राजनाथ सिंह जीवनी | Rajnath Singh biography in hindi | राजनाथ सिंह का जीवन परिचय

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केंद्रीय रक्षा मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता राजनाथ सिंह का नाम भारतीय राजनीति की पसंदीदा शख्सियतों में शुमार है। 70 के दशक से आपातकाल के साए में सियासी जीवन की शुरूआत करते हुए राजनाथ ने न सिर्फ सियासी सरजमीं पर अपनी एक अलग पहचान बनाई बल्कि देश के गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण पदभारों का दारोमदार भी संभाला। (rajnath singh biography)

राजनाथ सिंह जीवनी | Rajnath Singh biography in hindi | राजनाथ सिंह का जीवन परिचय

नाम (Name)राजनाथ सिंह
जन्म तिथि (rajnath singh birthday)10 जुलाई 1951
जन्म स्थान (rajnath singh date of birth)चंदौली, उत्तर प्रदेश
आयु (rajnath singh age)69
पिता (rajnath singh father name)राम बदन सिंह
माता(rajnathsingh mother)गुजराती देवी
पत्नी (rajnath singh wife)सावित्री सिंह
बेटे (rajnath singh son)पंकज सिंह, नीरज सिंह
बेटी (rajnath singh daughter)अनामिका सिंह
पार्टी (rajnath singh party)भारतीय जनता पार्टी (BJP)
Rajnath Singh

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शुरूआती जीवन (rajnath singh jivani)

राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई 1951 को उत्तर प्रदेश में चंदौली जिले के भाभऊरा गांव में हुआ था। राजनाथ के पिता राम बदन सिंह पेशे से किसान थे और माता गुजराती देवी एक कुशल गृहणी थीं।

राजनाथ सिंह ने अपनी शुरूआती स्कूली शिक्षा(rajnath singh education) गांव के ही स्कूल से पूरी की। जिसके बाद उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान यानी फिजिक्स में स्नातक (rajnath singh qualification) की डिग्री हासिल की।

राजनाथ काफी कम उम्र से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की विचारधारा में दिलचस्पी रखने लगे थे। हालांकि संघ के कार्यों में पूरी तरह संलग्न होने के बजाय उन्होंने अध्यापक बनने का रास्ता चुना और भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर के तौर पर मिर्जापुर स्थित के.बी.पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में पढ़ाना आरंभ कर दिया।

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राजनाथ सिंह की निजी जिंदगी | राजनाथ सिंह जीवनी | rajnath singh caste

राजनाथ सिंह ने 5 जून 1971 को सावित्री सिंह के साथ सात फेरे लिए। राजनाथ और सावित्री के दो बेटे और एक बेटी है। वहीं उनके बेटे पंकज सिंह उत्तर प्रदेश के नोएडा से लोकसभा सासंद हैं।

RSS का हिस्सा बने राजनाथ सिंह (rajnath singh rss)

Rajnath Singh

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यों में दिलचस्पी होने के कारण राजनाथ सिंह महज 13 साल की उम्र में हीयानी 1964 मेंRSS से जुड़ गए।इसी बीच सियासत में बढ़ती दिलचस्पी के चलते राजनाथ RSS के संगठन, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का हिस्सा बन गए।

1969 से 1971 तक ABVP (राजनाथ सिंह जीवनी) में सचिव के पद पर रहे राजनाथ को RSS ने साल 1972 में मिर्जापुर का शाखा कार्यवाहक नियुक्त कर दिया। जिसके 2 साल बाद 1974 में राजनाथ ने औपचारिक रूप से सियासी अखाड़े में उतरने का फैसला कर लिया।

भारतीय जन संघ से जुड़े राजनाथ सिंह (rajnath singh jansangh)

राजनाथ ने राजनीति से रूबरू होने का फैसला ऐसे समय किया जब देश आपातकाल की चौखट पर खड़ा था और बिहार, गुजरात सहित देश के कई राज्यों में विपक्ष ने इंदिरा सरकार के खिलाफ झंडा बुलंद कर दिया था।

साल 1974 में राजनाथ को मिर्जापुर से भारतीय जन संघ का सचिव नियुक्त किया गया। वहीं अगले ही साल 1975 में जनसंघ ने उन्हें मिर्जापुर का जिलाध्यक्ष बना दिया।

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आपातकाल के खिलाफ राजनाथ सिंह (rajnath singh emergency)

Rajnath Singh

1974 में ही उस दौर के कद्दावर नेता जय प्रकाश के नेतृत्व में सत्ता के खिलाफ हुए जयघोष ने समूचे देश में को हिला कर रख दिया था। बिहार से शुरू हुआ जे. पी. आंदोलन देश के कई राज्यों में आग की तरह फैल गया।

वहीं सियासत में जमीं तलाश रहे राजनाथ जे.पी की शख्सियत से खासे प्रभावित थे। लिहाजा उन्होंने भी आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। हालांकि तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल की घोषणा के साथ ही सभी विरोधियों को हिरासत में ले लिया गया और इस फेहरिस्त में राजनाथ का नाम भी शामिल था।

सासंद राजनाथ सिंह (rajnath singh MLA)

 2 साल हिरासत में रहने के बाद 1977 में आपातकाल खत्म होने के साथ ही राजनाथ को जेल से रिहा किया गया। जिसके साथ ही इंदिरा ने आम चुनावों का एलान कर दिया।

लगभग 18 महीनों तक आपातकाल के चलते लोगों में गुस्सा था। इसी कड़ी में विपक्षी पार्टियां गंठबंधन कर मौके को भुनाने की जद्दोजहद में जुट गयीं। वहीं राजनाथ ने भी जनसंघ की तरफ से मिर्जापुर (rajnath singh constituency) को अपनी संसदीय सीट चुन लिया।

लिहाजा गठबंधन सरकार के तहत जनता पार्टी ने देश की पहली गैर-कांग्रेस सरकार के रूप में जीत दर्ज की। जिसके बाद मोरारजी देसाई देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने। वहीं राजनाथ सिंह ने भी बतौर सासंद संसद के सदन में दस्तक दी।

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उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे राजनाथ सिंह (rajnath singh up)

Rajnath Singh

जनता पार्टी जितने जोश के साथ केंद्र की गद्दी पर काबिज हुई, उसे उतने ही कम समय में गठबंधन टूटने के कारण सत्ता को अलविदा कहना पड़ा और प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने इस्तीफा दे दिया।

इसी दौरान 1980 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नींव रखी और राजनाथ भी बीजेपी का हिस्सा बन गए। केंद्र की सत्ता डगमगाने के बाद देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले राजनाथ ने राज्य की राजनीति का हिस्सा बनने का फैसला किया।

राजनाथ यूपी की सियासत में एक्टिव हो गए, जिसके बाद उन्हें 1984 में पार्टी के यूथ विंग का अध्यक्ष और 1986 में राष्ट्रीय सचिव और 1988 में राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

शिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (rajnath singh education minister)

1991 में विधानसभा चुनावों के परिणामों के साथ ही यूपी में बीजेपी की सरकार बनी और मुख्यमंत्री बने कल्याण सिंह। वहीं राजनाथ सिंह ने भी शिक्षा मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।

बतौर शिक्षा मंत्री राजनाथ ने राज्य में शिक्षा सुधारों के मद्देनजर एंटी कॉपीराइट एक्ट 1992 और विज्ञान के आधुनीकरण, पाठ्यक्रम में वेदिक गणित जोड़ने जैसे कई महत्वपूर्ण फैसले लिए।

हालांकि महज दो साल बाद राज्य में बीजेपी की सरकार गिर गयी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने बहुमत दर्ज कराते हुए मुलायम सिंह को राज्य की कमान सौंपी। सत्ता में आने के बाद मुलायम सरकार ने एंटी कॉपीराइट एक्ट 1992(anti copyright act 1992) को बर्खास्त कर दिया।

वहीं वेदिक गणित सहित विज्ञान के क्षेत्रों में राजनाथ के फैसलों को संघ की विचारधारा से जोड़ कर देखा जाने लगा। जिसके चलते इन फैसलों के लिए राजनाथ का खासा विरोध भी हुआ।

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केंद्रीय परिवहन मंत्री के रूप में राजनाथ सिंह (rajnath singh minister)

1994 में राजनाथ यूपी से राज्य सभा सदस्य के तौर पर एक बार फिर संसद पहुंचे। इस दौरान राजनाथ कृषि मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की कई सलाहकार समितियों का हिस्सा रहे।

इसके साथ ही 25 मार्च 1997 में राजनाथ सिंह को यूपी का बीजेपी अध्यक्ष चुना गया और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय का पदभार भी राजनाथ को सौंप दिया गया।

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राजनाथ सिंह – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (rajnath singh up cm)

1998 में जहां दिल्ली की गद्दी पर अटल बिहारी वाजपेयी सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री के तौर पर काबिज हुए, वहीं 2000 में जनता ने राजनाथ को बतौर मुख्यमंत्री देश के सबसे बड़े सूबे की कमान सौंप दी।

दरअसल, राजनाथ 70 के दशक से ही सूबे की जमीनी सियासत में एक्टिव थे। वहीं जे.पी.आंदोलन में उनके योगदान और शिक्षा मंत्री के रूप में उनके सुधारों को जनता की जमकर सराहना मिली।

90 के दशक तक जहां कल्याण सिंह (rajnath singh kalian singh) और लाल कृष्ण अडवाणी(rajnath singh l k advani) जैसे दिग्गज नेता हिंदुत्व के फायरब्रैंड बन चुके थे, वहीं राजनाथ सॉफ्ट पावर पॉलिटिक्स की छवि के लिए मशहूर थे।

इसके अलावा राजनाथ तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (rajnath singh atal biharivapayee) के भी बेहद करीब थे और इन्हीं कारणों की वजह से पार्टी के साथ-साथ जनता ने भी यूपी के मुख्यमंत्री के तौर पर राजनाथ के नाम पर मुहर लगा दी।

राजनाथ सिंह का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा

मुख्यमंत्री बनने के बाद राजनाथ ने राज्य की बदहाल कानून व्यवस्था को सुधारने का दायित्व संभाला। जिसका कारण साफ था, यूपी में क्राइम रेट काफी तेजी से बढ़ रहा था। जिसे पटरी पर वापस लाने के लिए राजनाथ ने कई सराहनीय प्रयास भी किए। हालांकि इन प्रयासों को कभी जमीनी स्तर पर अमली जामा न पहनाया जा सका।

सूबे में चरमराती कानून व्यवस्था के अलावा साल 2002 में गुजरात के गोधरा में दहके दंगों के चलते जनता का बीजेपी से विश्वास डगमगाने लगा। गुजरात दंगों के बाद देश में बीजेपी नेतृत्व की जमकर आलोचना हुई और आखिरकार यूपी में बहुमत खोने के बाद राजनाथ को महज दो सालों में ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा (rajnathsingh resign)देना पड़ा।

राजनाथ सिंह – केंद्रीय कृषि मंत्री (rajnath singh agriculture minister)

2004 तक जहां केंद्र में अटल बिहारी के नेतृत्व में बीजेपी अपना कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी बनने जा रही थी, वहीं देश में अर्थव्यवस्था के पहिए धीमें पड़ने लगे थे। विदेश नीतियों सहित कई मोर्चोंपर प्रशंसा बटोर चुकी वाजपेयी सरकार कृषि क्षेत्र की बदहाली को सुधारने में फेल साबित हो रही थी।

इसी कड़ी में वाजपेयी सहित पार्टी के दिग्गज नेताओं ने साल 2003 में राजनाथ सिंह को केंद्रीय कृषि मंत्रालय का दारोमदार दिया। बतौर कृषि मंत्री राजनाथ ने कई महत्वपूर्ण पहलों का आगाज किया।

इस दौरान राजनाथ ने किसान कॉल सेंटर, किसान आय बीमा योजना और किसान कमीशन सहित कई सराहनीय कदम उठाए। हालांकि अगले ही साल 2004 के आम चुनावों में बीजेपी के हारने के चलते राजनाथ कई अन्य कृषि सुधारों को लागू न कर सके।

राजनाथ सिंह –बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (2004 – 2009)

2004 के आम चुनावों में हार के बाद पार्टी अध्यक्ष लाल कृष्ण अडवाणी को मुहम्मद अली जिन्ना पर विवादित टिप्पणी करने के चलते अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। लिहाजा 31 दिसंबर 2004 को सर्वसम्मति से राजनाथ को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चना गया।

बतौर बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ ने पार्टी की कट्टर हिंदुत्व छवि को निखारने का बीड़ा उठाया। इस दौरान उन्होंने पार्टी के कई लोकप्रिय एजेंडे, मसलन अयोध्या में राम मंदिर, अंग्रेजी भाषा का विरोध तथा हिंदी और संस्कृत भाषा को महत्व देना ।

इसी कड़ी राजनाथ सिंह उस वक्त सवालों के कठघरे में आ गए जब उन्होंने पार्टी के कद्दावर नेता जसवंत सिंह द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की नीतियों की प्रशंसा करने के कारण उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

हालांकि 2009 में आम चुनावों के नतीजों के साथ बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ के सभी पैंतरे नाकाम हो गए और बीजेपी को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद 19 दिसंबर 2009 को राजनाथ ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं मई 2009 में राजनाथ गाजियाबाद से सासंद चुने गए।

राजनाथ सिंह –बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (2013 – 2014)

साल 2013 के दौरान जहां लोकसभा चुनावों की तारीख नजदीक आ रही थी, वहीं तात्कालीन बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा। जाहिर है पिछले एक दशक से सत्ता से दूर रही बीजेपी आगामी चुनावों में जीत का सहरा पहनने से चूकना नहीं चाहती थी, खासकर ऐसे समय जब समूचे देश में मोदी सरकार का शोर गूंज रहा हो।

आखिरकार नितिन गडकरी को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा और एक बार फिर राजनाथ ने राजनीति की मुख्यधारा में एंट्री करते हुए पार्टी का नेतृत्व संभाला।

2014 के आम चुनावों में राजनाथ सिंह (rajnath singh vs modi)

बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने आम चुनावों में पार्टी के प्रचार प्रसार का दारोमदार उठाते हुए मोदी लहर को मजबूत करने में खासा योगदान दिया। जिसके चलते बीजेपी पूरे जोश के साथ सत्ता पर काबिज हुई और प्रधानमंत्री बने नरेंद्र दामोदरदास मोदी। (rajnath singh narendr amodi)

हालांकि नतीजों के साथ ही राजनाथ ने एक बार फिर अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी अमित शाह को सौंपते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अब राजनाथ को पार्टी से अलग देश का दारोमदार संभालना था।

लिहाजा यूपी की राजधानी लखनऊ (rajnathsingh Lucknow) को अपना संसदीय क्षेत्र चुना और भारी बहुमत से जीत दर्ज कर न सिर्फ संसद के सदन तक पहुंचे बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में देश की कमान संभाली।

राजनाथ सिंह – केंद्रीय गृह मंत्री (2014-2019)(rajnath singh home minister)

बतौर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ कई बार प्रशंसा के हकदार रहे तो कभी उन्हें सवालों के कठघरे में भी खड़ा होना पड़ा। उनके कार्यकाल के दौरान कश्मीर में आतंकी घुसपैठ, सर्जिकल स्ट्राइक, राष्ट्रवाद, मॉब लिंचिंग, कानून और शासन व्यवस्था जैसे मुद्दे चर्चा के केंद्र में थे।

JNU विवाद

साल 2016 में कश्मीर अलगाववादी अफजल गुरू और मकबूल भट्ट को फांसी होने के बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में राष्ट्रवाद विरोधी नारे लगने लगे। वहीं राजनाथ सिंह ने विवादित बयान देते हुए JNU विवाद को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा के सरगना हाफिज सईद की साजिश करार दिया।

इसी कड़ी में राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के चलते उमर खालिद और कन्हैया कुमार को हिरासत में ले लिया गया। जिसके बाद राजनाथ कीकई वामपंथी नेताओं से मुलाकात के सिलसिलों को आरोप-प्रत्यारोपों का सामना करना पड़ा।

भारत के वीर एप

9 अप्रैल 2017 को राजनाथ सिंह ने बॉलीवुड कलाकार अक्षय कुमार के साथ मिल कर भारत के वीर नाम का एप लांच किया। इस पहल का उद्देश्य भारतीय सेना में शहीद जवानों के परिवारों को आर्थिक सहायता देना था। एप के उद्घाटन के साथ ही राजनाथ इस फंड में धनराशि जमा कराने वाले पहले शख्स थे।

डोकलाम विवाद

राजनाथ के कार्यकाल के दौरान ही डोकलाम विवाद के रूप में दशकों से शांत पड़ी भारत-चीन सीमा पर युद्ध के बादल मंडराने लगे। दरअसल डोकलाम चीन और भूटान के बीच विवादित क्षेत्र है, जिस पर चीनी सेना ने अचानक कब्जा जमाना शुरू कर दिया। वहीं भारतीय सेना ने भी चीनी सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

जिसके बाद भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नाथू ला पास का दौरा भी किया और आखिरकार दोनों देशों ने कूटनीतिक तरीके से मसले का हल निकाल लिया। इसी के साथ 9 अक्टूबर 2017 को भारत-चीन सीमा पर शांति बहाल कर दी गयी।

राजनाथ सिंह – केंद्रीय रक्षा मंत्री (2019 – वर्तमान)(rajnath singh defence minister)

2019 के आम चुनावों में पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी  एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई और राजनाथ सिंह फिर सेमोदी मंत्रीमंडल का महत्वपूर्ण हिस्सा बने। इस बार राजनाथ को रक्षा मंत्रालय की बागडोर सौंपी गई, वहीं गृह मंत्रालय अमित शाह के हिस्से में चला गया।

लखनऊ से सासंद चुने गए राजनाथ ने 31 मई 2019 को बतौर रक्षा मंत्री पदभार संभाला, जिसके बाद सीमा सुरक्षा राजनाथ के सामने एक बड़ी चुनौती थी। इस दौरान राजनाथ ने अपने एक बायन में कहा –

“राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में भारत हाथ पर हाथ रख कर नहीं बैठ सकता है। अब समय आ गया है कि भारत एक बड़े हथियार नियात करने वाले देश के रूप में उभरे।“

राफेल लड़ाकू विमान(rajnathsinghrafale)

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में फ्रांसीसी कंपनी के साथ राफेल विमान समझौते को लेकर कई आरोप लगे। विपक्ष ने सत्ता पर जमकर सवाल दागे और राफेल घोटाला 2019 के आम चुनावों में विपक्ष का खास हथियार भी बन गया।

बेशक राफेल के सहारे विपक्ष सत्ता हासिल करने में कामयाब न हो सका, लेकिन आम चुनावों के नतीजों के बाद राफेल सियासी सूर्खियों में बना रहा। जिसका कारण था राफेल विमानों का भारत आगमन।

8 अक्टूबर 2019 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद राफेल का लुत्फ उठाने के लिए फ्रांस पहुंच गए और इसी कड़ी में पांच राफेल विमानों की पहली खेप अंबाला वायु सेना स्टेशन पर उतरी। जिसके बाद विमानों की दूसरी खेप 29 जुलाई 2020 को भारत पहुंची।

भारत – चीन सीमा विवाद (rajnathsingh china border)

2020 की शुरूआत के साथ जहां जब समूची दुनिया कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही थी, तभी चीन ने एक बार फिर लद्दाख सीमा(rajnathsingh in ladakh) पर मोर्चा खोल दिया। इस दौरान दोनों देशों की सेना में कई हिसंक झड़पे (rajnathsingh on india china standoff)भी हुईं। वहीं कई महीनों तक चले तनाव के बाद 4 सिंतबर 2019 को रूस के मॉस्को(rajnathsingh Moscow)में आयोजित SCO की बैठक में भारत और चीन ने सीमा पर शांती बहाल करने पर राजी हो गए। इसी के साथ भारत सरकार ने कूटनीतिक तरीके से मसले का हल निकालते हुए सीम के बुनियादी ढाचों को पुख्ता करना अपना पहला लक्ष्य बना किया।


Rajnath Singh biography in Hindi – FAQ

What is the role of Rajnath Singh? – राजनाथ सिंह की भूमिका क्या है?

राजनाथ सिंह 2019 से भारत के रक्षा मंत्री के रूप मे कार्यरत है।

What is the age of Rajnath Singh? – राजनाथ सिंह की उम्र क्या है?

राजनाथ सिंह की उम्र 69 वर्ष (10 जुलाई 1951) है।

Where is Rajnath Singh from? – राजनाथ सिंह कहां से हैं?

राजनाथ सिंह चंदौली से हैं।

What is the education of Rajnath Singh? – राजनाथ सिंह की शिक्षा कहां से है?

राजनाथ सिंह की शिक्षा दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर से है।

Who is Rajnath Singh son? – राजनाथ सिंह के बेटे कौन हैं

राजनाथ सिंह के बेटे हैं Pankaj Singh, Neeraj Singh

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Reference-
दिसम्बर 2020, राजनाथ सिंह जीवनी, विकिपीडिया

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