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- Kyun Karen Giriraj Bhagwan Ki Parikrama ? || SHRI DEVKINANDAN THAKUR JI MAHARAJ
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गिरिराज जी की आरती Video॥ Om Jay Jay Shri Giriraj || Rajesh Lohiya || Rare Aarti # Ambey Bhakti
Giriraj ki aarti lyrics in Hindi | गिरिराज जी की आरती
॥ श्री गिरिराज आरती ॥
ॐ जय जय जय गिरिराज,स्वामी जय जय जय गिरिराज।
संकट में तुम राखौ,निज भक्तन की लाज॥
ॐ जय जय जय गिरिराज…॥
इन्द्रादिक सब सुर मिलतुम्हरौं ध्यान धरैं।
रिषि मुनिजन यश गावें,ते भवसिन्धु तरैं॥
ॐ जय जय जय गिरिराज…॥
सुन्दर रूप तुम्हारौ श्याम सिला सोहें।
वन उपवन लखि-लखि केभक्तन मन मोहें॥
ॐ जय जय जय गिरिराज…॥
मध्य मानसी गङ्गाकलि के मल हरनी।
तापै दीप जलावें,उतरें वैतरनी॥
ॐ जय जय जय गिरिराज…॥
नवल अप्सरा कुण्ड सुहावन-पावन सुखकारी।
बायें राधा-कुण्ड नहावेंमहा पापहारी॥
ॐ जय जय जय गिरिराज…॥
तुम्ही मुक्ति के दाता कलियुग के स्वामी।
दीनन के हो रक्षक प्रभु अन्तरयामी॥
ॐ जय जय जय गिरिराज…॥
हम हैं शरण तुम्हारी,गिरिवर गिरधारी।
देवकी नंदन कृपा करो,हे भक्तन हितकारी॥
ॐ जय जय जय गिरिराज…॥
जो नर दे परिकम्मापूजन पाठ करें।
गावें नित्य आरतीपुनि नहिं जनम धरें॥
ॐ जय जय जय गिरिराज…॥
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Kyun Karen Giriraj Bhagwan Ki Parikrama ? || SHRI DEVKINANDAN THAKUR JI MAHARAJ
श्रीधाम वृन्दावन, यह एक ऐसी पावन भूमि है, जिस भूमि पर आने मात्र से ही सभी पापों का नाश हो जाता है। ऐसा आख़िर कौन व्यक्ति होगा जो इस पवित्र भूमि पर आना नहीं चाहेगा तथा श्री बाँकेबिहारी जी के दर्शन कर अपने को कृतार्थ करना नहीं चाहेगा।
श्री गिरिराज जी का गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के अंतर्गत एक नगर पंचायत मे स्थित है। गोवर्धन व उसके आसपास के क्षेत्र को ब्रज भूमि भी कहा जाता है। यह भगवान श्री कृष्ण का लीला स्थल है। यहीं पर भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में ब्रजवासियों को इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाया था। गोवर्धन पर्वत को भक्त जन गिरिराज जी भी कहते हैं।
हर साल दूर- दूर से भक्तजन गिरिराज जी की परिक्रमा करने आते हैं। यह परिक्रमा लगभग 12 किलोमीटर की है। मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थल आन्यौर, गोविंद कुंड, पूंचरी का लौठा, जतिपुरा राधाकुंड, कुसुम सरोवर, मानसी गंगा, दानघाटी इत्यादि हैं।
राधा कुण्ड से तीन मील दूर गोवर्ध्दन पर्वत है। पहले गिरिराज 7 कोस में फैले हुए थे, पर अब धरती में समा गए हैं। यह मंदिर बहुत सुंदर है। यहां श्री वज्रनाभ के ही पधराए हुए एक चक्रेक्ष्वर महादेव का मंदिर है। गिरिराज के ऊपर और आसपास गोवर्ध्दन ग्राम बसा है। तथा एक मनसा देवी का मंदिर है। मानसीगंगा पर गिरिराज का मुखारविंद है, जहां उनका पूजन होता है। तथा आषाढ़ी पूर्णिमा तथा कार्तिक की अमावस्या को मेला लगता है।
मानसी गंगा पर जिसे भगवान ने अपने मन से उत्पन्न किया था, दीवाली के दिन जो दीपमालिक होती है, उसमे मनों घी खर्च किया जाता है, शोभा दर्शनीय होती है। यहां लोग दण्डौती परिक्रमा करते है। दण्डौती परिक्रमा इस प्रकार की जाती है कि आगे हाथ फैलाकर जमीन पर लेट जाते है।