- Maa vindhyeshwari ji ki aarti video – मां विन्ध्येश्वरी जी की आरती
- Maa vindhyeshwari ji ki aarti lyrics in Hindi
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- पौराणो के अनुसार
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Maa vindhyeshwari ji ki aarti lyrics in Hindi
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनि, तेरा पार न पाया।
पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले तेरी भेंट चढ़ाया॥
जय विन्ध्येश्वरी माता॥
सुवा चोली तेरे अंग विराजै, केशर तिलक लगाया।
नंगे पांव अकबर जाकर, सोने का छत्र चढ़ाया॥
जय विन्ध्येश्वरी माता॥
ऊँचे ऊँचे पर्वत बना देवालय, नीचे शहर बसाया।
सत्युग त्रेता द्वापर मध्ये, कलयुग राज सवाया॥
जय विन्ध्येश्वरी माता॥
धूप दीप नैवेद्य आरती, मोहन भोग लगाया।
ध्यानू भगत मैया (तेरा) गुण गावैं, मन वांछित फल पाया॥
जय विन्ध्येश्वरी माता॥
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Maa Vindhyeshvari Aarti Lyrics In Hindi PDF Download – श्री विन्ध्येश्वरी आरती
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Vindhyeshvari mata ki katha PDF Download – श्री विन्ध्येश्वरी कथा
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विन्ध्येश्वरी माता एक परोपकारी माता स्वरूप है। उनकी पहचान आदि पराशक्ति के रूप मे की जाती है। उनका मंदिर उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे मिर्ज़ापुर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
माता विन्ध्यासिनी त्रिकोण यंत्र पर स्थित तीनो रूपों को धारण करती हैं जो की महालक्ष्मी, महा सरस्वती और महाकाली हैं। एक मान्यता के अनुसार सृष्टि आरंभ होने से पूर्व और प्रलय के बाद भी इस क्षेत्र का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता।
पौराणो के अनुसार
मां भगवती विंध्यासीनी महाशक्ति हैं। उनका निवास स्थान विंध्याचल मे है। श्री मद भगवत के दशम स्कंध में कथा मे कहा जाता है, सृष्टिकर्ता ब्रह्राजी ने जब सबसे पहले अपने मन से स्वायम्भुवमनु और शत रूपा को उत्पन्न किया। तब विवाह करने के उपरांत स्वायम्भुव मनु ने अपने हाथों से देवी की मूर्ति बनाकर सौ वर्षों तक घोर तप किया।
मां भगवती ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें निष्कण्टक राज्य, वंश-वृद्धि एवं परम पद पाने का आशीर्वाद दिया। वर देने के बाद महादेवी विंध्याचल पर्वत पर चली गई।
शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि मां विंध्यावासिनी के ऐतिहासिक होने का अलग- अलग वर्णन मिलता है। शिव पुराण के अनुसार मां विंध्यावासिनी को सती माना गया है। माता के कई अन्य नाम भी हैं जैसे कृष्णानुजा, वनदुर्गा, आदि।
शास्त्रों मे इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि आदि शक्ति देवी कहीं भी पूर्ण रूप से विराजमान नही हैं। मां विंध्यावासिनी का विंध्याचल ही ऐसा स्थान है जहां देवी के पूरे विग्रह के दर्शन होते हैं। जहां जंगल होने के कारण ही भगवती मां विंध्यावासिनी का वन दुर्गा नाम पड़ा।
Aarti:
Reference-
6 August 2020, Maa vindhyeshwari ji ki aarti, wikipedia