श्री पुरुषोत्तम आरती video,Image|Purushottam Aarti lyrics PDF Download|जय पुरुषोत्तम देवा | Jai Purushottam Deva

पुरुषोत्तम भगवान की आरती आरती उतारू म्हारा पुरुषोत्तम भगवान की . ठाकुर जी की सेवा मे .. गाय. बाड़ा मे (Video)

Purushottam Aarti

Purushottam Aarti Lyrics In Hindi

॥ श्री पुरुषोत्तम देव की आरती ॥

जय पुरुषोत्तम देवा,स्वामी जय पुरुषोत्तम देवा।
महिमा अमित तुम्हारी,सुर-मुनि करें सेवा॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

सब मासों में उत्तम,तुमको बतलाया।
कृपा हुई जब हरि की,कृष्ण रूप पाया॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

पूजा तुमको जिसनेसर्व सुक्ख दीना।
निर्मल करके काया,पाप छार कीना॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

मेधावी मुनि कन्या,महिमा जब जानी।
द्रोपदि नाम सती से,जग ने सन्मानी॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

विप्र सुदेव सेवा कर,मृत सुत पुनि पाया।
धाम हरि का पाया,यश जग में छाया॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

नृप दृढ़धन्वा पर जब,तुमने कृपा करी।
व्रतविधि नियम और पूजा,कीनी भक्ति भरी॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

शूद्र मणीग्रिव पापी,दीपदान किया।
निर्मल बुद्धि तुम करके,हरि धाम दिया॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

पुरुषोत्तम व्रत-पूजाहित चित से करते।
प्रभुदास भव नद सेसहजही वे तरते॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

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Aarti Shri Purushottam Lyrics Image

Purushottam Aarti lyrics - श्री पुरुषोत्तम  की आरती
श्री पुरुषोत्तम की आरती

Purushottam Aarti Lyrics In Hindi PDF Download – श्री पुरुषोत्तम आरती

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Purushottam Maas Mahatmya Katha Hindi 20th Chapter, पुरुषोत्तम मॉस महाम्त्य कथा अध्याय 20 Adhik Maas

श्री पुरुषोत्तम देव जी की महिमा बहुत ही महान है उनका आशीर्वाद मिलने से सभी के दुख दूर हो जाते है। श्री पुरुषोत्तम जी का व्रत एकादशी पुरुषोत्तम मास में करने का विधान है। माना जाता है, एकादशी व्रत करने से पापों का हरण करने वाली तथा मनुष्यों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है।

एक कथा के अनुसार अंवतिपुरी में शिव शर्मा नामक एक ब्राह्ण निवास करता था। उसके पांच पुत्र थे। इनमे से उनका सबसे छोटा पुत्र कई कारणों से बुरी संगत मे पड़ गया और इसलिए उसके पिता ने बुरे कर्मों के कारण उसे निकाल दिया। इसी कारण वह इधर- उधर भटकने लगा और दैवयोग से प्रयाग जा पहुँचा।

वह भूख- प्यास से परेशान होकर त्रिवेणी में स्नान करके भोजन की तलाश मे इधर- उधर भटकता हुआ हरिमित्र मुनि के आश्रम में पहुँच गया। पुरुषोत्तम मास मे बहुत सारे संत आश्रम मे एकत्रित होकर कमला एकादशी कथा का पाठ कर रहे थे वह भी पुरुषोत्तम एकादशी की कथा सुनने लगा।

रात के समय देवी लक्ष्मी ने उसे दर्शन देकर कहा कि “हे ब्राह्राण तुमने जो व्रत किया है मैं उससे बहुत प्रसन्न हूँ इसलिए तुम्हे वरदान देना चाहती हूँ।” तब देवी ने आशीर्वाद दिया और उसके सभी दुख दूर हो गए।

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