special Bala Ji Ki Aarti | RamKumar Lakkha | Hanuman Bhajan | Bhajan Kirtan
स्पेशल बाला जी की आरती lyrics | Special BalaJi Aarti lyrics
॥ श्री बालाजी आरती ॥
ॐ जय हनुमत वीरा स्वामी जय हनुमत वीरा।
संकट मोचन स्वामीतुम हो रणधीरा॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
पवन-पुत्र-अंजनी-सुतमहिमा अति भारी।
दुःख दरिद्र मिटाओसंकट सब हारी॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
बाल समय में तुमनेरवि को भक्ष लियो।
देवन स्तुति कीन्हीतब ही छोड़ दियो॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
कपि सुग्रीव राम संगमैत्री करवाई।
बाली बली मरायकपीसहिं गद्दी दिलवाई॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
जारि लंक को ले सिय कीसुधि वानर हर्षाये।
कारज कठिन सुधारेरघुवर मन भाये॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
शक्ति लगी लक्ष्मण केभारी सोच भयो।
लाय संजीवन बूटीदुःख सब दूर कियो॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
ले पाताल अहिरावणजबहि पैठि गयो।
ताहि मारि प्रभु लायेजय जयकार भयो॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
घाटे मेहंदीपुर मेंशोभित दर्शन अति भारी।
मंगल और शनिश्चरमेला है जारी॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
श्री बालाजी की आरतीजो कोई नर गावे।
कहत इन्द्र हर्षितमन वांछित फल पावे॥
ॐ जय हनुमत वीरा…॥
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Shri Mehandipur Balaji Ki Paawan Gatha/ katha By KUMAR VISHU I Full Audio Song I Art Track
हनुमान जी को शिव जी का एक रूप ही माना जाता है। हनुमान जी बाल ब्रह्म चारी हैं। श्री रामभक्त, रूद् अवतार सूर्य- शिष्य, वायु- पुत्र, केसरी नंदन, श्री बालाजी के नाम से प्रसिध्द श्री हनुमान जी समूचे भारत वर्ष में पूजे जाते है। माता अंजनि के गर्भ से प्रकट हनुमान जी में पाँच देवताओं का तेज समाहित है।
बल और बुद्धि के प्रतीक हनुमान जी राम और जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। अतुलनीय बलशाली होने के फलस्वरूप इन्हें बालाजी की संज्ञा दी गई है। सभी भक्त अपनी- अपनी श्रध्दा के अनुसार देवी- देवताओं की उपासना करते हैं।
बालाजी का इतिहास
शुरुआत मे यहां घोर बीहड़ जंगल था। चारों तरफ फैली हुई घनी झाड़ियों में जंगली जानवरों का बसेरा था। श्री मंहत जी महाराज के पूर्वज को स्वप्न आया और स्वप्न में ही वे उठ कर चल दिए। इसी बीच उन्होने एक विचित्र लीला देखी।
एक ओर से हजारों दीपक चलते आ रहे हैं, हाथी, घोडे की आवाज़े और एक बहुत बड़ी फौज आ रही है। इसमे बालाजी महाराज की मूर्ति की तीन प्रदक्षिणाएं की और फौज के प्रधान ने नीचे उतरकर दंदवत प्रणाम किया और चले गए।
तभी यह सब देखकर गोसाई जी महाराज चकित हो गए, और डरकर वापिस अपने गांव चले गए। उन्हे बार- बार आवाज आई-“मेरी सेवा का भार ग्रहण करो मैं अपनी लीलाओं का विस्तार करूगां” अन्त मे हनुमान जी ने स्वंय दर्शन दिए और पूजा का आग्रह किया।
गोसाई जी ने सब लोगों के साथ मिलकर वहां बालाजी महाराज की एक छोटी सी तिवारी बना दी और फिर वहां पूजा अर्चना की जाने लगी। हनुमान जी राम जी के भक्त थे और राम जी भी हनुमान को बहुत मानते थे दोनो का प्रेम अटूट था, सभी इनकी पूजा अर्चना करते हैं।