एक बार की बात है, एक छोटे – से गांव की सीमा पर बहुत बड़ा पीपल का पेड़ लगा हुआ था। इस पर घोंसला बनाकर कौओं का एक जोड़ा अपने बच्चों के साथ रहता था। इसी पेड़ की जड़ में बिल बनाकर एक भयंकर काला सांप भी रहता था।
जब भी मादा कौआ अंडे देती तो सांप आकर उन अंडों तथा छोटे बच्चों को चट कर जाता। उनके बच्चे बड़े नही हो पाते थे, इस कारण कौआ दम्पति बहुत दुखी रहता था, लेकिन हत्यारे सांप से छुटकारा पाने के लिए कुछ न कर पाते।
एक दिन वे अपनी अभिन्न मित्र लोमड़ी से मिलने गए। स्वागत – सत्कार के बाद लोमड़ी ने जब उन्हे उदास देखा तो कारण पूछा।
यहाँ पढ़ें : Panchtantra Ki 101 Kahaaniyan by Vishnu Sharma
कौए ने लोमड़ी को हत्यारे सांप की सारी दुष्टता बयान की और इससे छुटकारा दिलाने की याचना कर
उनकी बात सुनकर लोमड़ी को भी धक्का लगा, लोमड़ी ने साहस बंधाते हुए कौआ दम्पति को सहायता करने का आश्वासन दिया।
उसने कुछ देर सोचा फिक कहने लगी – “ध्यान से सुनो मेरी बात… तुमने राजा का महल तो देखा ही है… और तुम यह भी जानते हो कि महल के भीतर बने सरोवर में ही रानी स्नान करती है। नहाते समय वह अपने आभूषण उतार कर किनारे रख देती है। तुम दोनो बस इतना करना कि रानी जब नहाने में व्यस्त हो तो मौका देखकर हीरों के दो हार उड़ा लेना।
यह देखकर रानी के सैनिक तुम्हारा पीछा अवश्य करेंगे और तुम उनके सामने ही दोनों हार सांप के बिल मे डाल देना। सैनिक उन हारों को निकालने के लिए बिल में हाथ डालने से पहले उस दुष्ट सांप को अवश्य ही मार डालेंगे। इस प्रकार तुम्हे मुसीबत से छुटकारा मिल जाएगा”।
यह लाजवाब उपाय कौआ दम्पति को बेहद पसंद आया।
वे राजमहल की ओर उड़ चले।
रानी जब नहाने आई और गहने उतारकर किनारे रखे तो उन्होंने मौका देखकर दो हार उड़ा लिए और उड़ चले। उन्हें ऐसा करते देख सैनिक उनके पीछे भागे।
kauwa aur dusht saanp
कौआ दम्पति ने पीपल के पेड़ के पास जाकर वो हार सांप के बिल में डाल दिए।
सैनिकों ने उन्हें ऐसा करते देख लिया।
अब हार बिल में पड़े थे और पास ही वह दुष्ट सांप भी कुंडली मारे बैठा था।
सैनिक दौड़ते हुए आए और सांप के बिल के निकट आकर खड़े हो गए।
कहीं सांप उन्हें डस न ले, इस भय से सैनिकों ने अपने भालों से उसे मार डाला और हार निकाल कर वापस राजमहल की ओर लौट गए।
लोमड़ी का उपाय आखिर काम कर ही गया था।
कौआ दम्पति का दुश्मन परलोक सिधार चुका था।
अब उन्हें किसी प्रकार कोई खतरा नहीं था।
इसके लिए कौआ दम्पति ने लोमड़ी को धन्यवाद दिया और फिर चैन से उस पीपल के पेड़ पर रहने लगे।
शिक्षा – बुद्धि बल कही बड़ा होता है शक्तिशाली से। कभी निर्बल का फायदा नही उठाना चाहिए।
यहाँ पढ़ें: पंचतंत्र की अन्य मजेदार कहानियाँ