- ज्योतिरादित्य सिंधिया जीवनी | jyotiraditya scindia ki jivani | ज्योतिरादित्य सिंधिया का जीवन परिचय | jyotiraditya scindia biography in hindi
- शुरुआती जीवन – Jyotiraditya scindia jeevani
- ज्योतिरादित्य सिंधिया का परिवार -(Jyotiraditya scindia family)
- ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक जीवन – (Jyotiraditya scindia political career)
- सासंद ज्योतिरादित्य सिंधिया – (Jyotiraditya scindiamp)
- राजनेता के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया
- कांग्रेस सरकार के रईस सासंद ज्योतिरादित्य सिंधिया(Jyotiraditya scindia total assests)
- 2019 के लोकसभा चुनावों में हारे ज्योतिरादित्य सिंधिया – Jyotiraditya scindia 2019 election
- बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया – Jyotiraditya scindiajoins bjp
- jyotiraditya Scindia ki jivani – FAQ
1947 में आजादी के बाद ग्वालियर रियासत भारत का हिस्सा बन गई। जिसके बाद सिंधिया परिवार ने राजनीति का रुख किया। नतीजतन सालों से सियासत में एक्टिव रहा सिंधिया राजघराने का हर चेहरा किसी पहचान का मोहताज नहीं है। विजयाराजे सिंधिया से लेकर माधवराव सिंधिया, माधवी राजे सिंधिया, वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया का नाम देश की मशहूर राजनीतिक शख्सियतों में शुमार है। इसी कड़ी में एक नाम पूर्व कांग्रेस नेता और बीजेपी से राज्यसभा सासंद ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी शामिल है। (Jyotiraditya scindia biography)
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ज्योतिरादित्य सिंधिया जीवनी | jyotiraditya scindia ki jivani | ज्योतिरादित्य सिंधिया का जीवन परिचय | jyotiraditya scindia biography in hindi
नाम(Name) | ज्योतिरादित्य सिंधिया |
जन्म तिथि | 1 जनवरी 1971 |
जन्म स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र |
आयु | 50 |
माता | माधवी राजे सिंधिया |
पिता | माधव राव सिंधिया |
पत्नी | प्रियदर्शनी राजे सिंधिया |
बेटा | महानारायणम राजे सिंधिया |
बेटी | अनन्या राजे सिंधिया |
राजनीतिक पार्टी | भारतीय जनता पार्टी (BJP) |
शुरुआती जीवन – Jyotiraditya scindia jeevani
ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 को मुंबई में हुआ था। ग्वालियर के राज घराने से ताल्लुक रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया और माता माधवी राजे सिंधिया सियासत की मशहूर राजनीतिक हस्ती रह चुकें हैं।वहीं सिंधिया परिवार कुर्मी वर्ग (Jyotiradityas scindia cast) से संबध रखता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी शुरुआती स्कूली पढ़ाई मुंबई से ही की। जिसके बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए देहरादून चले गए। (Jyotiraditya scindia education)
इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन्स कॉलेज में दाखिला लिया और साल 1993 में उन्होंने लंदन के हॉवर्ड विश्विविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक (Jyotiraditya scindia qualification) किया। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बिजनेस विषय में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की।
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ज्योतिरादित्य सिंधिया का परिवार -(Jyotiraditya scindia family)
ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता माधवी राजे सिंधिया (किरण राज्य लक्ष्मी देवी) (Jyotiraditya scindia mother) नेपाल के प्रधानमंत्री की पोती और भारतीय सियासत का हिस्सा थीं। वहीं उनके पिता माधवराव सिंधिया (Jyotiraditya scindia father) कांग्रेस के कद्दावर नेता थे।
ग्वालियर के राजघराने की विरासत को संवारने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का परिवार सियासी गलियारों (Jyotiraditya scindia family history) में हमेशा एक्टिव रहा है।ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया (Jyotiraditya scindia grand mother) 1957 में कांग्रेस से जुड़ी थी। वहीं विजया राजे सिंधिया भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने वाली शुरूआती नेताओं में से एक थीं।
वहीं उनकी बुआ वसंधरा राजे राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और यशोधरा राजे सिंधिया बीजेपी के प्रभावशाली हस्ती हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की निजी जिंदगी –
ग्वालियर के आलीशान महल जय विलास भवन (Jyotiraditya scindia house) में रहने ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात साल 1991 में गायकवाड़ राजपरिवार की राजकुमारी प्रियदर्शनी राजे गायकवाड़ से हुई। जिसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिसंबर 1994 में प्रयदर्शनी (Jyotiradityascindia wife) के साथ सात फेरे लिए।
प्रयदर्शनी राजे सिंधिया का नाम फैमाइन ने भारत की पचास सबसे खूबसूरत महिलाओं में शामिल किया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रयदर्शनी राजे सिंधिया के बेटे का नाम महानायणम राजे सिंधिया और बेटी का नाम अनन्या राजे सिंधिया (Jyotiradityascindia daughter) है।
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ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक जीवन – (Jyotiraditya scindia political career)
30 सितंबर 2001 के दिन एक प्लेन क्रैश के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता और कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। परिवार में सियासी माहोल के बावजूद सत्ता से दूर रहने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिता की मृत्यु के बाद राजनीति से रूबरू होने का फैसला किया।
लिहाजा ज्योतिरादित्य सिंधियाने 18 दिसंबर को औपचारिक रूप से कांग्रेस (Jyotiraditya scindia congress) का हाथ थाम लिया। राजनीति की मुख्यधारा का हिस्सा बनने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता के संसदीय क्षेत्र मध्यप्रदेश की गुना सीट को अपनी संसदीय सीट चुना।
सासंद ज्योतिरादित्य सिंधिया – (Jyotiraditya scindiamp)
24 फरवरी 2002 के दिन गुना में उपचुनावों का एलान किया गया। जहां संसदीय उम्मीदवार के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया हाल ही में राजनीति की पिच पर उतरे थे, वहीं उन्हें टक्कर देने के लिए बीजेपी उम्मीदवार देशराज सिंह यादव मैदान में मौजूद थे।
हालांकि पिता के संसदीय क्षेत्र में अपनी सादगी से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोगों को अपना कायल बना लिया, जिसके बाद चुनावी नतीजे खासे चौंकाने वाले थे। दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पहले ही संसदीय चुनाव में देशराज को लगभग 4,50,000 वोटों के साथ करारी शिकस्त देने में कामयाब रहे।
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केंद्रीय मंत्री के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya scindia cabinet minister)
2002 में गुना सीट पर हुए उपचुनावों के महज दो सालों बाद 2004 में लोकसभा चुनावों का आगज हुआ। इन आम चुनावों में जनता ने एक बार फिर गुना सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम पर मुहर लगा दी।
पांच सालों तक बतौर सासंद संसद के सदन से लेकर अपने संसदीय क्षेत्र में सक्रिय रहने के चलते 2009 के आम चुनावों में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारी जनमत हासिल किया।
कम समय में ही सियासी सरजमीं पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें चहेती राजनीतिक हस्ती बना दिया। लिहाजा 2009 के आम चुनावों के बाद कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्रीय मंत्री बनाने का एलान कर दिया।
इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सूचना प्रसारण मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय सहित कई महत्वपूर्ण पदभार संभाले।
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राजनेता के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया
आजादी के बाद दिल्ली को सत्ता का केंद्र बनाने में कई रियासतों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें एक नाम ग्वालियर रियासत का भी शामिल था। बावजूद इसके सियासत ने बेशक दिल्ली का दामन थाम लिया था लेकिन ग्वालियर जैसी कई रियासतों की साख आजादी के कई सालों बाद भी जनता के जहन में जस की तस बरकरार है।
ऐसे में सिंधिया राजपरिवार से राजनीति का हिस्सा बने ज्योतिरादित्य सिंधिया को जनता के बीच खास बनने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। हालांकि राज घराने से ताल्लुक होने के बाद भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की जनता के बीच खास से आमबनने की जद्दोजहद ने उन्हें जनता का चहेता राजनेता बना दिया।
नतीजतन ज्योतिरादित्य सिंधिया की सादगी पसंद शख्सियत के चलते न सिर्फ जनता से उन्हें जमकर सरहाना मिली बल्कि उन्होंने बेहद कम उम्र में राजनीति के कई रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिए।
कांग्रेस सरकार के रईस सासंद ज्योतिरादित्य सिंधिया(Jyotiraditya scindia total assests)
साल 2004 के लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र की गद्दी पर काबिज हुई कांग्रेस ने 2009 के आम चुनावों में भी प्रचंड बहुमत हासिल किया। इसी के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी दोनों चुनावों में अपने संसदीय क्षेत्र गुना से जीत हासिल की।
ऐसे में राजघराने के वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम देश के अमीर सासंदों की फेहरिस्त में शुमार हो गया। दरअसल UPA सरकार में सासंद रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया 16 करोड़ की इंवेस्टमेंट और 5.7 करोड़ के गहनों के साथ लगभग 25 करोड़ की सम्पत्ति के मालिक रहे।
2019 के लोकसभा चुनावों में हारे ज्योतिरादित्य सिंधिया – Jyotiraditya scindia 2019 election
2002 में सियासी सरजमीं पर कदम रखने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजनीति के सभी दांव पेंच में बाजी मारी। मध्यप्रदेश की गुना सीट को अपना संसदीय क्षेत्र चुनने के बाद उन्होंने 2002 के उपचुनावों में जीत हासिल की।
इसी कड़ी में साल 2004, 2009 और यहां तक 2014 के आम चुनावों में जब समूचा देश हर हर मोदी, घर घर मोदी का जयघोष कर रहा था, तब भी गुना की जनता ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही अपना नुमाइंदा चुना।
हालांकि सत्ता के गलियारों में मशहूर राजनीतिक शख्सियत बन चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 के आम चुनावों के नतीजे खासे चौंकाने वाले थे। इन चुनावों में बीजेपी के कृष्ण पाल सिंह यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को मात दे दी और इसी के साथ सालों से सिंधिया परिवार की राजनीतिक विरासत का गढ़ रही गुना सीट बीजेपी के खाते में आ गयी।
बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया – Jyotiraditya scindiajoins bjp
2017 में देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों का आगाज हुआ। इन राज्यों में मध्यप्रदेश का नाम भी शामिल था। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत ने बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत के एजेंडे को फेल कर दियाऔर मुख्यमंत्री बने कमलनाथ सिंह।
इसी के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को उपमुख्यमंत्री (Jyotiradityascindiadeputy cm) बनाया गया। हालांकि कई राजनीतिक विश्लेषकों ने कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले से नाराजगी जताते हुए मध्यप्रदेश में कांग्रेस जीत का सहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया के सर पर बांधा।
बावजूद इसके राजनीति के सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका उस वक्त लगा,जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का हाथ छोड़ कर बीजेपी का दामन थामने का फैसला किया।
दरअसल 10 मार्च 2020 के दिन ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस से इस्तीफा (Jyotiradityascindia quits congress) देने के फैसले ने जमकर सूर्खियां बटोरीं। इसी कड़ी में 11 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने औपचारिक रूप से बीजेपी में शामिल होने का एलान कर दिया।
वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के कई सासंदो ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। जिसके कारण मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने बहुमत खो दिया और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी ने राज्य की बागडोर अपने हाथ में ले ली। 19 जून 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश से राज्यसभा
A सासंद के रूप में संसद पहुंचे।
jyotiraditya Scindia ki jivani – FAQ
What is jyotiraditya Scindia doing now? – ज्योतिरादित्य सिंधिया अब क्या कर रहे हैं?
सिंधिया भारत में क्षेत्रीय मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (MPCA) के अध्यक्ष हैं।
Who is Scindia caste? – सिंधिया जाति कौन है?
सिंधिया राजवंश (शिंदे से मिला हुआ और महाराष्ट्र में शिंदे के रूप में भी लोकप्रिय है), कुनबी मूल का एक हिंदू मराठा राजवंश है जिसने ग्वालियर के तत्कालीन राज्य पर शासन किया था। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, सिंधिया परिवार के कई सदस्य भारतीय राजनीति में शामिल हो गए।
Who is the father of jyotiraditya Scindia? – ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता कौन हैं?
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता जी का नाम माधवराव सिंधिया है।
How old is jyotiraditya Scindia? – ज्योतिरादित्य सिंधिया कितने साल के हैं?
50 वर्ष (1 जनवरी 1971)
What is the name of jyotiraditya Scindia son? – ज्योतिरादित्य सिंधिया बेटे का नाम क्या है?
ज्योतिरादित्य सिंधिया बेटे का नाम महानारायण सिंधिया है।
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Reference-
जनवरी 2021, ज्योतिरादित्य सिंधिया जीवनी, विकिपीडिया