बुखार के घरेलू उपाय – Home Remedies For Fever in Hindi

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आयुर्वेद के अनुसार हर कोई अपने संपूर्ण जीवन में कम से कम एक बार बुखार नामक बीमारी से पीड़ित होता है। आयुर्वेद में बुखार ज्वर के नाम से जाना गया है। वर्तमान के समय में जैसे बुखार एक आम बात हो गई है, वातावरण में बदलाव, खाने पीने में असावधानी, ऋतुओं का बदलना, शारीरिक या मानसिक थकान जैसे अनगिनत कारण हो सकते है।

बुखार क्या है? – What is Fever?

बुखार में शरीर का तापमान बढ़ जाता है और शरीर अपने नॉर्मल कार्य नॉर्मल तापमान पर ही यथा रूप से कर सकती है। लेकिन, तापमान बढ़ने से बॉडी में कई सामान्य कार्य रुक जाते है और बॉडी बीमार और शक्तिहीन हो जाता है यही बुखार की प्राथमिक समझ है।

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में तापमान बढ़ जाना ही मात्र बुखार का लक्षण ना होकर अच्छी तरह से भूख ना लगना और चेहरे पर से चमक उड़ जाना आदि विगतवार लक्षणों के साथ समझ बताई गई है।

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बुखार क्यों होता है? – Why Do We Get Fever?

जहा तक हमने सुना होता है उन पर बुखार यानी किसी इंफेक्शन का परिणाम जैसे के बैक्टीरिया, वायरस,फंगस प्रोटोजोआ, पैरासाइट जैसे सूक्ष्म कीटाणु का हमारी शरीर में पानी खुराक या मच्छर आदि तरह से मुंह – श्वास के द्वार से शरीर में प्रवेश करते है। यह हमारे शरीर में फैलते है और इंफेक्शन फैलता है। इस अवस्था में हमारी बॉडी की इम्यून सिस्टम सक्रिय होती है और इस इन्फेक्शन से लड़ती है।

ऐसे इन्फेक्शन कहीं बार दिन में बॉडी पर अटैक करते है पर जब हमरा बॉडी का इम्यून सिस्टम उस इंफेक्शन से लड़ नहीं पाता है, तब शरीर में बुखार आदि रोग पैदा होते है। इसलिए इंसान को बीमारी से पहला इम्यून सिस्टम पर ध्यान देकर उसे मजबूत बनाने के प्रयास करने चाहिए। ये समझ भी बिल्कुल सही है। लेकिन आयुर्वेदा कुछ और ही कहता है बुखार की उत्पत्ति के बारे में, चलिए देखते है।

आयुर्वेद के अनुसार बुखार

आयुर्वेद में बुखार को ज्वर कहा गया है। ज्वर यानी शरीर में तापमान बढ़ना(संताप) और उस ताप शरीर की बाहरी हिस्सों में तभी लगता है जब शरीर की अंदर की अग्नि (पाचक अग्नि) अपना मूल स्थान( जठर) छोड़कर हाथ पैर और त्वचा में स्थान ले लेती है। अब आप सोच रहे होंगे की ऐसा क्यों होता है! की अग्नी जठर छोड़कर बाहरी अंगों में क्यों आ जाती है! चलिए इसकी वजह जानते है

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ज्वर का कारण:

जब हम अति भारी, ज्यादा या अपच्य आहार लेते है, या जब भूख ना हो या कम भूख हो तब खाना खा लेते है तब हमारे शरीर में अग्नि ख़राब हो जाती है। इसे आयुर्वेद में मन्दाग्नि कहा गया है। बिल्कुल ही शारीरिक श्रम न करने, दिन के वक्त में ज्यादा सोना ऐसे कारणों की वजह भी हमारी अग्नि खराब हो जाती है।

मंदाग्नि में लिया हुआ खुराक अपाचक ही शरीर में रहेगा, जिसका पाचन न होने के कारण वो कई और बीमारियां भी खड़ी करेगा। अग्नि खराब होकर शरीर के अन्य दोष ( वात, पित्त, कफ) के साथ मिलकर शरीर के बहरिंगो में स्थित होकर शरीर का तापमान बढ़ाएंगी। जठर में अग्नि ना होने के कारण भूख बिल्कुल भी नहीं लगेगी।

उसमे कोई शक नहीं है कि इसकी चिकित्सा में हमे अग्नि बढ़ाने और अपचित खुराक का पाचन करने पर ही ध्यान देना है।

बुखार के लक्षण – Symptoms of Viral Fever

आम तौर पर शरीर के तापमान में बढ़ौतरी को बुखार का लक्षण माना जाता है। हमारे शरीर का सामान्य तापमान ९८.६°F होता है। इससे ज्यादा के तापमान को बुखार कहते है। इसके अलावा बुखार में निम्नलिखित लक्षण भी देखने को मिल सकते है।

  • आंखों से पानी निकलना
  • चेहरे की चमक उड़ जाना
  • पुरा शरीर दर्द करना
  • भारीपन महसूस होना
  • सर भारी लगना या दुखना
  • बिलकुल या कम भूख लगना
  • कुछ भी खाने पर पेट भारी भारी रहना
  • संधि में दर्द होना
  • कोई भी काम करने का मन नहीं करना
  • थकान
  • भोजन स्वाद हीन लगना
  • कहीं भी मन नहीं लगना
  • ज्यादा नींद आना
  • दैनिक कार्यों में भी जी नहीं लगना

बुखार हर इंसान में विविध रूप में जाहिर होते है। साथ ही बुखार का कारण , काल( समय) , व्यक्ति की प्रकृति, व्यक्ति का आहार इन सब पर भी लक्षण निर्भर करते है।

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बुखार के घरेलु उपाय – Home Remedies For Fever in Hindi

बुखार जैसे छोटी बीमारी में यूं ही विलायती दवाओं (Allopathic Medicine) का सेवन करना उचित नहीं है। यह जानते हुए कि वो कितनी हानिकारक साबित हो रही है मानव शरीर के लिए और आयुर्वेद की चिकित्सा इतनी ही सरल और आसान होती है। आयुर्वेद चिकित्सा का स्रोत कुदरत ही होने के कारण वो बिल्कुल फायदेमंद और शरीर में हितकर है।

आप बुखार के दौरान निम्नलिखित आयुर्वेदिक घरेलु उपाय का प्रयोग कर सकते है।

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बुखार में गरम पानी

बुखार के घरेलू उपाय - Home Remedies For Fever in Hindi

गरम पानी का सेवन बुखार में उत्तम माना जाता है। गरम पानी खासकर जब एकदम ठंड के साथ बुखार चढ़ता है तब फायदेमंद होता है और साथ में ठंड भी कम करता है। उसके अलावा गरम पानी की वजह से शरीर में पड़ा अपचित खुराक का पाचन शुरू होता है और बुखार ना ही सिर्फ बाहर से पर शरीर के भीतर से भी कम होना शुरू होता है।

बुखार में उपवास (लंघन)

बुखार के घरेलू उपाय - Home Remedies For Fever in Hindi

आयुर्वेद में लंघन बुखार की चिकित्सा में सबसे पहले बताया गया है। भूख न लगना बुखार में लक्षण में भी जाना जाता है। अगर व्यक्ति को भूख नहीं लगती, उसका मतलब है कि उसके शरीर की अग्नि (पाचन शक्ति) खराब है और वो अपना उचित काम नहीं कर रही। इस अवस्था में उसे सम्पूर्ण आराम देना चाहिए। जब तक तेज भूख ना लगे तब तक पानी के सिवा कुछ भी सेवन न करे।

इसे आयुर्वेद में लंघन कहा गया है। और जब भी भूख लगे तभी एकदम हल्का और सुपाच्य खाना ही खाना चाहिए।

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बुखार में स्वेदन और ठंडे पानी की पट्टियां

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“स्वेदन” एक घरेलु चिकित्सा है। जिसे कई सालो से हमारे घरों में अपनाया जा रहा है । जब किसी को ऊंचे तापमान के साथ बुखार हो तब उसे कंबल आदि की मदद से स्वेदन किया जाता है। और वो व्यक्ति जब तक पूरा पसीना पसीना ना हो जाए तब तक उसे ऐसे ही रहने देते है। व्यक्ति का पसीना निकलने से तापमान नीचा हो जाता है और बुखार पर तुरंत काबू पाया जा सकता है।

आप सभी ने सुना होगा की जब किसी को अति तापमान के साथ बुखार आता है तब उसका तापमान कपडे की गीली पट्टीयों का प्रयोग करके घटाया जा सकता है। आम तौर पर यह इलाज गांव में प्रसिद्ध है, जहां कोई डॉक्टर आदि की व्यवस्था नहीं होती। मरीज के सिर (ललाट) पर ठंडे पानी में डुबोई गयी कॉटन की पट्टियो को लगाने से शरीर का तापमान कम होता है।

बुखार में ठंडे पानी की पट्टियो का उपयोग कैसे करें? – How to use Wet Cloth in Fever?

  • एक पतीले में ठंडा पानी ले।
  • अब के कॉटन के टुकड़े को लेकर उसमे से दो-तीन पट्टियां बना ले।
  • अब उसको पानी में भिगोकर मरीज के सिर (ललाट) पर लगा दे।
  • एक दो मिनट बाद यह हटा दे और दूसरी पट्टी को गिला करके लगाइए।
  • यह प्रक्रिया शरीर के तापमान में कमी आने तक दोहराइये।

अतिरिक्त बुखार में आप पट्टियों को सिर के साथ साथ हथेलियों में भी लगा सकते है। पानी मरीज के शरीर की गर्मी को सोख लेता है और तापमान को घटाता है।

बुखार के लिये तुलसी – Tulsi for Fever

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तुलसी में एक एंटीपायरेटिक और डायाफोरेटिक गुणधर्म होते है जो पसीने को प्रेरित करने में मदद करते है। तुलसी बुखार के दौरान शरीर के ऊंचे तापमान को सामान्य करती है। तुलसी की पत्तियों का उपयोग बुखार को कम करने के लिए किया जा सकता है, क्योंकि यह अपनी रसायन (Rejuvenating) गुणधर्म के कारण रोग प्रतिकारक शक्ति  में सुधार और संक्रमण (Infection) से लड़ने में मदद करता है।

बुखार में तुलसी का उपयोग कैसे करें? – How to use Tulsi in Fever?

  • तुलसी के पत्तों को तोड़ कर पानी की मदद से अच्छे से साफ़ करले।
  • अब उन पत्तों को मिक्सर ग्राइंडर में दाल क्र अच्छे से पेस्ट बना ले।
  • एक कॉटन के टुकड़े में इस पेस्ट को लेकर बांध ले।
  • अब इस कॉटन के टुकड़े को अच्छे से निचोड़कर तुलसी का रस निकाल दे।
  • इसको आयुर्वेद में तुलसी स्वरस बोलते है।

तुलसी स्वरस को आप एक चम्मच शहद के साथ भी ले सकते हो। दिन में दो बार एक एक चम्मच तुलसी स्वरस का सेवन करने से बुखार में राहत मिलती है। आप चाय में दाल कर भी इसका सेवन कर सकते है।

बुखार के लिए अदरक – Ginger for Fever

बुखार के घरेलू उपाय - Home Remedies For Fever in Hindi

अदरक एक बड़ी ही महत्वपूर्ण औषधी है। इसके आयुर्वेद में कई उपयोग बताये गए है। इसमें एंटी बैक्टीरियल, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी माइक्रोबियल, जैसे कई गुणधर्म के कारण यह बुखार में एक उत्तम इलाज माना गया है। यह इन्फेक्शन से लड़ने में हमारे शरीर की मदद करता है एवं यह हमारी पाचन शक्ति को भी ठीक करता है।

बुखार में अदरक का उपयोग कैसे करें? – How to use Ginger in Fever?

  • अदरक को पानी की मदद से अच्छी तरह से साफ करके छुरी की मदद से उसकी छाल को निकाल ले।
  • अब उसको अच्छी तरह से कुट कर उसे किसी कॉटन के कपड़े लपेट कर पोटली बना ले।
  • अब उस पोटली को निचोड़कर अदरक का रस बाउल में निकाल ले।

इस को आयुर्वेद में अदरक स्वरस कहा जाता है। इसका प्रयोग बुखार में उत्तम माना गया है। आप इसके लिए मिक्सर में ग्राइंड का भी उपयोग कर सकते है।

मात्रा: 1 बड़ा चम्मच सुबह- शाम देना चाहिए और अगर फिर भी भूख ना लगे तो मात्रा बढ़ानी चाहिए।

बुखार के लिए काढ़ा – Decoction for Fever

बुखार के घरेलू उपाय - Home Remedies For Fever in Hindi

आप बुखार में कई फायदेमंद होने वाली औषधियों का काढ़ा बनाकर भी प्रयोग कर सकते है। कभी कभी सिर्फ काढ़ा का प्रयोग करके ही बुखार का इलाज किया जा सकता है और बहुत लाभदायक परिणाम पाया गया है। आप निम्नलिखित औषधियों का उपयोग करके बुखार के लिए काढ़ा घर पर बना सकते है।

Ingredients:

  • अदरक
  • लौंग
  • मुलेठी
  • सिंधु लूण
  • बड़ी इलायची
  • सुंठ
  • काली मिर्च
  • तुलसी पत्र
  • मध/गुड

उपरोक्त बताए गए सभी औषधियों को एक समान मात्रा में पानी में डालकर उबालें। पानी अच्छे से उबल जाने के बाद तुलसी पत्र डाले और अच्छे उबाल कर उतार ले। उसके ठंडे होने पर आप इसमें स्वाद के लिए गुड़ या फिर शहद भी दाल सकते है।

मात्रा: इस काढ़े को सुबह शाम एक-एक कप लीजिए।

बुखार के लिए गिलोय (गुडूची) – Giloy for Fever

बुखार के लिए गिलोय (गुडूची) - Giloy for Fever

गिलोय या फिर गुडुची, यह एक बड़ी ही फायदेमंद औषधि है। कोरोना जैसी विकत परिस्थिति में केवल भारत ही नहीं लेकिन विश्व भर के लोगों ने इस औषधि के रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने के गुणधर्म की प्रशंशा की है। गुडूची में कई औषधीय गुण होते है। इसका उपयोग आप बुखार में भी कर सकते है।

बुखार में गिलोय का उपयोग कैसे करे?

  • गिलोय की लकड़ी को लेकर उसके एक एक इंच छोटे टुकड़े काट ले।
  • उस टुकड़ो को पानी में डाल कर उसको धीरे ताप पर उबाले।
  • २-३ उबाल के बाद पानी को छन्नी की मदद से छान ले।

इस पानी को सुबह शाम एक-एक कप लीजिए। अगर लकड़ी ना मिले तो आप गिलोय (गुडुची) पाउडर का उपयोग भी कर सकते है। यह आपको किसी भी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर मिल जायेगा। २-३ चम्मच आप गिलोय पाउडर  एक कप पानी में उबालकर पी सकते  है।

बुखार के लिए हल्दी – Turmeric for Fever

बुखार के लिए हल्दी - Turmeric for Fever

आयुर्वेद में हल्दी का उपयोग वात, पित्त और कफ को संतुलित करने के लिए किया जाता है, हालांकि, अधिक मात्रा में, यह पित्त और वात का प्रकोप करती है। यह रस और रक्त धातु के लिए कई लाभकारी होती है। यह कफ और आम (विषाक्त पदार्थों) का शमन करने में मदद करके अग्नि (पाचन अग्नि) को भी प्रज्वलित करती है।

आधुनिक संशोधन ने भी हल्दी के कई गुणधर्म बताये गए है, जो की बुखार में लाभदायक होते है। यह शरीर में इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करती है। आप हल्दी का सेवन दूध या पानी में मिलाकर कर सकते है।  १ से २ चम्मच हल्दी एक कप गरम पानी या दूध में डालकर सुबह शाम एक-एक कप पी सकते है।

हालांकि दूध के गुरु गुण की वजह से उसको बुखार में पथ्य बताया गया है, आप बुखार में बकरी या फिर गाय का दूध ले सकते है। बकरी के दूध को आयुर्वेद में अजक्षीर कहा गया है। और इसके विभिन्न फायदे भी बताये गए है। यह पचने में हल्का होता है और इसका सेवन बुखार में किया जा सकते है।

बुखार में क्या खाना चाहिए – What to Eat in Fever?

बुखार में एकदम सरल और सुपाच्य आहार लेना चाहिए। ऐसा आहार ना ही सिर्फ आसानी से पाचन हो जाता है पर जल्द ही बुखार में से मुक्ति दिलाता है और आरोग्य को पुनः स्थापित करता है । उसे आयुर्वेद में पथ्य कहा गया है। निचे टेबल में कुछ बुखार के लिए पथ्य आहार बताए गए है।

आसानी से पाचन होने वाले खुराकहरी सब्जियांफल
दाल चावलभाजीपपाया
सूजी की बनावटपालकअनार
उपमामेथीअनानास
उत्तपमटिंडेसेब
पॉप कोर्नकरेला
ममराककड़ी आदि …
पोहा ( बिना आलू के )
ज्वार की बनावट और रोटी
मुंग, मूंग चावल
चावल
बुखार में क्या खाना चाहिए

बुखार में क्या नहीं खाना चाहिए – What Not to Eat in Fever?

कुछ आहार ऐसे होते है जो बुखार को और क्रिटिकल बनाते है और बुखार का इलाज शुरू होने पर भी उसका

लाभ कम होता है और इलाज लंबा चलता है। इसे आयुर्वेद में अपथ्य कहा गया है। नीचे टेबल में कुछ बुखार के लिए अपथ्य आहार बताये गए है।

भारी और गुरु गुण वाले खुराककुछ सब्जियां और फल
सभी तरह का अनाज जैसे कीआलू
गेहूंशकर कंद
गेहूं की रोटीप्याज
गेहूं की बनावटकद्दू
मेंदाऔर सभी तरह के कंद मूल
मैदा की सभी बनावटसंतरा
बाजरातरबुच
बाजरे की रोटीचीकू
उड़दअंगूर
चना
बुखार में क्या नहीं खाना चाहिए
डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे की
दूध
पनीर
चीज
मक्खन
मिठाई
मलाई
दही
बुखार में क्या नहीं खाना चाहिए

बुखार में आपको सभी तरह की मांसाहारी चीज़े जैसे की मटन, मीट, आदि का सेवन भी टालना है।

Home Remedies For Fever – FAQs

बुखार कितना डिग्री होना चाहिए?

हमारे शरीर का सामान्य तापमान ९८.६°F होता है। इससे ज्यादा के तापमान को बुखार कहते है। यह इंसान की उम्र पर भी निर्धारित होता है। शरीर के तापमान के हिसाब से बुखार को ग्रेड को मापा जाता है। निचे टेबल में शरीर के तापमान के अनुसार बुखार के ग्रेड का उल्लेख किया गया है।

शरीर का सामान्य तापमान९७ से ९९ डिग्रीज
लो-ग्रेड फीवर९९ से १००.९ डिग्रीज
कॉमन फीवर१०१ से १०३.५ डिग्रीज
हाई-फीवर१०३.५ डिग्री से ऊपर

बार बार बुखार आने का कारण क्या है?

बार बार बुखार आने के कई कारण हो सकते है। यह आपकी बिगड़ती रोगप्रतिकारक शक्ति का संकेत भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त शरीर में जानलेवा इन्फेक्शन्स, HIV Aids, कैंसर, टीबी, आदि जैसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है। बार बार बुखार आने पर स्पेशलिस्ट की सलाह लेनी आवश्यक है।

शाम को बुखार क्यों आता है?

शाम को बुखार आना जिसे अंग्रेजी में – “The Night Fever” कहते है, इसके कई कारण हो सकते है। तर्क से सोचे तो शाम में पुरे दिन काम करने के कारण शरीर में होने वाले तनाव की वजह से भी बुखार हो सकता है। इसके अतिरिक्त, शाम के वक़्त वातावरण में ठंडक होने की वजह से भी शरीर को गरम रखने के लिए शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और भारी ऊर्जा खर्च होती है। इस कारण भी बुखार आ सकता है।

आयुर्वेद के नजरिये से देखे तो शाम के वक़्त हमारे शरीर में कफ दोष प्रधान होता है जिसकी वजह से कफज ज्वर हो सकता है। इसलिए शाम के वक़्त हो सकते उतना लाइट फ़ूड (हल्का खुराक) लेना चाहिए। और शाम के बाद ठंडा नहीं खाना चाहिए।

बुखार कब होता है?

जब हमारे शरीर में कोई बाहरी सूक्ष्मजीव जैसे की बैक्टीरिया, वायरस, प्लासमोडियम, फंगस आदि अटैक करते है, तब हमारे शरीर की रोग प्रतिकारक शक्ति सक्रिय होती है और उसका जवाब देती है। इससे, हमारे शरीर में कई केमिकल बदलाव होते है और हमारे शरीर का तापमान बढ़ जाता है। उसे बुखार कहते है। इसके अतिरिक्त ज्यादा परिश्रम, थकान और किसी चोट की वजह से भी बुखार हो सकता है।

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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