रंगा सियार | The Blue Jackal Story in Hindi | Panchatantra ki Kahaniya | Moral stories in Hindi
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ranga siyar Panchtantra ki kahani in Hindi
एक बार की बात है….
जंगल मे एक सियार पुराने पेड़ के नीचे सो रहा था। हवा का तेज़ झोंका आने के कारण पूरा पेड़ गिर पड़ा। जिसके कारण वह बुरी तरह घायल हो गया। वह घायल अवस्था में किसी तरह अपने ठिकाने तक पहुंचा।
सियार को भूख लग रही थी। जिसके कारण उसका शरीर बहुत कमज़ोर हो गया था। तभी उसे एक खरगोश नज़र आया। उसे दबोचने के लिए वह झपटा। सियार कुछ दूर भागकर हांफने लगा। उसके शरीर में जान ही कहां रह गई थी? फिर उसने एक बटेर का पीछा करने की कोशिश की। यहां भी वह असफल रहा।
हिरण का पीछा करने की तो उसकी हिम्मत भी न हुई। वह खड़ा सोचने लगा। शिकार वह कर नहीं पा रहा था। वह सोचने लगा भूखों मरने की नौबत आ ही गई समझो। क्या किया जाए? वह इधर-उधर घूमने लगा पर कहीं कोई मरा जानवर नहीं मिला ।
सियार घूमता-घूमता एक बस्ती में आ गया। वह इधर-उधर गलियों में घूमने लगा। तभी कुत्ते भौं-भौं करते उसके पीछे पड़ गए। सियार को जान बचाने के लिए भागना पड़ा । वह गलियों में घुसकर उनको छकाने की कोशिश करने लगा पर कुत्ते तो कस्बे की गली-गली से परिचित थे।
सियार के पीछे पड़े कुत्तों की टोली बढ़ती जा रही थी और सियार के कमज़ोर शरीर का बल समाप्त होता जा रहा था। सियार भागता हुआ रंगरेजों की बस्ती में आ पहुंचा था। वहां उसे एक घर के सामने एक बड़ा ड्रम नज़र आया। वह जान बचाने के लिए उसी ड्रम में कूद पडा। ड्रम में रंगरेज़ ने कपड़े रंगने के लिए रंग घोल रखा था।
कुत्तों की टोली भौंकती- भौंकती चली गई । सियार सांस रोककर रंग में डूबा रहा। वह केवल सांस लेने के लिए अपनी थूथनी बाहर निकालता । वह रंग में पूरी तरह भीग चुका था। जब उसे पूरा यकीन हो गया कि अब कोई खतरा नहीं है तो वह बाहर निकला।
जंगल में पहुंचकर उसने देखा कि उसके शरीर का सारा रंग नीला हो गया है। उस ड्रम में रंगरेज़ ने नीला रंग घोल रखा था। उसके नीले रंग को जो भी जंगली जीव देखता, वह भयभीत हो जाता। उनको खौफ़ से कांपते देखकर रंगे सियार के दुष्ट दिमाग में एक योजना आई।
रंगे सियार ने डरकर भागते जीवों को आवाज़ दी `भाइयों, भागो मत मेरी बात सुनो।`
उसकी बात सुनकर सभी भागते जानवर ठिठके।
उनके ठिठकने का रंगे सियार ने फायदा उठाया और बोला `देखो, देखो मेरा रंग। ऐसा रंग किसी जानवर का धरती पर है? नहीं न। मतलब समझो। भगवान ने मेरे शरीर को यह खास रंग देकर तुम्हारे पास भेजा है। तुम सब जानवरों को बुला लाओ तो मैं भगवान का संदेश सुनाऊं।
उसकी बातों का सब पर गहरा प्रभाव पड़ा। वे जाकर जंगल के दूसरे सभी जानवरों को बुलाकर लाए। जब सब आ गए तो रंगा सियार एक ऊंचे पत्थर पर चढ़कर बोला `वन्य प्राणियों , प्रजापति ब्रह्मा ने मुझे खुद अपने हाथों से इस अलौकिक रंग का प्राणी बनाकर कहा कि संसार में जानवरों का कोई शासक नहीं है। तुम्हें जाकर जानवरों का राजा बनकर उनका कल्याण करना है। तुम्हारा नाम सम्राट ककुदुम होगा। तीनों लोकों के वन्य जीव तुम्हारी प्रजा होंगे। अब तुम लोग अनाथ नहीं रहे। मेरी छत्र-छाया में निर्भय होकर रहो।`
सभी जानवर वैसे ही सियार के अजीब रंग से चकराए हुए थे । उसकी बातों ने तो जादू का काम किया। शेर, बाघ व चीते की भी ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे रह गई। उसकी बात काटने की किसी में हिम्मत न हुई। देखते ही देखते सारे जानवर उसके चरणों में लोटने लगे और एक स्वर में बोले `हे बह्मा के दूत, प्राणियों में श्रेष्ठ ककुदुम, हम आपको अपना सम्राट स्वीकार करते हैं। भगवान की इच्छा का पालन करके हमें बड़ी प्रसन्नता होगी।`
एक बूढे हाथी ने कहा `हे सम्राट, अब हमें बताइए कि हमारा क्या कर्तव्य है?`
रंगा सियार सम्राट की तरह पंजा उठाकर बोला `तुम्हें अपने सम्राट की खूब सेवा और आदर करना चाहिए। उसे कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। हमारे खाने-पीने का शाही प्रबंध होना चाहिए।`
शेर ने सिर झुकाकर कहा `महाराज, ऐसा ही होगा। आपकी सेवा करके हमारा जीवन धन्य हो जाएगा।`
बस, सम्राट ककुदुम बने रंगे सियार के शाही टाठ हो गए। वह राजसी शान से रहने लगा।
कई लोमड़ियां उसकी सेवा में लगी रहतीं, भालू पंखा झुलाता। सियार जिस जीव का मांस खाने की इच्छा ज़ाहिर करता, उसकी बलि दी जाती।
जब सियार घूमने निकलता तो हाथी आगे-आगे सूंड उठाकर बिगुल की तरह चिंघाड़ता चलता। दो शेर उसके दोनों ओर कमांडो बॉडी गार्ड की तरह होते।
रोज़ ककुदुम का दरबार भी लगता। रंगे सियार ने एक चालाकी यह कर दी थी कि सम्राट बनते ही सियारों को शाही आदेश जारी कर उस जंगल से भगा दिया था। उसे अपनी जाति के जीवों द्वारा पहचान लिए जाने का खतरा था।
एक दिन सियार खूब खा-पीकर आराम कर रहा था, जब वह बाहर आया तो देखा कि चांदनी रात खिली थी। पास के जंगल में सियारों की टोलियां एक स्वर की बोली बोल रही थी। उस आवाज़ को सुनते ही वह अपना आपा खो बैठा। और वह भी मुंह चांद की ओर उठाकर और सियारों के स्वर में मिलाकर हू हू करने लगा।
शेर और बाघ ने जब सियार को हू हू करते देखा। तो वे समझ गए कि सियार हमें धोखा देकर सम्राट बना रहा।
शेर और बाघ उसे मारने के लिए सियार कि ओर लपके और देखते ही देखते उसका काम तमाम कर डाला।
सीखः नकलीपन की पोल देर या सवेर जरूर खुलती है।
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