- Early life and Education of Sanjay Gandhi – शुरुवाती ज़िन्दगी और शिक्षा
- Political Career of Sanjay Gandhi – संजय गाँधी का पोलिटिकल करियर
- Controversy of Maruti Suzuki – मारुती सुजुकी विवाद
- Personal life of Sanjay Gandhi – संजय गाँधी की निजी ज़िन्दगी
- Death of Sanjay Gandhi and his legacy – संजय गाँधी की मृत्यु और उनकी विरासत
संजय गाँधी , भारतीय राजनेता थे और इन्दिरा गाँधी के छोटे बेटे थे। वे नेहरू गाँधी परिवार के सदस्य थे। संजय गाँधी का एक बहुत अच्छा राजनैतिक करियर रहा है। वे अपनी माता प्रधानमंत्री की मृत्यु के बाद भारत के प्रधानमंत्री हो सकते थे, अगर उनकी मृत्यु प्लेन हादसे में नहीं हुई होती। उनकी पत्नी और बेटा, भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख सदस्य हैं।
नाना/ Grand Father | जवाहर लाल नेहरू |
पिता/ Father | फ़िरोज़ गाँधी |
माता/ Mother | इन्दिरा गाँधी |
भाई/ Brother | राजीव गाँधी |
पत्नी/ Wife | मेनका गाँधी |
बेटा/ Son | वरुण गाँधी |

Early life and Education of Sanjay Gandhi – शुरुवाती ज़िन्दगी और शिक्षा
संजय गाँधी का जन्म साल 1946 में नई दिल्ली में हुआ था। वे फ़िरोज़ गाँधी और इन्दिरा गाँधी के छोटे बेटे थे। अपने बड़े भाई राजीव गाँधी की तरह, उन्हें भी दूँ स्कूल, देहरादून पढ़ने भेजा गया। संजय गाँधी ने अपनी ग्रेजुएशन नहीं की लेकिन उन्होंने ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग को अपना करियर बनाया और इंग्लैंड में रोल्स रॉयस में अपनी ऍपेरेंटिसशिप खत्म की।
संजय गाँधी को हवाई जहाज उड़ाने का व स्पोर्ट्स कार का भी शौक था। उनको हवाई करतब करना बहुत पसंद था और उन्होंने इस में कई पुरस्कार भी जीते थे। उनके बड़े भाई, राजीव गाँधी एयर इंडिया में थे। संजय गाँधी अपने घर में सबसे करीब अपनी माँ से थे।
Political Career of Sanjay Gandhi – संजय गाँधी का पोलिटिकल करियर
साल 1977 के आम चुनावों में, इन्दिरा गाँधी ने अपने छोटे बेटे संजय गाँधी को अमेठी की सीट से खड़ा किया। हालाँकि उस बार का चुनाव कांग्रेस हार गयी थी और उस वक़्त के गृह मंत्री, चौधरी चरण सिंह ने संजय गाँधी को कई धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। संजय गाँधी और इन्दिरा गाँधी को उस वक़्त जेल हो गयी।
जनता दाल अलायन्स, जिसने अपना पहला चुनाव साल 1977 में जीता था , उन सब लोगों को मिलाकर बना था जो इन्दिरा गाँधी से नफरत करते थे। साल 1979 में कुछ नेताओं की दोगुनी हिस्से दारी की वजह से कुछ दरारें आना शुरू हुई। इन सबके बीच, मोरारजी देसाई ने प्रधान मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रपति रेड्डी ने चरण सिंह को प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
इन्दिरा गाँधी और संजय गाँधी ने, चरण सिंह और उनकी पार्टी को बाहर से अपना समर्थन देने पर हामी भर दी। चरण सिंह से बस इन्दिरा गाँधी और संजय गाँधी ने अपने पर लगे सारे आरोपों को वापिस लेने को कहा। लेकिन चरण सिंह ने ऐसा करने से साफ़ मना कर दिया। इसके बाद कांग्रेस ने अपना समर्थन वापिस ले लिया और राष्ट्रपति ने पार्लियामेंट को भंग कर दिया।
1980 के आम चुनावों के लिए, संजय गाँधी, जामा मस्जिद के शाही इमाम के साथ मुसलमानो के वोटों पर बातचीत की और इसका 1980 के चुनावों में हुआ भी। कांग्रेस पार्टी फिर से सत्ता में आ गयी।
Controversy of Maruti Suzuki – मारुती सुजुकी विवाद
साल 1971 में, इंदिरा गाँधी की कैबिनेट ने ” जनता की कार “ का प्रोडक्शन शुरू करने का फैसला किया। ये एक ऐसी कार थी, जो भारत के आम आदमी के लिए बनी थी। इसी साल जून में, इस काम के लिए एक कंपनी, कम्पनीज एक्ट के तहत बनाई गयी।
संजय गाँधी को उस कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया। बिना किसी तजुर्बे के, ये नयी तरह की कार बनाने का कॉन्ट्रैक्ट संजय गाँधी को उपहार में दे दिया गया। इस बात पर कई सवाल उठे और सारे सवाल इन्दिरा गाँधी को निशाना बना रहे थे। लेकिन जब इन्दिरा गाँधी ने बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई जीती तो सारे आलोचक शांत हो गए।
इस कंपनी ने एक भी कार नहीं बनाई। जो टेस्ट मॉडल को कॉम पानी की तरक्की प्रदर्शित करने के लिए लगाया गया था उसकी काफी आलोचना हुई। सब संजय गाँधी के खिलाफ हो गए और सब इसको भ्रष्टाचार का एक प्रकार कहने लगे। संजय ने वॉक्सवॉगन के साथ करार किया, और मारुती की टेक्नोलॉजी को और बेहतर करने पर बात की। लेकिन इमरजेंसी के समय, वे राजनीति में इतने व्यस्त हो गये की वे मारुती पर ध्यान दे ही नहीं पाए और मारुती बेगार हो गयी।
साल 1977 में जब जनता अलायन्स सत्ता में आया तो उसने मारुती कंपनी को खत्म कर दिया।
साल 1980 में संजय गाँधी की मृत्यु के बाद, वी. कृष्णमूर्ति, जो की एक जाने माने उद्योगपति थे, ने मारुती को दुबारा शुरू करने का फैसला किया। जापान की कंपनी ” सुजुकी “ को कार का डिज़ाइन बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया। जब सुजुकी को पता चला की भारतीय सरकार ने कार बनाने का कॉन्ट्रैक्ट वोल्क्सवॉगन को भी दिया है तो उन्होंने अपना काम तेज़ कर दिया और भारत की सबसे पहली जनता कार ” मारुती सुजुकी 800 “ बनकर तैयार हुई।
यहाँ पढ़ें : मेनका गाँधी की जीवनी
Personal life of Sanjay Gandhi – संजय गाँधी की निजी ज़िन्दगी
संजय गाँधी की शादी मेनका गाँधी से साल 1974 में हुई थी । मेनका गाँधी की उम्र, संजय गाँधी से 10 साल छोटी थीं। उनके बेटे, वरुण गाँधी का जन्म उनकी मृत्यु से थोड़ा पहले ही हुई थी। मेनका गांधी और वरुण गाँधी ने आगे चल के भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गया।
Death of Sanjay Gandhi and his legacy – संजय गाँधी की मृत्यु और उनकी विरासत
संजय गाँधी की मृत्यु साल 1980 में, एयर प्लेन क्रैश में सर पर चोट लगने सफदरजंग एयरपोर्ट के पास हो गयी थी। वे दिल्ली फ्लाइंग क्लब का नया हवाई जहाज उड़ा रहे थे, और एक हवाई करतब दिखाते वक़्त उनका कण्ट्रोल उस हवाई से छूट गया और वो प्लेन, क्रैश हो गया। उनकी मृत्यु फलीतु की करतब बाज़ी की वजह से हो गया।
राजीव गाँधी, उनके बड़े भाई जो एयर इंडिया में काम करते थे, वे उनको कहा करते थे की संजय गाँधी कॉकपिट में कोल्हापुरी चप्पल के बजाये ढंगके जूते पहना करें। लेकिन वे नहीं मानते थे।
उस रोज़ भी नहीं माने। संजय के साथ साथ उस विमान में सवार कप्तान सुभाष सक्सेना ने भी अपनी जान इसी हवाई क्रैश में गवा दी। विकीलीक्स के मुताबिक, संजय गाँधी पर 3 बार हमला हुआ लेकिंन वे बच गए। उन की मृत्यु भावै करतब दिखाते हुए हो गयी, जब वो काम ऊंचाई पर अपना विमान उड़ा रहे थे।
मेनका गाँधी के अनुसार, संजय गाँधी अपने परिवार को जोरास्ट्रियन तरीके से पालना चाहते थे।
संजय गाँधी की मृत्यु के बाद, उनकी माँ, इन्दिरा गाँधी ने उनके बड़े बेटे राजीव गाँधी को राजनीति में लाने का फैसला किया। इन्दिरा गाँधी की हत्या के बाद राजीव गाँधी को भारत का प्रधान मंत्री बनाया गया। लेकिन ये कहा जाता है की अगर संजय गाँधी ज़िंदा होते तो बाद उन्हें ही प्रधानमंत्री बनाया जाता। मृत्यु के बाद मेनका गाँधी और उनके वरुण गाँधी को घर से निकाल दिया गया। और बाद में मेनका गाँधी और वरूण गाँधी ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर्ली और मौजूदा दिनों में वे भारतयीय जनता पार्टी से लोक सभा के सदस्य हैं।
References
- 2020, The Biography Of Sanjay Gandhi, Wikipedia
- 2020, संजय गाँधी की जीवनी, विकिपीडिया