भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता अमित शाह देश की राजनीति का एक मशहूर चेहरा हैं। न्यू इंडिया में किंग मेकर की भूमिका निभाने वाले शाह ने लंबे अंतराल के बाद सत्ता में बीजेपी के कमबैक में उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जितनी की प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने।
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कहते हैं कि पीएम मोदी अगर बीजेपी का पहचान हैं तो शाह हनुमान, जिन्होंने पार्टी को हर संकट से उबार कर देश में बीजेपी की जड़ों को और भी गहरा बना दिया, तो वहीं पीएम मोदी (PM Modi) को देश का सबसे चहेता चेहरा भी शाह ने ही बनाया। ये मोदी-शाह (Modi-shah) फैक्टर का ही कमाल था, जिसने एक तरफ कांग्रेस मुक्त भारत का बिगुल फूंका तो दूसरी तरफ बीजेपी की वापसी का शंखनाद भी कर दिया। नतीजतन आज बीजेपी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।
अमित शाह की जीवनी | Amit Shah Biography in Hindi | amit shah ki jivani
नाम / Name | अमित शाह |
जन्म तिथि / amit shah birthday | 22 अक्टूबर 1964 |
जन्म स्थान / Birth Place | मुंबई, महाराष्ट्र |
माता / amit shah mother | कुसुमबेन शाह |
पिता / amit shah father | अनिलचन्द्र शाह |
पत्नी / amit shah wife | सोनल शाह |
बेटा / amit shah son | जय शाह |
राजनीतिक पार्टी / Political Party | भारतीय जनता पार्टी (BJP) |
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अमित शाह का शुरूआती जीवन
अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में हुआ था। शाह गुजराती हिंदू वैषणव परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जोकि बनिया (amit shah caste) हैं। अंग्रेजों के समय शाह के दादा जी गांधीनगर के मनसा में नगरसेठ थे। वहीं शाह के पिता मनसा के मशहूर बिजनेसमैन थे। अमित शाह ने गुजरात के मेहसाणा से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद अहमदाबाद से बॉयोकेमस्ट्री में बी.एस.सी (amit shah education) की डिग्री हासिल की। जिसके बाद शाह ने अपने पिता के साथ उनके व्यापार में हाथ बंटाना शुरू कर दिया।
शाह काफी कम उम्र से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़ गए थे। शाह अक्सर RSS की स्थानीय शाखाओं के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते थे। साल 1982 में पहली बार उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी से हुई थी। उस दौरान मोदी बतौर प्रचारक RSS में तैनात थे।
निजी जिंदगी (amit shah family)
अमित शाह अपनी निजी जिंदगी में अपनी माता के सबसे ज्यादा करीब थे। साल 2010 में उनकी मृत्यु के चलते अमित शाह को गहरा धक्का लगा था। हालांकि उनके पारिवारिक जीवन की बात करें तो शाह ने सोनल शाह (sonal shah) के साथ सात फेरे (amit shah wife) लिए हैं। वहीं जय शाह (jay shah) उनके इकलौते बेटे (amit shah son) हैं। शाह को बेहद करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि वो अपनी निजी जिंदगी में हर किसी से सरोकार न रख कर, बहुत कम लोगों के करीब रहना पसंद करते हैं।
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Amit shah की राजनीति में एंट्री | Member of the Lok Sabha
बचपन से RSS के जरिए राजनीति में रूची रखने वाले अमित शाह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत साल 1983 में की। जब शाह पहली बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र अध्यक्ष बने। इस दौरान राजनीति में शाह की दिलचस्पी बढ़ती गयी और उन्होंने साल 1987 में भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया। इसी के साथ शाह औपचारिक रूप से राजनीति का हिस्सा बन गए और मात्र एक साल बाद पीएम मोदी भी बीजेपी में शामिल हो गए।
इस दौरान शाह भारतीय जनता युवा मोर्चा के सदस्य बने और फिर बीजेपी के कई महत्वपूर्ण पदों का भी कार्यभार संभाला। हालांकि राजनीति की मुख्यधारा से शाह का सरोकार उस वक्त हुआ जब साल 1991 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने बीजेपी नेता लाल कृष्ण अडवाणी की गांधीनगर स्थित रैली का मोर्चा संभाला। लेकिन इन चुनावों में बीजेपी हार गयी और कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में आ गयी।
वहीं गुजरात की सरजमी पर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में मोदी-शाह की मेहतन रंग लाई और साल 1995 में गुजरात में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी और मुख्यमंत्री बने केशुभाई पटेल। बीजेपी की ये जीत गुजरात के शहरी इलाकों की देन थी, वहीं गुजरात के गांवों में अभी भी कांग्रेस का परचम बुलंद था। जाहिर है ऐसे में मोदी-शाह की अगली चुनौती उनके सामने थी। इस दौरान दोनों दिग्गज नेताओं ने जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया और देखते ही देखते कांग्रेस का पत्ता गुजरात से लगभग साफ कर दिया।
कुछ ही दिनों में मोदी-शाह की जोड़ी गुजरात की राजनीति का मशहूर किस्सा बन गई। ये अमित शाह और पीएम मोदी की प्रख्यात शख्सियत का ही परिणाम था कि साल 2001 में नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया गया। यह वो दौर था जब सत्ता के गलियारों में बीजेपी के सितारे बुलंदी पर थे। साल 1995 में गुजरात से शुरू हुआ जीत का यह सिलसिला दिल्ली तक गया और आखिरकार दिल्ली की गद्दी पर भी बीजेपी काबिज हो गई, प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी वाजपेयी।
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आलम यह था कि केंद्र में वाजपेयी और गुजरात में मोदी-शाह सियासी गलियों का चहेता चेहरा बन गए थे। लिहाजा समय का पूरा फायदा उठाते हुए मोदी-शाह ने एक-एक कर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को मात देनी शुरू कर दी। इसी कड़ी में साल 2002 में गुजरात में विधानसभी चुनावों की घोषणा हो गई। मोदी को मुख्यमंत्री बने लगभग एक साल ही हुए थे कि गुजरात में चुनावों का शंखनाद उनके कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड पेश करने वाला था। इस दौरान अमित शाह ने सारखेज सीट को अपना चुनावी क्षेत्र चुना।
मोदी-शाह की जुगलबंदी गुजरात की जनता के भी रास आ गई और गुजरात में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बन गई। बीजेपी की इस जीत के साथ ही गुजरात में पहली बार मोदी सरकार बनी और शाह इस सरकार के सबसे युवा मंत्री। मोदी सरकार में शाह को एक-दो नहीं बल्कि 12 महत्वपूर्ण मंत्रालयों मसलन गृह मंत्रालय, सुरक्षा, कानून, न्याय, सीमा सुरक्षा, नागरिक सुरक्षा, ट्रांसपोर्ट सहित कई मंत्रालयों का कार्यभार सौंपा गया।
सियासत की हर जिम्मेदारी पूरी करने वाले अमित शाह ने बतौर मंत्री इन कामों को भी बखूबी निभाया। नतीजतन साल 2007 के विधानसभा चुनावों में न सिर्फ अमित शाह ने सारखेज सीट से ही जीत हासिल की बल्कि बीजेपी ने भी भारी मतों से गुजरात की सत्ता में वापसी की।
Amit Shah का राष्ट्रीय राजनीति से सरोकार
साल 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी प्रधानमंत्री पद का चेहरा बने तो अमित शाह उनके शाहगिर्द। गुजरात के विकास मॉडल से लेकर कांग्रेस मुक्त भारत के नारे तक, मोदी लहर से लेकर मोदी की लोकप्रयता तक चुनावों की सभी सरगर्मी के पीछे असल में अमित शाह ही थे। इन चुनावों में शाह चुनावी रैलियों की अगवानी कर रहे थे।
हालांकि इस दौरान मोदी और शाह पर BJP के कई दिग्गज नेताओं मसलन लाल कृष्ण अडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज और जसवंत सिंह जैसे नेताओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगा। बावजूद इसके मोदी-शाह के विजय रथ ने जीत का परचम बुलंद किया और पूरे एक दशक बाद बीजेपी ने केंद्र में वापसी की।
सियासी दांव पेंच का बखूबी इस्तेमाल करने वाले शाह को बीजेपी का चाणक्य कहा जाता है। दिल्ली में दस्तक देने के साथ ही बीजेपी की बागडोर मोदी-शाह के हाथों में थी। सत्ता में आने के बाद मोदी ने देश की कमान संभाली तो शाह ने बीजेपी की। बतौर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस मुक्त भारत के सपने को सच कर दिखाया और आलम ये था कि देश के आधे से ज्यादा राज्यों पर बीजेपी काबिज हो गई।
बीजेपी के चाणक्य – Amit Shah
साल 2014 में बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद अमित शाह राष्ट्रीय सियासत की मुख्यधारा का हिस्सा बन गए। पार्टी की कमान संभालते ही शाह ने बीजेपी के विजय रथ की कुछ इस कदर नुमाइंदगी की एक वक्त पर बीजेपी अजेय प्रतीत होने लगी थी।
साल 2016 में पांच राज्यों महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, झारखंड और असम के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने जीत हासिल की। हालांकि देश के अहम राज्यों में जीत का जश्न मना चुकी बीजेपी देश की राजधानी में ही हार गई। इसी साल दिल्ली और बिहार के विधानसभी चुनावों में बीजेपी का विजय रथ रूक गया।
बावजूद इसके शाह के नेतृत्व ने पार्टी के हौसले पर आंच तक नहीं आने दी। जिसका नतीजा था कि देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड और मणिपुर में भी बीजेपी ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की।
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आखिरकार अपनी फतह हासिल करने के अंदाज के चलते शाह को बीजेपी का चाणक्य कहा जाने लगा। शाह ने कभी भी पार्टी के कार्यकर्ताओं और देश की जनता के विश्नास में सेंध नहीं लगने दी।
दिल्ली की सियासत में शानदार पांच साल बीतने के बाद साल 2019 के लोक सभा चुनावों का आगाज हुआ। शाह के सामने एक बार फिर मोदी सरकार के वापसी की चुनौती थी। लिहाजा साल 2014 में ‘अबकी बार मोदी सरकार’ का नारा 2019 में ‘अबकी बार 300 पार’ के नारे में तब्दील हो गया। चुनावों की घोषणा के साथ ही बीजेपी की जीत का सारा दारोमदार शाह पर ही थी। वहीं बीजेपी के राष्ट्र अध्यक्ष ने पार्टी को निराश नहीं होने दिया और इस बार बीजेपी पहले से भी भारी बहुमत के साथ केंद्र में काबिज हो गई।
गृहमंत्री के रूप में अमित शाह
2019 में जीत का परचम फहराने वाली बीजेपी एक बार फिर शाह के नेतृत्व में महागठबंधन को मात देकर देश की सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी। लेकिन इस बार शाह ने बीजेपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने का फैसला किया। 30 मई 2019 को अमित शाह ने बतौर कैबिनेट मंत्री शपथ ग्रहण की और देश के गृह मंत्रालय का कार्यभार संभाला।
केंद्र में मोदी की वापसी और गृह मंत्री के रूप में शाह की जुगलबंदी फिर से एक साथ थी। जाहिर है देश की सियासत में बड़े बदलावों की सुगबुगाहट आम बात थी। आखिरकार इन कयासों पर 5 अगस्त 2019 को मुहर लग गई, जब संसद के सदन में गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 हटाने की घोषणा कर दी और शाह के इस एक अहम फैसले ने देश का नक्शा बदल कर रख दिया। जिसके तहत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया।
यह तो बस शुरूआत थी। गृह मंत्री के रूप में अमित शाह ने कई बड़े मुद्दों को राजनीति से रूबरू कराया। इसमें NRC और नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAA) महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक थे। इसी के साथ बतौर गृह मंत्री शाह ने कई अहम फैसलों के तहत देश की सियासत की तस्वीर भी बदल कर रख दी।
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Reference –
2020, Amit Shah, Biography,Wikipedia
2020, Amit Shah, jivani,Wikipedia in Hindi