Chitraguptji ki Aarti video | चित्रगुप्त की आरती | Sangeeta Srivastava
Chitragupta Aarti Lyrics In Hindi
॥ श्री चित्रगुप्त जी की आरती ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,स्वामी जय चित्रगुप्त हरे।
भक्त जनों के इच्छित,फल को पूर्ण करे॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,सन्तन सुखदायी।
भक्तन के प्रतिपालक,त्रिभुवन यश छायी॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
रूप चतुर्भुज,श्यामल मूरति, पीताम्बर राजै।
मातु इरावती,दक्षिणा, वाम अङ्ग साजै॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
कष्ट निवारण, दुष्ट संहारण,प्रभु अन्तर्यामी।
सृष्टि संहारण, जन दु:ख हारण,प्रकट हुये स्वामी॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
कलम, दवात, शङ्ख,पत्रिका, कर में अति सोहै।
वैजयन्ती वनमाला,त्रिभुवन मन मोहै॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
सिंहासन का कार्य सम्भाला,ब्रह्मा हर्षाये।
तैंतीस कोटि देवता,चरणन में धाये॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
नृपति सौदास, भीष्म पितामह,याद तुम्हें कीन्हा।
वेगि विलम्ब न लायो,इच्छित फल दीन्हा॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
दारा, सुत, भगिनी,सब अपने स्वास्थ के कर्ता।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,तुम तज मैं भर्ता॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी,शरण गहूँ किसकी।
तुम बिन और न दूजा,आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,प्रेम सहित गावैं।
चौरासी से निश्चित छूटैं,इच्छित फल पावैं॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
न्यायाधीश बैकुण्ठ निवासी,पाप पुण्य लिखते।
हम हैं शरण तिहारी,आस न दूजी करते॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
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भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा एवं कथा | दिवाली के बाद चित्रगुप्त पूजा क्यों की जाती है?
चित्र गुप्त भगवान के बारे मे तो सभी जानते हैं चित्र गुप्त भगवान जी यमराज जी के सहायक हैं जो पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव- जंतू के जीवन का लेखा जोखा रखते हैं। चित्रगुप्त के जन्म के बारे मे ऐसा कहा जाता है कि जब यमराज ने अपने लिए एक सहयोगी की मांग की तो ब्रह्मा जी ध्यान मग्न हो गए और एक हजार वर्ष की तपस्या का बाद जागे तो एक पुरूष उत्पन्न हुआ। माना जाता है कि इस पुरूष का जन्म ब्रह्मा जी की काया से हुआ था। और इन्ही का नाम चित्रगुप्त पड़ा।
चित्रगुप्त जी का रूप विशाल है उनके हाथों में कर्म की किताब, कलम और दवात है। ये बहुत ही कुशल लेखक हैं और इनकी लिखावट से जीवों को उनके कर्मों के अनुसार न्याय मिलता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है।
यमराज और चित्रगुप्त की पूजा एवं उनसे अपने बुरे कर्मों के लिए क्षमा मांगने से नर्क के बुरे फल भोगने से बचा जा सकता है। हमारे सभी कर्मो का लेखा- जोखा चित्रगुप्त जी के पास रहता है, हमारा कोई भी कर्म उनसे छिप नही सकता।
इसलिए कहा जाता है हमेशा अच्छे कर्म करें, चित्रकूट जी की उपासना से आपको लाभ मिलता है।