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shri ganga ji ki aarti in video – गंगा माता की आरती – Shri Gangaji ki Aarti
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aarti shri gangaji ki lyrics – श्री गंगाजी की आरती
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥
ॐ जय गंगे माता॥
चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता॥
ॐ जय गंगे माता॥
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता॥
ॐ जय गंगे माता॥
एक बार जो प्राणी,शरण तेरी आता।
यम की त्रास मिटाकर,परमगति पाता॥
ॐ जय गंगे माता॥
आरती मातु तुम्हारी,जो नर नित गाता।
सेवक वही सहज में,मुक्ति को पाता॥
ॐ जय गंगे माता॥
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गंगा नदी को भारतीय लोग माँ एवं देवी के रूप मे मानते हैं। भारतीयों द्वारा देवी स्वरूप इस नदी की पूजा की जाती है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी मे स्नान करने से सारे पास धुल जाते हैं। तथा जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। तीर्थ यात्री गंगा के जल मे अपने परिजनों की अस्थियों का विसर्जन करने के लिए लंबी दूरी की यात्रा तय करके आते हैं।
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गंगा का पृथ्वी पर अवतरण
ऐसा कहा जाता है कि एक राजा था उसको जादुई रूप से 60 हजार पुत्रों की प्राप्ती हो गई। एक दिन राजा सगर ने अपने साम्राज्य की समृद्धी के लिए एक अनुष्ठान करवाया था। एक अश्व उस अनुष्ठान का एक अभिन्न हिस्सा था जिसे इंद्र ने ईर्ष्यावश चुरा लिया था।
राजा ने उस अश्व को ढूंढने के लिए अपने सभी पुत्रों को पृथ्वी के चारों तरफ भेज दिया। तभी उन्हे वह पाताल लोक मे ध्यान मग्न कपिल श्रषि के पास मिला। उन्होने ऐसा सोचा की इसे कपिल श्रषि ने ही चुराया है वे मुनि का अपमान करने लगे। श्रषि ने कई वर्षों मे अपने नेत्र पहली बार खोले और राजा के बेटों को देखा, उनकी इस दृष्टि से वे सभी पुत्र जलकर भस्म हो गए।
क्योंकि उनका अंतिम संस्कार नही हुआ था इसलिए सभी की आत्माएं प्रेत बनकर विचरने लगी। तभी दिलीप के पुत्र और राजा के एक वंशज भगीरथ ने इस दुर्भाग्य के बारे मे सुना। उन्होने प्रतिज्ञा ली कि वो गंगा को पृथ्वी पर लाएंगे ताकि राजा के पुत्रों के पाप धुल सकें और उन्हे मोक्ष प्राप्त हो सके।
गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए भगीरथ ने ब्रह्मा जी की तपस्या की। तब ब्रह्मा जी के आदेश से गंगा जी पृथ्वी पर आने के लिए मान गई। गंगा को यह अपमान जनक लगा और उन्होने तय किया कि वो पूरे वेग से पृथ्वी पर गिरेंगी और बहा ले जाएंगी। फिर भगीरथ ने शिव जी से प्रार्थना कि वे गंगा के वेग को कम कर दें।
शिवजी ने उन्हे अपनी जटाओं मे बांध लिया, और उनकी धाराओं को ही बहने दिया शिवजी जी के स्पर्श से गंगा और अधिक पवित्र हो गई।
गंगा एक मात्र ऐसी नदी है जो तीनो लोकों मे बहती है स्वर्ग, पृथ्वी तथा पाताल। इसलिए गंगा को तीनो लोकों मे बहने वाली कहा जाता है।
Aarti
Reference-
10 November 2020, Shri Gangaji ki Aarti, wikipedia