एक गांव की सीमा पर एक मंदिर बना था, जिसमे एक पुजारी रहता था।
वह आस – पास के गांवों में पूजा – पाठ करके अपना निर्वाह करता था। उसकी एक आदत थी कि रात को भोजन करने के बाद वह शेष बचा खाना एक हंडिया में डाल देता और उस हंडिया को छत से लटकी रस्सी में बांध देता।
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उसी मंदिर के निकट एक मोटा चूहा रहता था। वह रात को अपने बिल से बाहर आता और उछल – कूद कर उस हंडिया तक जा पहुँचता और उसमे रखा भोजन चट कर जाता। सुबह उठने पर वह हंडिया पुजारी को खाली मिलती। यह अब नित्य का नियम हो गया था। लेकिन पुजारी को बेहद दुख होता, उसे कुछ नही सूझता था कि, किस प्रकार उस चूहे को वहां से भगाया जाए।
एक दिन एक सन्यासी घूमता हुआ उधर आ निकला और रात बिताने के लिए वही मंदिर में पुजारी के साथ ठहर गया। पुजारी अपने आंगतुक की कोई आवभगत न कर सका। उसने बेहद संकोचवस यथास्थिति से उस संन्यासी को अवगत कराया।
The Hermit And The Mouse
उस संन्यासी ने उसे चिंता न करने को कहा और एक उपाय सुझाया। उसने कहा कि हमें चूहे का बिल खोजकर उसे ध्वस्त करना होगा। मुझे लगता है चूहे ने वहां काफी भोजन इकट्ठा कर रखा है।
यह उस भोजन से उठती खुशबू का ही कमाल है, जो वह इतनी ऊंची छलांग लगा लेता है कि हंडिया तक पहुँच जाए। पुजारी तथा संन्यासी दोनो दोनो चूहे का बिल खोजने के लिए एक दिन चूहे के पीछे लग गए। जब उन्हे बिल का पता चल गया तो उन्होने उसे तहस – नहस कर दिया। उस बिल में रखा भोजन भी मिट्टी में मिल गया।
चूहा यह देखकर बहुत परेशान हुआ क्योंकि उसको उछलने की शक्ति प्रदान करने वाला स्रोत जो नष्ट हो गया था।
अब से अक्सर भूखा ही रहना पड़ता था, धीरे – धीरे वह कमजोर होता गया और एक दिन जब वह भोजन की तलाश में भटक रहा था तो एक बिल्ली उसे पकड़ कर खा गई।
शिक्षा – धन के साथ ताकत भी आ ही जाती है।
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