- अरविंद केजरीवाल जीवनी | Arvind Kejriwal jivani | Biography of Arvind Kejriwal in Hindi | kejriwal date of birth
- अरविंद केजरीवाल का शुरूआती जीवन
- IIT की परीक्षा में पास | अरविंद केजरीवाल की शिक्षा
- सिविल सर्विस की तरफ रूझान
- IRS अरविंद केजरीवाल
- मनीष सिसोदिया से मुलाकात
- रेमन मैगसेसे अवॉर्ड (arvind kejriwal awards)
- अरविन्द केजरीवाल और अन्ना का आंदोलन
- राजनीतिक करियर का आगाज
- 49 दिन के मुख्यमंत्री बने केजरीवाल
- केजरीवाल बने प्रधानमंत्री उम्मीदवार
- दिल्ली की गद्दी पर वापसी
- दिल्ली सरकार vs लेफ्टिनेंट गवर्नर
- दिल्ली में AAP का कार्यकाल
- राजनीति का विश्लेषण करती ‘स्वराज’ (arvind kejriwal book)
- निजी जिंदगी में केजरीवाल (arvind kejriwal family)
अमूमन राजनीति के अखाड़े में उतरने वाले हर नेता को भ्रष्ट करार दिया जाता है। मगर, इस फेहरिस्त में एक नाम ऐसे नेता का भी है जिसने भ्रष्टाचार को मात देने के लिए ही राजनीति को अपनी किस्मत के तौर पर चुना और अन्ना के आंदोलन से सियासी गलियारे तक का सफर तय किया। उन्होंन आम आदमी बन कर राजनीति में एंट्री की और बहुत कम समय में राजधानी दिल्ली की बागडोर संभाल कर देश की प्रख्यात राजनीतिक शख्सियत बन गए। वो चेहरा हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का।
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अरविंद केजरीवाल जीवनी | Arvind Kejriwal jivani | Biography of Arvind Kejriwal in Hindi | kejriwal date of birth
नाम (Name) | अरविंद केजरीवाल |
जन्म तिथि (Birth Date) | 16 अगस्त 1968 |
जन्म स्थान (Birth place) | भिवानी, हरियाणा |
माता (Mother) | गीता देवी |
पिता (Father) | गोबिंद राम केजरीवाल |
पत्नी (arvind kejriwal wife) | सुनीता केजरीवाल |
बेटा (arvind kejriwal son) | पुलकित केजरीवाल |
बेटी (arvind kejriwal daughter) | हर्षिता केजरीवाल |
राजनीतिक पार्टी (Political Party) | आम आदमी पार्टी (AAP) |
अरविंद केजरीवाल का शुरूआती जीवन
अरविंद केजरीवाल एक शिक्षित उच्च मध्य वर्ग परिवार (arvind kejriwal family) से ताल्लुक रखते हैं। हरियाणा के भिवानी जिले के सिवानी में 16 अगस्त 1968 को जन्मे अरविंद केजरीवाल का परिवार पेशे से अगरवाल बनिया था। गोबिंद राम केजरीवाल (arvind kejriwal father) और गीता देवी (arvind kejriwal mother) के तीन बच्चों में अरविंद केजरीवाल पहली संतान थे। गोबिंद राम केजरीवाल एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। वहीं अरविंद केजरीवाल का बचपन ज्यादार उत्तर भारत में मुख्य रूप से सोनीपत, गाजियाबाद और हिसार में ही बीता था। उन्होंने हिसार के कैम्पस स्कूल और सोनीपत के क्रिसचन मिशनरी स्कूल से अपनी पढ़ाई (arvind kejriwal education) पूरी की थी।
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IIT की परीक्षा में पास | अरविंद केजरीवाल की शिक्षा
शिक्षित परिवार से ताल्लुक रखने के चलते अरविंद केजरीवाल बचपन से ही पढ़ाई में काफी रुचि लेते थे। पिता के इंजीनियर और एक मेधावी छात्र होने के कारण साल 1985 में उन्होंने IIT-JEE की परीक्षा दी और पूरे देश में 563वें स्थान के साथ परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। लिहाजा अरविंद केजरीवाल को IIT खड़गपुर में मकैनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला मिला। साल 1989 में उन्हें देश की सबसे मशहूर स्टील कंपनी टाटा स्टील में नौकरी मिल गई। इस दौरान केजरीवाल की पोस्टिंग बतौर इंजीनियर जमशेदपुर में हुई।
सिविल सर्विस की तरफ रूझान
जमशेदपुर में पोस्टिंग के दौरान केजरीवाल की इंजीनियरिंग से रुचि कम होने लगी थी और वो देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा सिविल सर्विस की तरफ दिलचस्पी लेने लगे। आखिरकार भारतीय सिविल सेवा का हिस्सा बनने के लिए उन्होंने साल 1992 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और जुट गए सिविल की तैयारी में। केजरीवाल ने अपनी तैयारी का ज्यादातर हिस्सा बंगाल की राजधानी कलकत्ता में रह कर पूरा किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात मदर टेरेसा से हुई। मदर टेरेसा से इस मुलाकात में केजरीवाल खासे प्रभावित हुए।
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IRS अरविंद केजरीवाल
केजरीवाल सिविल सेवा परीक्षा में सफल हुए और उन्होंने साल 1995 में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में बतौर सिविल सेवक जवाइनिंग की। साल 2006 तक आयकर विभाग में उपकमिश्नर पद पर तैनात अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जाहिर है महज कुछ साल की सर्विस के बाद इस्तीफे की खबर हर अखबार की सूर्खियां बन गई। जहां अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्ट सिस्टम को अपने इस्तीफे का दोषी करार दिया तो सिस्टम ने अरविंद केजरीवाल को ही भ्रष्ट घोषित कर दिया।
मनीष सिसोदिया से मुलाकात
दिसंबर 1999 में केजरीवाल की मुलाकात मनीष सिसोदिया से हुई। इसी दौरान कोजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने मिलकर ‘परिवर्तन आंदोलन’ की शुरूआत की। परिवर्तन को जन आंदोलन की संज्ञा दे दी गई, जिसका उद्देशय लोगों को बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराना था।
इसी कड़ी में केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने साल 2005 में मध्यकालीन इतिहास के कवि कबीरदास के नाम पर ‘कबीर’ नामक एक गैर सरकारी संगठन (NGO) की नींव रखी।
रेमन मैगसेसे अवॉर्ड (arvind kejriwal awards)
साल 2006 में केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया और अभिन्नदन शेखरी के साथ मिलकर पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन (Public Cause Research Foundation) की शुरूआत की। केजरीवाल ने रेमन मैगसेसे खिताब (Ramon Magsaysay Award) में मिले इनाम की रकम को भी इस फाउंडेशन को दान कर दिया। इसके अलावा मशहूर वकील प्रशांत भूषण और किरण बेदी भी ट्रस्टी के तौर पर इस फाउंडेशन का हिस्सा बने।
अरविन्द केजरीवाल और अन्ना का आंदोलन
सिविल सेवा से इस्तीफा देने के बाद केजरीवाल जिंदगी की राह तलाशने में जुटे ही थे, कि राजधानी की गलियों में भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसी आवाज उठी, जिसने देश के समूचे सिस्टम को हिला कर रख दिया। इस आवाज का नेतृत्व कर रहे थे अन्ना हजारे। दिल्ली के रामलीला मैदान में लोकपाल की मांग कर रहे अन्ना हजारे से केजरीवाल खासा प्रोत्साहित हुए और आखिरकार उन्होंने अन्ना के साथ चलने का फैसला कर लिया। केजरीवाल के अतिरिक्त इस आंदोलन में अरूणा रॉय, शेखर सिंह, किरण बेदी जैसी कई बड़ी हस्तियां मौजूद थीं, लेकिन केजरीवाल की अनोखी शख्सियत ने इस आंदोलन में भी अपनी खास जगह बना ली थी।
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दरअसल साल 2010 में केजरीवाल ने कॉमन वेल्थ गेम्स में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। इसी बीच अन्ना की अगुवाई में शुरू हुआ ‘भ्रष्टाचार के विरोध में भारत’ (India Against corruption) आंजोलन ने केजरीवाल को देश में एक नई पहचान दे दी। लोकपाल बिल की मांग कर रहे इस आंदोलन में आम आदमी से लेकर खास शख्सियत तक शामिल थीं।
वहीं साल 2015 में सत्ता का हिस्सा बनकर केजरीवाल ने दिल्ली की विधानसभी से जनलोकपाल बिल पास करा लिया।
राजनीतिक करियर का आगाज
राजधानी दिल्ली से उठ रही जनलोकपाल बिल की आवाज को कुछ आलोचकों ने यह कह कर सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को हटाने का अधिकार किसी को भला कैसे मिल सकता है? इन सवालों का जवाब देने के लिए अरविंद केजरीवाल सहित अन्ना के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले कई लोगों ने राजनीति में उतरने का फैसला किया।
अरविंद केजरीवाल ने नवंबर 2012 में औपचारिक रूप से आम आदमी पार्टी (AAP) का गठन किया। इसी बीच 2013 में दिल्ली में विधानसभा चुनावों की घोषणा हुई और आम आदमी पार्टी ने भी इन चुनावों में हिस्सा लेने का एलान कर दिया।
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को सियासी बिसात पर मात देने के लिए उतरे अरविंद केजरीवाल इन चुनावों के साथ सोशल मीडिया की पाचंवी सबसे लोकप्रिय राजनीतिक शख्सियत बन गए थे।
49 दिन के मुख्यमंत्री बने केजरीवाल
दिल्ली में साल 2013 के विधानसभा चुनावों के नतीजे खासे चौंकाने वाले थे। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को उन्हीं के चुनावी क्षेत्र में मात दे दी थी। हालांकि दिल्ली में AAP को महज 28 सीटों के साथ अल्पमत में थी, वहीं बीजेपी ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी। बावजूद इसके आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और कुछ निर्दलीय पार्टियों से गंठबंधन कर दिल्ली की गद्दी अपने नाम कर ली। इसी के साथ 28 दिसंबर 2013 अरविंद केजरीवाल ने राजधानी के दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
आम आदमी पार्टी दिल्ली में जीत का जश्न मना ही रही थी कि महज 49 दिनों के बाद 14 फरवरी 2014 को अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जिसका कारण था जनलोकपाल बिल, जिसे पास कराने में केजरीवाल असफल रहे थे।
केजरीवाल बने प्रधानमंत्री उम्मीदवार
दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ ही दिनों बाद देश में 2014 के लोकसभा चुनावों का शंखनाद हो गया। हालांकि केजरीवाल इन चुनावों में हिस्सा नहीं लेना चाहते थे, लेकिन पार्टी के कहने पर उन्होंने 25 मार्च 2014 को प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को अपनी चुनावी सीट घोषित कर दिया। नतीजतन मोदी लहर ने केजरीवाल को मात दे दी और केजरीवाल को 3 लाख 70 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
दिल्ली की गद्दी पर वापसी
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार गिरने के बाद साल 2015 में राजधानी में फिर से विधानसभा चुनावों का एलान हुआ और केजरीवाल एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरे। जहां मोदी लहर में बीजेपी को परास्त करना आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी, वहीं दिल्ली की जनता ने 49 दिन मुख्यमंत्री रहे केजरीवाल को फिर से हरी झंडी दिखा दी थी।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत के आंकड़ों ने समूचे देश को चकित कर दिया। इन चुनावों में AAP ने 70 सीटों में से 67 सीटों पर जीत हासिल कर ली, वहीं बीजेपी को महज 3 सीटों पर ही विजय मिली तो कांग्रेस का पत्ता दिल्ली से पूरी तरह साफ हो गया।
जाहिर है किसी के लिए भी यह यकीन करना मुश्किल था कि महज एक सालों में बतौर राजनीतिज्ञ केजरीवाल ने पहले अचानक इस्तीफे से सबको चौंकाया, तो फिर प्रधानमंत्री उम्मीदवार बन कर मोदी लहर की भेंट चढ़ गए और अब दिल्ली में ही मोदी लहर को मात देकर बहुमत हासिल कर लिया और केजरीवाल एक बार फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए। 14 फरवरी 2015 को केजरीवाल ने राजधानी के रामलीला मैदान में दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
दिल्ली सरकार vs लेफ्टिनेंट गवर्नर
दिल्ली की गद्दी पर काबिज होने के साथ ही केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी ने अपने राजनीति में आने के मकसद को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया। इसी कड़ी में पहला कदम था लोकपाल बिल। जिसे दिल्ली विधानसभा ने हरी झंडी दे दी।
हालांकि चुनौतियों का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ था। बतौर मुख्यमंत्री केजरीवाल और दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर के बीच नोक-झोंक राजधानी की राजनीति में आम हो गई थी। आम आदमी पार्टी और LG के बीच में कई अहम मुद्दों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप जारी था। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे सेलेक्टिड (सरकार द्वारा नामित) और इलेक्टिड (जनता द्वारा चुने गए) का मासला करार दिया। लिहाज AAP ने LG के फैसलों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
दिल्ली में AAP का कार्यकाल
सियासत की कई चुनौतियों के बीच अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में उनकी पार्टी ने राजधानी को संवारने का सिलसिला भी शुरू कर दिया था। इस फेहरिस्त में सबसे बड़ा कदम था दिल्ली को मोहल्ला क्लीनिक की सौगात देना।
मोहल्ला क्लीनिक प्राथमिक स्वास्थय केंद्र का हिस्सा थे, जहां दिल्ली की जनता मुफ्त में इलाज करा सकती थी। साल 2018 तक पूरी दिल्ली में लगभग 187 मोहल्ला क्लीनिक खोले गए, जिन्होंने करीब 20 लाख लोगों का मुफ्त में इलाज किया। वहीं मोहल्ला क्लीनिक की सफलता के बाद दिल्ली सरकार ने 2020 तक 1000 क्लीनिक खोलने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इसके अलावा दिल्ली सरकार ने महिलाओं को भी खासी रियायतें दी। जहां एक तरफ दिल्ली परिवहन निगम की बसों में महिलाओं का सफर मुफ्त कर दिया गया वहीं दिल्ली मेट्रो में भी महिलाओं को स्वेच्छा से किराया देने का एलान कर दिया गया।
जाहिर है दिल्ली सरकार की इन नीतियों को लेकर खासी आलोचना भी हुई लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि ये एलान ने राजधानी की गरीब महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं थे।
राजनीति का विश्लेषण करती ‘स्वराज’ (arvind kejriwal book)
राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर हमेशा से मुखर रहे केजरीवाल ने अपनी किताब स्वराज (arvind kejriwal book) में सियासी भ्रष्टाचार पर विस्तार से चर्चा की है। इस किताब में उन्होंने राजनीति से जुड़े कई मुद्दों को साझा किया है। मसलन विकेंद्रीरण से लेकर पंचायती राज तक, केंद्र से लेकर राज्य सरकारों की जवाबदेही सुनिश्चित करने तक के मुद्दे स्वराज का हिस्सा है।
निजी जिंदगी में केजरीवाल (arvind kejriwal family)
केजरीवाल की निजी जिंदगी की बात करें तो 1995 में केजरीवाल ने 1993 के बैच की IRS ऑफिसर सुनीता केजरीवाल (sunita kejriwal) के साथ सात फेरे लिए। सुनीता (arvind kejriwal wife) 2016 तक भारतीय राजस्व सेवा में कमीश्नर के पद पर तैनात रहीं। जिसके बाद उन्होंने रिटायरमेंट ले ली। अरविंद केजरीवाल और सुनीता के दो बच्चे भी हैं। उनकी बेटी का नाम हर्षिता केजरीवाल (Harshita kejriwal) और बेटे का नाम पुलकित केजरीवाल (Pulkit Kejriwal) है।
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Reference –
2020, wikipedia, arvind kejriwal
2020,amarujala,arvind kejriwal ki jivani
इसके अलावा दिल्ली सरकार ने महिलाओं को भी खासी रियायतें दी। जहां एक तरफ दिल्ली परिवहन निगम की बसों में महिलाओं का सफर मुफ्त कर दिया गया वहीं दिल्ली मेट्रो में भी महिलाओं को स्वेच्छा से किराया देने का एलान कर दिया गया।
1,मक्कार और झूठा केजरी,”वहीं दिल्ली मेट्रो में भी महिलाओं को स्वेच्छा से किराया देने का एलान कर दिया गया।”
2,दिल्ली की गद्दी पर काबिज होने के साथ ही केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी ने अपने राजनीति में आने के मकसद को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया। इसी कड़ी में पहला कदम था लोकपाल बिल। जिसे दिल्ली विधानसभा ने हरी झंडी दे दी।
“लोकपाल बिल” कहा है…?