aarti tulsi mata ki video – श्री तुलसी जी की आरती
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Tulsi Mata ki aarti lyrics in hindi
जय जय तुलसी माता, सबकी सुखदाता वर माता।
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर,
रुज से रक्षा करके भव त्राता।
जय जय तुलसी माता।
बहु पुत्री है श्यामा, सूर वल्ली है ग्राम्या,
विष्णु प्रिय जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
जय जय तुलसी माता।
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित,
पतित जनों की तारिणि, तुम हो विख्याता।
जय जय तुलसी माता।
लेकर जन्म बिजन में आई दिव्य भवन में,
मानव लोक तुम्हीं से सुख सम्पत्ति पाता।
जय जय तुलसी माता।
हरि को तुम अति प्यारी श्याम वर्ण सुकुमारी,
प्रेम अजब है श्री हरि का तुम से नाता।
जय जय तुलसी माता।
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tulsi mata ki kahani video, – तुलसी माता की कथा – budhiya aur tulsi ki kahani – तुलसी माता की कहानी
शास्त्रों में कई ऐसी कहानी और कथा है जिन्हे आप सभी को जानना चाहिए. ऐसे में आज हम लेकर आए हैं आपके लिए तुलसी माता की वह कहानी जो बहुत कम लोग जानते हैं, आप इसे वीडियो मे देख सकते हैं तथा इसके साथ- साथ आप तुलसी माता की कहानी का हिंदी पीडिएफ भी डाउनलॉड कर सकते हैं।
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जालंधर से जुड़ी मां तुलसी कथा जो बहुत कम लोग जानते हैं
एक कथा के अनुसार माता तुलसी से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित है। जो जालंधर से जुड़ी हुई हैं। जो शिव रूपी था, जालंधर पार्वती को पाना चाहता था इसलिए वह पार्वती के पास शिव जी अनुपस्थिति मे गया। लेकिन माता ने अपने तेज से उसे पहचान लिया तथा वहां से देवी पार्वती अंतर्ध्यान हो गई।
मां ने क्रुद्ध होकर सारा वृतांत भगवान विष्णु को सुनाया। जालंधर की पत्नी वृंदा अत्यंत पतिव्रता स्त्री थी। उसी के पति व्रत धर्म की शक्ति से जालंधर न तो मारा जाता था। और न ही पराजित हो पाता था। इसलिए जालंधर का नाश करने के लिए वृंदा के पति व्रत धर्म को भंग करना बहुत ज़रूरी था।
तब भगवान विष्णु ऋषि का वेश धारण कर वन में जा पहुँचे, जहां वृंदा अकेली भ्रमण कर रही थीं। भगवान के साथ दो मायावी राक्षस भी थे, जिन्हे देखकर वृंदा भयभीत हो गई। ऋषि ने वृंदा के सामने पल में दोनों को भस्म कर दिया। उनकी शक्ति देखकर वृंदा ने कैलाश पर्वत पर महादेव के साथ युध्द कर रहे अपने पति जालंधर के बारे में पूछा।
ऋषि ने वृंदा के सामने पल में दोनों को भस्म कर दिया। उनकी शक्ति देखकर वृंदा ने कैलाश पर्वत पर महादेव के साथ युध्द कर रहे अपने पति जालंधर के बारे में पूछा।
ऋषि ने अपने माया जाल से दो वानर प्रकट किए और नकली जालंधर को मरा हुआ दिखाया यह देखकर वृंदा मूर्छित हो गई और होश आने पर ऋषि मुनि स उन्हे जीवित करने के लिए कहा।
अपनी माया से भगवान ने जालंधर को जीवित कर दिया लेकिन खुद भी शरीर मे प्रवेश कर गए। और फिर वृंदा जालंधर बने भगवान से पतिव्रता का व्यवहार करने लगी। जिसके कारण उसका सतीत्व भंग हो गया। और जालंधर हार गया।
जब इन सब के बारे मे वृंदा को पता चला तो उसने भगवान को शिला होने का श्राप दे दिया और स्वयं सती हो गई। जहां वृंदा भस्म हुई वहां तुलसी का पौधा उगा। विष्णु भगवान ने वृंदा से कहा कि तुम अपने सतीत्व क कारण मुझे लक्ष्मी से भी प्रिय हो गई हो अब तुम तुलसी के रूप मे सदा मेरे साथ रहोगी। इसलिए जो भी शालिग्राम रूप के साथ तुलसी का विवाह करेगा उसे लोक और परलोक में यश की प्राप्ती होगी।
Aarti
Reference-
1 August 2020, Tulsi Mata Ki Aarti, wikipedia