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radha rani ji ki aarti lyrics – आरती राधा रानी की लिरिक्स
आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरति सोहनि।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
संतत सेव्य सत मुनि जनकी, आकर अमित दिव्यगुन गनकी।
आकर्षिणी कृष्ण तन मन की, अति अमूल्य सम्पति समता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
कृष्णात्मिका कृष्ण सहचारिणि, चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।
जगज्जननि जग दुःखनिवारिणि, आदि अनादि शक्ति विभुता की॥
आरती श्री वृषभानुसुता की।
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राधा रानी की कहानी – Radha Asthami Ki Katha- राधा अष्ठमी की कथा -Radha Rani Ki Kahani -Radha Asthami
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राधा रानी की कहानी – PDF Download
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राधा को रानी रानी कहा जाता है। वह कृष्ण की प्रेमिका और संगी के रूप मे जानी जाती है। इसलिए उन्हे राधा कृष्ण के रूप मे पूजा जाता है। रास लीला उन्ही की शक्ति और रूप का वर्णन करती हैं। वैष्णव सम्प्रदाय मे राधा को राधा को भगवान कृष्ण की शक्ति स्वरूपा भी माना जाता है।
राधा कृष्ण के प्रेम के बारे मे जो चर्चा करते हैं। राधा कृष्ण को मन धन से प्रेमी रूप मे पूजन करती थी और श्री कृष्ण भी अपनी बाँसुरी और राधा को अटूट प्रेम करते थे जिनके प्रेम जोड़ी आज भी सभी को उत्साहित करती है। राधा और कृष्ण की प्रेम गाथा से समर्पित होने की प्रेरणा प्रदान करते है।
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के गोकुल- महावन कस्बे के निकट रावल गांव में मुखिया वृषभानु गोप एवं कीर्ति की पुत्री के रूप मे राधा रानी का जन्म हुआ था। माता के जन्म के बारे मे ऐसा भी माना जाता है कि राधा जी ने अपनी माता के पेट से जन्म नही लिया बल्कि उनकी माता ने अपने गर्भ को धारण कर रखा था और योग माया कि प्रेरणा से वायु को जन्म दिया। लेकिन वहां स्वेच्छा से राधा प्रकट हो गई।
श्री राधा रानी जी निकुंज प्रदेश के एक सुंदर मंदिर में अवतीर्ण हुई उस समय भाद्र पद का महीना था, शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि, अनुराधा नक्षत्र, मध्यान्ह काल 12 बजे और सोमवार का दिन था, इनके जन्म के साथ ही इस दिन को राधा अष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा।
Aarti
Reference-
11 February 2021, Shri Radha Ji Ki Aarti, wikipedia