फ़िरोज़ गाँधी, भारतीय पत्रकार , राजनेता और स्वतंत्रता सैनानी थे। उन्होंने, नेशनल हेराल्ड और नवजीवन जैसे कई अखबार भी प्रकाशित किये। फ़िरोज़ गाँधी, साल 1950 और 1952 में पार्लियामेंट के सदस्य भी रहे। वे लोक सभा के मेंबर भी बनें।
पिता/ Father | जहांगीर घंडी |
ससुर/ Father- in – law | जवाहर लाल नेहरू |
पत्नी/ Wife | इंदिरा गाँधी |
पुत्र/ Son | राजीव गाँधी, संजय गाँधी |
पोते/ Grand sons | राहुल गाँधी, वरुण गाँधी |
पोती/ Grand daughter | प्रियंका गाँधी |
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Early life and Education – शुरुवाती ज़िन्दगी और शिक्षा
फ़िरोज़ गाँधी का जन्म 1912 में, मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता जी , किलिक निक्सन में मरीन इंजीनियर थे और उसके बाद उनका प्रमोशन वारंट इंजीनियर के पद पर हो गया। उन्होंने गाँधी जी से प्रेरित होकर अपने नाम के आगे ” गाँधी ” लगाना शुरू कर दिया। फ़िरोज़ गाँधी अपने घर में सबसे छोटे बेटे थे। उनका पुरा परिवार गुजरात के भरूच से मुंबई आये थे।
1920 में उनके पिताजी की मृत्यु के बाद उनकी माँ और वो अलाहबाद अपनी मौसी के यहां चले गए। फ़िरोज़ गाँधी ने अपनी शुरूवाती पढ़ाई विद्या मंदिर हाई स्कूल से की और बाद में ग्रेजुएशन के लिए इविंग क्रिस्चियन कॉलेज चले गए।
Family and Career of Feroze Gandhi – फ़िरोज़ गाँधी का परिवार और उनका करियर
साल 1930 में, कांग्रेस के द्वारा वानर सेना का गठन हुआ। वे लोग इविंग क्रिस्चियन कॉलेज के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। और वहाँ ही पहली बार फ़िरोज़ गाँधी, कमला नेहरू और इंदिरा गाँधी से मिले। उसी प्रदर्शन के दौरान कमला नेहरू बेहोश हो गयीं और फ़िरोज़ गाँधी ने उनकी काफी मदद की। इस वाकिये के बाद फ़िरोज़ खान ने अपनी आगे की पढ़ाई छोड़ दी और आज़ादी की लड़ाई में सबके साथ शामिल हो गए।
फ़िरोज़ गाँधी ने पहली बार इंदिरा गाँधी से 1933 में अपने प्यार का इज़हार किया लेकिन कमला नेहरू और इंदिरा गाँधी ने ये कहिते हुए इंकार कर दिया कि अभी इंदिरा काफी सिर्फ 16 साल की हैं। इसके बाद फ़िरोज़ गाँधी, नेहरू परिवार के काफी करीब हो गए, ख़ास कर के कमला नेहरू के। उन्होंने, कमला नेहरू की टी. बी. के इलाज साथ काफी सफर किया, और जब उनकी मृत्यु हुई, तो वे उनके साथ थे। इन्ही कुछ वर्षों में, इंदिरा गाँधी और फ़िरोज़ गाँधी की नज़दीकियां बढ़ गयीं और उन्होंने 1942 में हिन्दू रीति रिवाज़ों से शादी करली।
जवाहर लाल नेहरू उन दोनों की शादी के विरोध में थे। उन्होंने महात्मा गाँधी से भी विवाह रोकने को कहा लेकिन कोई भी इनदोनो का विवाह नहीं रोक पाया। दोनों ने ही अपने जीवन के कई साल एक साथ जेल में काटे और 1944 और 1946 मैं अपने बेटों के जन्म के बाद दोनों ने ही काफी अच्छा समय एक साथ व्यतीत किया।
आज़ादी के बाद, फ़िरोज़ गाँधी ने अपने ससुर का अखबार, दी नेशनल हेराल्ड के डायरेक्टर बनें। फ़िरोज़ गाँधी ने आज़ादी के बाद 1952 में पहली बार आम चुनावों में राय बरेली की सीट से जीत के आये। दूसरी बार भी जब चुनाव हुए तो उन्होंने जीतब हासिल करी। उस वक़्त इंदिरा जी दिल्ली में पार्टी का कैंपेन संभाल रहीं थी। पूरे शासन का में उन्होंने कई घोटालों को उजागर किया।
फ़िरोज़ गाँधी ने जीवन बीमा निगम ( एल. आई. सी. ) की नीव रखी। साथ ही साथ उन्होंने टाटा जैसी कई प्रमुख कंपनियों को नेशनल कंपनियां बनाने की बात भी रखी। आने वाले कई सालों में फ़िरोज़ गाँधी एक ताक़तवर नेता के रूम में उभर के आये और कई बुरे कामों पर उन्होंने सरकार को चुनौतियां भी दी।
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Death of Feroze Gandhi and his legacy – फ़िरोज़ गाँधी की मृत्यु और उनकी विरासत
1958 में फ़िरोज़ गाँधी को पहला हार्ट अटैक आया था। उस वक़्त इंदिरा अपने पिता प्रधान मंत्री के साथ तीन मूर्ति हाउस में रहती थीं। और उस वक़्त भूटान के दौरे पर गयी हुई थीं। उन्होंने लौट कर कश्मीर में फ़िरोज़ गाँधी के पास जाने का फैसला लिया। 1960 में उन्हें दूसरी बार दिल का दौरा पड़ा और वहीँ उन्होने अपनी जान गवा दी। पारसी रीति रिवाजों से उनका अंतिम संस्कार किया गया।
उनके बाद उनके चुनावी क्षेत्र से कई सालों तक उनकी बहु, सोनिआ गांधी ने जीत हासिल की।
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reference
2020, The Biography of Feroze Gandhi, Wikipedia
2020, फ़िरोज़ गाँधी की जीवनी, विकिपीडिया