- Surya Aarti, Om Jai Surya Bhagwan Aarti with Hindi English Lyrics By Anuradha Paudwal (Video)
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- सूर्यदेव की कथा || SURYADEV KI KATHA || भगवान सूर्य की पौराणिक कथा और महिमा – #BhaktiGanga
- सूर्य की चाल
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Surya Aarti, Om Jai Surya Bhagwan Aarti with Hindi English Lyrics By Anuradha Paudwal (Video)
Surya Aarti Lyrics In Hindi
॥ आरती श्री सूर्य जी ॥
जय कश्यप-नन्दन,ॐ जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन – तिमिर – निकन्दन,भक्त-हृदय-चन्दन॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
सप्त-अश्वरथ राजित,एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी,मानस-मल-हारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
सुर – मुनि – भूसुर – वन्दित,विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर,दिव्य किरण माली॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
सकल – सुकर्म – प्रसविता,सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन,भव-बन्धन भारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
कमल-समूह विकासक,नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरतअति मनसिज-संतापा॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर,भू-पीड़ा-हारी।
वृष्टि विमोचन संतत,परहित व्रतधारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
सूर्यदेव करुणाकर,अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब,तत्त्वज्ञान दीजै॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
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Surya Aarti Lyrics Image
Surya Aarti Lyrics In Hindi PDF Download – भगवान सूर्य की आरती
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सूर्यदेव की कथा || SURYADEV KI KATHA || भगवान सूर्य की पौराणिक कथा और महिमा – #BhaktiGanga
संसार को रोशनी सूर्य से प्राप्त होती है। सूर्य जगत की आत्मा है, सूर्य ही पृथ्वी का जीवन है, यह एक व्यापक सत्य है। आर्यो द्वारा वैदिक काल मे सूर्य को ही जगत का कर्ता धर्ता माना गया है। ऋग्वेद के देवताओं मे सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है। प्रसिद्ध गायत्री मंत्र भी सूर्य परक ही है।
सूर्य ही संपूर्ण जगत की अंतरात्मा है। प्राचीन काल मे भगवान सूर्य के अनेक मंदिर भारत में बने हुए थे। उनमे आज तो कुछ विश्व प्रसिद्ध भी हो गए हैं। केवल वैदिक काल मे ही नही बल्कि आयुर्वेद, ज्योतिष, हस्तरेखा शास्त्र में सूर्य का महत्व बताया गया है।
सूर्य की चाल
ऐसा माना जाता है सूर्य भगवान की चाल पंद्रह घड़ी में सवा सौ करोड़ साढ़े बारह लाख योजन से कुछ अधिक है। सूर्य के साथ – साथ अन्य नक्षत्र भी घूमते रहते हैं। कहा जाता है कि सूर्य का रथ दो घड़ी में चौतीस लाख आठ सौ योजन तक चलता है। इस रथ की एक धुरी मानसरोवर पर्वत पर तथा दूसरा सिरा मेरू पर्वत पर स्थित है। तथा इस रथ पर बैठने का स्थान छत्तीस लाख योजन लंबा है। तथा इसके सारथी अरुण है।
सूर्य देव की कृपा से मनुष्य के जीवन से अंधकार हट जाता है। सूर्य देव की उपासना सुबह के समय यानी सूर्य उदय के समय करने से आपका दिन शुभ होता है।