- Aarti Shri Gopal Ji (Lyrical Video) | आरती श्री गोपाल जी की | बाल गोपाल की आरती | Aarti Gopalji Ki
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- लड्डू गोपाल की कहानी – लड्डू गोपाल की छाती पर बने चरण चिन्ह के पीछे की कहानी -Laddu Gopal
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Aarti Shri Gopal Ji (Lyrical Video) | आरती श्री गोपाल जी की | बाल गोपाल की आरती | Aarti Gopalji Ki
Gopal Aarti Lyrics In Hindi
॥ श्री गोपाल की आरती ॥
आरती जुगल किशोर की कीजै,राधे धन न्यौछावर कीजै। x2
रवि शशि कोटि बदन की शोभा,ताहि निरखि मेरा मन लोभा।
आरती जुगल किशोर की कीजै…।
गौर श्याम मुख निरखत रीझै,प्रभु को स्वरुप नयन भर पीजै।
कंचन थार कपूर की बाती,हरि आये निर्मल भई छाती।
आरती जुगल किशोर की कीजै…।
फूलन की सेज फूलन की माला,रतन सिंहासन बैठे नन्दलाला।
मोर मुकुट कर मुरली सोहै,नटवर वेष देखि मन मोहै।
आरती जुगल किशोर की कीजै…।
आधा नील पीत पटसारी,कुञ्ज बिहारी गिरिवरधारी।
श्री पुरुषोत्तम गिरवरधारी,आरती करें सकल ब्रजनारी।
आरती जुगल किशोर की कीजै…।
नन्द लाला वृषभानु किशोरी,परमानन्द स्वामी अविचल जोरी।
आरती जुगल किशोर की कीजै,राधे धन न्यौछावर कीजै।
आरती जुगल किशोर की कीजै…।
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Gopal Aarti Lyrics In Hindi PDF Download – श्री गोपाल की आरती
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लड्डू गोपाल की कहानी – लड्डू गोपाल की छाती पर बने चरण चिन्ह के पीछे की कहानी -Laddu Gopal
श्री लड्डू गोपाल की लीला को कौन नही जानता, हर कोई उनकी साँवली सूरत का दीवाना है। लड्डू गोपाल यानी कृष्ण जी का जन्म द्वापर युद मे हुआ था। इनके कई नाम हैं जैसे- कन्हैया, केशव, गोपाल, श्याम, द्वारकाधीश, मोहन, वासुदेव आदि।
महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्री मदभगवत और महाभारत में कृष्ण भगवान के स्वरूप का विस्तृत वर्णन किया गया है। भगवान कृष्ण वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान थी जिन्होंने कंस के मथुरा कारावास मे जन्म लिया था, लेकिन उनका लालन- पालन गोकुल में हुआ था। बचपन मे यशोदा और नन्द ने उनका पालन किया था।
कृष्ण भगवान की लीला उनके बाल्य काल से ही देखने को मिलती है। बड़े होने पर उन्होने अपने मामा कंस का वध किया जो मथुरा वासियों की रक्षा और सभी के लिए अनिवार्य था। कृष्ण भगवान ने ही द्वारका नगरी की स्थापना की और वहा अपना राज्य स्थापित किया।
महाभारत में भी उन्होने धर्म की स्थापना करने के लिए अर्जुन के सारथी बन कर सहयोग निभाया और उन्हे गीता का उपदेश दिया था।
124 वर्षों के जीवन काल के बाद उन्होने अपनी लीला समाप्त की। उनके अवतार समाप्ति के तुरंत बाद परीक्षित के राज्य का काल खंड आता है राजा जो अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र तथा अर्जुन के पौत्र थे इसके बाद ही कलयुग का आरंभ होता है।