- Maa Durga Aarti – दुर्गा माता आरती, video, nav durga aarti in hindi
- जय अम्बे गौरी,नवरात्रि, माता की चौकी करवा चौथ के दिन गाई जाने वाली दुर्गा माँ की प्रसिद्ध आरती।
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- मां का सुंदर स्वरूप – Jagdambe Kali Aarti
- Aarti
Maa Durga Aarti – दुर्गा माता आरती, video, nav durga aarti in hindi
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जय अम्बे गौरी,नवरात्रि, माता की चौकी करवा चौथ के दिन गाई जाने वाली दुर्गा माँ की प्रसिद्ध आरती।
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता ।
सुख संपति करता ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित,
खडग खप्पर धारी ।
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली लिरिक्स – Durga ji ki Aarti Lyrics
अम्बे तू है जगदम्बे काली,जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती,ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो माँकरके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
माँ-बेटे का है इस जग मेंबड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने हैपर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली,अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगते धन और दौलत,न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों मेंछोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली,लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी,ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँसंकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली,अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली आरती – Download PDF
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श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा नवरात्री स्पेशल- Navratri Vrat Katha, Shri Durga Navratri Vrat Katha
मां के नवरात्री की महिमा अपार है। तथा नवरात्री कथा का बहुत महत्व है। आप यह कथा वीडियो के माध्यम से सुन सकते हैं, तथा इसके अलावा आप चाहें तो इसे डाउनलॉड कर सकते हैं। नवरात्री व्रत कथा PDF Download करने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें।
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माता के सती होने की कथा – Mata Sati Ki Katha | माता सती की कथा
मां पार्वती- मां सती ही दूसरे जन्म में पार्वती के रुप में विख्यात हुई थी उन्हे ही शैलपुत्री, ब्रह्रांचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी, सिधिदात्री आदि नामों से जोड़कर देखा जाता है। जिन्हें दुर्गा, अम्बे, जगदम्बा, शेरांवाली आदि नाम से जाना जाता है।
आदि सतयुग के राजा दक्ष की पुत्री सती माता को शक्ति कहा जाता है। शिव भगवान से ही उनका नाम शक्ति है। यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह करने के कारण भी उन्हें सती कहा है। बाद में उन्होने पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती नाम इसलिए पड़ा की वह पर्वतराज की पुत्री थी।
दक्ष द्वारा किए जाने वाले एक यज्ञ में जब सती और शिव को न्यौता नहीं दिया, फिर भी माता सती शिव के मना करने के बाद भी अपने पिता के यज्ञ मे चली गईं। लेकिन दक्ष ने मां के सामने शिव जी के बारे मे अपमान जनक बातें कही जो सती मां को बिल्कुल भी सहन नही हुई और वह अग्नि कुंड मे कूद गई।
जब शिव भगवान ने यह खबर सुनी तो अपने सेनापति वीर भद्र को भेजा, जिसने दक्ष का सिर काट दिया। और दुखी मन से सती के शरीर को अपने सर पर धारण किया और क्रोधित होकर पृथ्वी पर इधर- उधर घूमते रहे। इस प्रकार जहां – जहां सती मां के शरीर के अंग और आभूषण गिरे वहां पर ही बाद मे शक्ति पीठ निर्मित किए गए।
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मां का सुंदर स्वरूप – Jagdambe Kali Aarti
अम्बे मां के एक हाथ में तलवार और दूसरे में कमल का फूल है। पितांबर वस्त्र, सिर पर मुकुट, मस्तक पर श्वेत रंग का अर्थ चंद्र तिलक और गले में मणियों- मोतियों का हार है, मां के साथ हमेशा शेर रहता है।
माता सदा अपने भक्तों पर दया करती है और उनकी रक्षा करती है। मां ने ही शुंभ- निशुंभ, महिषासुर आदि का वध अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए और पृथ्वी से पाप मिटाने के लिए किया था।
Aarti
Reference-
23 February 2021, Maa Durga Aarti, wikipedia