- mahadevi verma Biography in Hindi | महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
- Mahadevi Verma | कवयित्री | जीवन और लेखन | हिन्दी
- महादेवी वर्मा का शुरुआती जीवन (maha devi verma jivan parichay)
- महादेवी वर्मा की शिक्षा (mahadevi verma education)
- महादेवी वर्मा का कविताओं की तरफ रुझान (mahadevi verma life)
- महादेवी वर्मा को कहां से मिली कविता लिखने की प्रेरणा? (mahadevi verma poems)
- महादेवी वर्मा की साहित्यिक रचनाएं (mahadevi verma ki rachnaye)
- महादेवी वर्मा की प्रसिद्ध कविताएं(mahadevi verma poems)
- महादेवी वर्मा के प्रसिद्ध गद्य (mahadevi verma literature)
- महिलाओं के विकास में महादेवी वर्मा का योगदान (mahadevi verma works)
- महादेवी साहित्य संग्रहालय (mahadevi verma literary museum)
- महादेवी वर्मा का निधन (mahadevi verma death)
- महादेवी वर्मा के पुरुस्कार (mahadevi verma awards and honours)
- भारतीय साहित्य में महादेवी वर्मा का योगदान (mahadevi verma writer)
mahadevi verma biography in Hindi – 20वीं शताब्दी की शुरुआत में जब समूचा देश गुलामी की गिरफ्त में था, ब्रिटिश हुकुमत का विस्तार अपने चरम पर था, वहीं दूसरी तरफ हिन्दी साहित्य अपने स्वर्ण काल से गुजर रहा था। कश्मीर से कन्याकुमारी तक कविओं और लेखकों के दौर का आगाज हो चुका था, फिर चाहे वो राष्ट्रभक्ति की आवाज बुलंद करतीं दुष्यंत कुमार की कविताएं हो या दिल्ली का हाल बयां करते मिर्जा गालिब के शेर।
यहाँ पढ़ें : डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जीवनी
यहाँ पढ़ें : अरविंद केजरीवाल जीवनी
मुंशी प्रेमचन्द्र से लेकर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और जयशंकर प्रसाद तक हिन्दी साहित्य के पन्नों में नित नए पाठ जुड़ रहे थे। वहीं अपनी कलम के माध्यम से देश का हाल और महिलाओं की बदहाल स्थिति से पर्दा उठाने वाली हिन्दी साहित्य की मशहूर कवियत्री महादेवी वर्मा का नाम भी इस फेहरिस्त में शामिल है।
mahadevi verma Biography in Hindi | महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
नाम | महादेवी वर्मा |
जन्मतिथि | 26 मार्च 1907 |
जन्म स्थान | फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश |
आयु | 80 वर्ष |
माता | हेम रानी देवी |
पिता | गोविंद प्रसाद वर्मा |
पति | स्वरूप नारायण वर्मा |
व्यवसाय | उपन्यासकार, कवित्री, कहानी लेखिका |
साहित्यक आंदोलन | छायावाद |
मृत्यु | 11 सितम्बर 1987 |
यहाँ पढ़ें : biography in hindi of Great personalities
यहाँ पढ़ें : भारत के महान व्यक्तियों की जीवनी हिंदी में
Mahadevi Verma | कवयित्री | जीवन और लेखन | हिन्दी
यहाँ पढ़ें : Atal Bihari Vajpayee ki Jeevani
महादेवी वर्मा का शुरुआती जीवन (maha devi verma jivan parichay)
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 (mahadevi verma jivan parichay) को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद (mahadevi verma birth palce) में हुआ था। उनके पिता गोविंद प्रसाद वर्मा भागलपुर स्थित एक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे, वहीं उनकी मां हेम रानी देवी (mahadevi verma mother) बेहद धार्मिक, शुद्ध शाकाहारी और संगीत में रुचि रखने वाली महिला थीं। महादेवी वर्मा की माता घंटो पूजा-पाठ, रामायण और महाभारत के श्लोक पढ़ा करतीं थीं।
हिन्दी साहित्य के मशहूर लेखक सूर्याकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और सुमित्रानन्दन पंत, बचपन से ही महादेवी वर्मा के बेहद करीब रहे। कहा जाता है कि महादेवी वर्मा ने 40 सालों तक निराला के हाथों में राखी बांधी थी।
यहाँ पढ़ें : Narendra Modi biography
यहाँ पढ़ें : प्रियंका गाँधी की जीवनी
महादेवी वर्मा की शिक्षा (mahadevi verma education)
महादेवी वर्मा ने अपनी स्कूली शिक्षा कॉन्वेंट स्कूल से शुरु की। लेकिन बाद में विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के चलते उन्होंने इलाहाबाद स्थित क्रॉस्टवेट गर्ल्स कॉलेज में दाखिला ले लिया।
महादेवी वर्मा के अनुसार क्रॉस्टवेट के छात्रावास में रहने के दौरान उन्हें काफी कुछ नया सीखने को मिला। हॉस्टल में बहुत सारे धर्मों के लोग एक साथ रहते थे, जिनसे महादेवी वर्मा ने अनेकता में एकता की सीख ली।
महादेवी वर्मा 1929 में स्नातक पूरा करने के बाद स्वरूप नारायण वर्मा (mahadevi verma husband) के साथ विवाह के बंधन में बंध गईं। हालांकि बेहद आकर्षक न होने के कारण स्वरूप नारायण ने उनके साथ रहने से इंकार कर दिया।
इसके बाद महादेवी वर्मा ने बौद्ध ग्रंथों के अध्ययन के लिए पाली और प्राकृत भाषा में मास्टर्स की डिग्री हासिल की।
यहाँ पढ़ें : वरुण गाँधी की जीवनी
यहाँ पढ़ें : सोनिया गाँधी की जीवनी
महादेवी वर्मा का कविताओं की तरफ रुझान (mahadevi verma life)
महादेवी वर्मा ने क्रॉस्टवेट के हॉस्टल में ही रहते हुए छुप-छुप कर कविताएं लिखना शुरु कर दिया था। महादेवी वर्मा के अनुसार –“स्कूल के दौरान जहां बाकी बच्चे मैदान में खेलने चले जाते थे, मैं और मेरे साथ कमरा साझा करने वाली सुभद्रा कुमारी चौहान एक पेड़ के नीचे बैठ कर कविताएं लिखा करते थे। सुभद्रा को खड़ी बोली में कविता लिखता देकर मैंने भी खड़ी बोली में लिखना शुरु किया और कुछ ही समय में मैं और सुभद्रा हर दिन एक से दो कविता लिखने लगे।”
जो तुम आ जाते एक बार
कितनी करूणा कितने संदेश
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग
आँसू लेते वे पत्थर पखार
आँसू लेते वे पत्थर पखार
जो तुम आ जाते एक बार…
इसी दौरान महादेवी वर्मा और सुभद्रा चौहान की कई कविताएं साप्ताहिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगीं। वहीं महादेवी वर्मा,सुभद्रा चौहान के साथ कई कवि सम्मेलनों में भी शिरकत करने लगीं, जहां वे दोनों दर्शकों को अपनी लिखी कविताएं सुनातीं और बदले में उन्हें दर्शकों की जमकर सरहाना मिलती थी।
यहाँ पढ़ें : संजय गाँधी की जीवनी
यहाँ पढ़ें : राजीव गाँधी की जीवनी
महादेवी वर्मा को कहां से मिली कविता लिखने की प्रेरणा? (mahadevi verma poems)
बचपन पर आधारित किताब ‘मेरे बचपन के दिन’ में कविता लिखने की प्रेरणा का जिक्र करते हुए महादेवी वर्मा लिखतीं हैं कि –मैं बेहद भाग्यशाली थी कि मेरा जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहां लड़कियों को बोझ नहीं समझा जाता था। मेरे दादा जी मुझे विद्वान बनाने की चाह रखते थे लेकिन साथ ही वो रीति-रिवाजों में भी उतना ही विश्वास रखते थे। शायद यही कारण था कि मेरा विवाह महज 9 साल की उम्र में ही कर दिया गया था।
अपनी मां को अपनी प्रेरणा बताते हुए महादेवी वर्मा कहती हैं कि – मेरी माता जी एक धार्मिक स्त्री होने के साथ-साथ संस्कृत और हिन्दी भाषा की विद्वान थीं। लिहाजा साहित्य में बढ़ती मेरी दिलचस्पी और कविताएं लिखने की प्रेरणा मुझे मेरी माता और परिवार से ही मिली। अपनी कविता आधुनिक मीरा में महादेवी वर्मा लिखतीं हैं-(mahadevi verma famous poems)
वे मुस्कुराते फूल, नहीं जिनको आता है मुरझाना
वे तारों के दीप, नहीं जिनको भाता है बुझ जाना
महादेवी वर्मा की साहित्यिक रचनाएं (mahadevi verma ki rachnaye)
महादवी वर्मा की रचनाएं अपने आप में अनगिनत गहरें अर्थ छुपाए होने के साथ-साथ कई मायनों में अनोखी भी थीं। मसलन उस दौर में महादेवी वर्मा कमोबेश पहली ऐसी लेखक थीं, जिन्होंने ब्रज भाषा के पारंपरिक ढर्रे से उतार कर हिन्दी काव्य को खड़ी बोली से रूबरू कराया था। (mahadevi verma bhashashaili)
यहाँ पढ़ें : राहुल गाँधी की जीवनी
यहाँ पढ़ें : मोतीलाल नेहरू की जीवनी
महादेवी वर्मा की प्रसिद्ध कविताएं(mahadevi verma poems)
कविता | साल |
नीहार | 1930 |
रश्मि | 1932 |
नीरजा | 1933 |
संध्यागीत | 1935 |
प्रथम अयाम | 1949 |
दीपशिखा | 1942 |
अग्नी रेखा | 1988 |
सप्तपर्णा | 1959 |
यामा | |
गीतपर्व | |
नीलाम्बरा |
महादेवी वर्मा के प्रसिद्ध गद्य (mahadevi verma literature)
गद्य | साल |
अतीत के चलचित्र | 1961 |
स्मृति की रेखाएं | 1943 |
संस्मरण | 1943 |
संभाषण | 1949 |
विवेचानात्मक गद्य | 1972 |
स्कन्धा | 1956 |
हिमालय | 1973 |
श्रृंख्ला की कड़ियां | 1972 |
संकल्पिता |
महिलाओं के विकास में महादेवी वर्मा का योगदान (mahadevi verma works)
महादेवी वर्मा का ज्यादातर जीवन लेखन और अध्यापन को ही समर्पित रहा। उन्होंने इलाहाबाद स्थित प्रयाग महिला विद्यापीठ के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महादेवी वर्मा हमेशा से महिलाओं की शिक्षा के हक में रहीं।
इसी कड़ी में 1923 में महादेवी वर्मा ने महिला मुद्दों पर आधारित पत्रिका ‘चांद’ का दरोमदार संभाला। वहीं 1955 में उन्होंने इच्छाचन्द्र जोशी की मदद से इलाहाबाद में साहित्य सदन की स्थापना की।
भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी से खासा प्रभावित रहने वाली महादेवी वर्मा ने न सिर्फ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी कविताओं के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई बल्कि झांसी में कई स्वतंत्रता सैनानियों को मदद भी मुहैया कराई।
यहाँ पढ़ें : जवाहरलाल नेहरू की जीवनी
यहाँ पढ़ें : इन्दिरा गाँधी की जीवनी
महादेवी साहित्य संग्रहालय (mahadevi verma literary museum)
1937 में महादेवी वर्मा ने उत्तराखंड में नैनीताल से महज 25 किलोमीटर दूर उमागढ़ गांव में एक घर बनवाया। हादेवी वर्मा जब तक इस गांव में रहीं उन्होंने गांव की महिलाओं को शिक्षा के साथ-साथ गांव के लोगों को आर्थिक सहायता भी प्रदान की।
महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए महादेवी वर्मा द्वारा दिए गए योगदानो के कारण उनका नाम समाज सुधारकों की फेहरिस्त में जुड़ गया। इसी के साथ वर्तमान में महादेवी वर्मा के उत्तराखण्ड स्थित घर को ‘महादेवी साहित्य संग्रहालय’ में तब्दील कर दिया गया है।
महादेवी वर्मा के अनुसार महिलाओं की जिंदगी महज पत्नी और मां की भूमिका तक ही सीमित है। उनकी कविता ‘छा’ और ‘बिबिया’ में भी महिलाओं की शारीरिक और मानसिक परेशानियों की झलक देखी जा सकती है।
यहाँ पढ़ें : फ़िरोज़ गाँधी की जीवनी
यहाँ पढ़ें : मेनका गाँधी की जीवनी
महादेवी वर्मा का निधन (mahadevi verma death)
महादेवी वर्मा ने अपने जीवन का ज्यादातर समय इलाहाबाद में बिताया और आखिरकार साहित्य की दुनिया में अपनी अद्भुत छाप छोड़ने वाली महादेवी वर्मा ने 11 सितम्बर 1987 को इलाहाबाद में अतिंम सांस ली।(mahadevi verma famous lines)
पथ को न मलिन करता आना
पद चिन्ह न दे जाता जाना
सुधि मेरे आगम की जग में
सुख की सिहरन बन अंत खिली!
महादेवी वर्मा के पुरुस्कार (mahadevi verma awards and honours)
पुरुस्कार | साल |
पद्म भूषण | 1956 |
पद्म विभूषण | 1988 |
जनपीठ पुरुस्कार | 1982 |
साहित्य अकादमी पुरुस्कार | 1979 |
भारतीय साहित्य में महादेवी वर्मा का योगदान (mahadevi verma writer)
महादेवी वर्मा का नाम हिन्दी साहित्य के इतिहास में सुनहरे अक्षरों के साथ दर्ज है। उनका जीवन महिलाओं के अलावा साहित्य प्रेमियों के लिए भी मिसाल है। शायद यही कारण है कि 1979 में मशहूर फिल्म निर्देशक मृणाल सेन ने महादेवी वर्मा के जीवन पर आधारित बंगाली फिल्म ‘नील अक्षर नीचे’बनाई।
वहीं 14 सितम्बर 1991 में भारत सरकार ने महादेवी वर्मा और जयशंकर प्रसाद के सम्मान में स्टैम्प भी जारी किए थे। (mahadevi verma best poem)
चित्रित तू मैं हूँ रेखा क्रम,
मधुर राग तू मैं स्वर संगम
तू असीम मैं सीमा का भ्रम
काया-छाया में रहस्यमय
प्रेयसी प्रियतम का अभिनय क्या?
तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या?
यहाँ पढ़ें: अन्य महान व्यक्तियों की जीवनी
Reference-
20 march 2021, mahadevi verma Biography in Hindi, wikipedia