Om Jai Bhairav Deva [Full Song] – Aartiyan (Video)
Batuk Bhairav aarti lyrics
॥ श्री भैरव आरती ॥
जय भैरव देवा प्रभुजय भैरव देवा,
सुर नर मुनि सबकरते प्रभु तुम्हरी सेवा॥
ऊँ जय भैरव देवा…॥
तुम पाप उद्धारक दु:ख सिन्धु तारक,
भक्तों के सुखकारक भीषण वपु धारक॥
ऊँ जय भैरव देवा…॥
वाहन श्वान विराजतकर त्रिशूल धारी,
महिमा अमित तुम्हारीजय जय भयहारी॥
ऊँ जय भैरव देवा…॥
तुम बिन शिव सेवासफल नहीं होवे,
चतुर्वतिका दीपकदर्शन दुःख खोवे॥
ऊँ जय भैरव देवा…॥
तेल चटकि दधि मिश्रितभाषावलि तेरी,
कृपा कीजिये भैरवकरिये नहिं देरी॥
ऊँ जय भैरव देवा…॥
पाँवों घूंघरू बाजतडमरू डमकावत,
बटुकनाथ बन बालकजन मन हरषावत॥
ऊँ जय भैरव देवा…॥
बटुकनाथ की आरतीजो कोई जन गावे,
कहे धरणीधर वह नरमन वांछित फल पावे॥
ऊँ जय भैरव देवा…॥
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Batuk Bhairav Aarti Lyrics Image
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बटुक भैरव अवतार कथा | batuk bhairav avatar katha | बटुक भैरव की जन्म कथा | batuk bhairav janam katha
काल भैरव रूप शिव का एक रूप है, यह रूप ऐसा है कि इससे काल भी डरता है, काल जो खुद मृत्यु, अंत और डर है। भैरव भय पर विजय हासिल करने वाला है। जो भी भगवान शिव के काल भैरव रूप की उपासना करता है उसे मृत्यु का बिल्कुल भी भय नही रहता है तथा उसको जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं।
शिव के रूप काल भैरव का जन्म मार्ग शीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा करने से रोगों से भी मुक्ति मिलती है।
संक्षिप्त काल भैरव कथा
किसी बात को लेकर एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश मे श्रेष्ठता को लेकर बहस हो गई। तब सभी देवताओं को बुलाकर उनसे राय ली गई कि कौन सबसे श्रेष्ठ है। सभी ने अपनी- अपनी राय दी जिससे विष्णु जी और शिव जी भगवान तो सहमत हो गए लेकिन ब्रह्मा जी नाराज़ होकर शिव जी को अप शब्द कहने लगे।
ब्रह्मा जी की बातों से क्रोधित होकर शिव जी ने अपने भैरव रूप का अवतरण किया। भैरव अवतार का वाहन काला कुत्ता होता है। इनके एक अवतार मे छड़ी होती है। शिव जी के भैरव रूप को महाकालेश्वर भी कहा जाता है।
भैरव रूप ने गुस्से मे आकर ब्रह्मा जी के पांच मुखों मे से एक को काट कर अलग कर दिया तभी से ब्रह्मा जी के चार मुख हैं। ब्रह्मा जी ने शिव जी से क्षमा मांगी तब शिवजी अपने असल रूप मे आए लेकिन भैरव पर ब्रह्रम हत्या का पाप लगा जिसके लिए उन्हे दंड भी भुगतना पड़ा।