- Shri Govardhan Maharaj तेरे माथे मुकुट बिराज रहयो !! Popular Krishna Bhajan !! Devkinandan JiMaharaj (Video)
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- गोवर्धन पूजा की कहानी | Govardhan Puja Story in hindi | Krishna Govardhan Puja Katha |
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Shri Govardhan Maharaj तेरे माथे मुकुट बिराज रहयो !! Popular Krishna Bhajan !! Devkinandan JiMaharaj (Video)
Govardhan maharaj ji ki aarti Lyrics In Hindi
॥ आरती श्री गोवर्धन महाराज की ॥
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,चकलेश्वर है विश्राम।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,तेरी झाँकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण,करो भक्त का बेड़ा पार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
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Govardhan maharaj ji ki aarti Lyrics Image
Govardhan maharaj ji ki aarti Lyrics In Hindi PDF Download – श्री गोवर्धन महाराज की आरती
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गोवर्धन पूजा की कहानी | Govardhan Puja Story in hindi | Krishna Govardhan Puja Katha |
गोवर्धन महाराज जिसे गिरि राज पर्वत भी कहते हैं। यह मथुरा से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक पहाड़ी है। यह पहाड़ी लगभग 4 से 5 मील की दूरी तक फैली है। गोवर्धन पर्वत पर भी कई पवित्र स्थल मौजूद हैं।
गोवर्धन पर्वत को श्री कृष्ण भगवान ने मथुरा वासियों की रक्षा करने के लिए अपनी चिटकी अँगुली पर उठा लिया था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण भगवान के काल मे यह बहुत हरा- भरा पर्वत था। इसमे बहुत सी गुफाएं तथा कंदराएँ थी और उनसे शीतल जल के अनेक झरने बहते थे। भगवान कृष्ण द्वारा उस समय पर की जाने वाली इन्द्र की परंपरागत पूजा को बंद करवा कर ब्रज मे गोवर्धन की पूजा आरंभ कराई गई थी।
जब श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा कराई गई तब इंद्र भगवान के प्रकोप से भयंकर वर्षा हुई, और इसी से ब्रज वासियों की रक्षा करने के लिए भगवान कृष्ण ने अपनी अँगुली पर पर्वत उठाया और सबकी रक्षा की। गोवर्धन पर्वत की पूजा बड़े भक्ति भाव से की जाती है।