एक बार की बात है, एक घने जंगल में अलग – अलग खड़े बरगद के दो विशाल वृक्ष थे। दरअसल, उनके बीच इतना कम अंतर था कि पहली नजर में देखने पर वे एक ही वृक्ष लगते थे।
हजारों चिड़ियाएं उस वृक्ष पर घोंसला बनाकर रहती थीं और उसी पेड़ के एक गहरे कोटर में एक काला भयंकर सांप भी रहता था।
जब भी चिड़ियाएं भोजन की खोज में निकलती, वह सांप कोटर से निकलता और पेड़ पर चड़कर उनके बच्चों को खा जाता।
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यह उसका रोज़मर्रा का काम हो गया था। मासूम चिड़िया के बच्चे उस सांप का प्रतिरोध भला कैसे करते।
शाम को जब चिड़ियाएं अपने घोंसलों में वापस लौटती तो कोई न कोई घोंसला जरूर खाली रहता।
उसमें रहने वाले बच्चों को तो वह काला सांप चट कर जाता था।
चिड़ियाएं बेचारी उस सांप से चाहकर भी छुटकारा नहीं पा सकती थीं।
एक दिन सरोवर के किनारे बैठी कुछ चिड़ियाएं अपनी इस असहाय दशा पर आंसू बहा रही थी, इतने में ही एक केकड़ा वहां आ निकला और उनसे रोने का कारण पूछा।
चिड़ियाओं ने रोते – रोते उसे पूरी कहानी सुना दी और यह भी कहा कि वे स्वंय अपने बूते पर उस काले सांप से छुटकारा पाने मे असमर्थ हैं।
सुनकर केकड़ा सोच में पड़ गया कि चिड़ियाएं भी तो केकड़े की दुश्मन होती हैं, इनके बच्चों को खा जाती हैं। तो क्यों न चिड़ियाओं को ऐसी तरकीब बताई जाए जिससे सांप भी मर जाए और चिड़ियाओं का भी अंत हो जाए। यही सोचता हुआ केकड़ा बोला, “तुम रोओ मत, मैं तुम्हे एक उपाय बता रहा हूँ, जिसकी सहायता से वह दुष्ट सांप मारा जाएगा”।
buddhiman kekada aur chidiya
केकड़े ने कहना शुरु किया…
“देखो, उस बरगद के पेड़ के पास ही एक बड़ा नेवला भी रहता है। तुम उस नेवला के बिल से लेकर बरगद के पेड़ के बीच के रास्ते में छोटी – छोटी मछलियाँ बिखेर दो। नेवला एक – एक कर मछलियां खाता हुआ आगे बढ़ेगा और सांप के पास जा पहुँचेगा।
सभी चिड़ियाएं इस नायाब उपाय को सुनकर खुश हो गई और उन्होने केकड़े के बताए अनुसार ही किया।
कुछ देर बाद नेवला अपने बिल से बाहर निकला और मछलियां खाता हुआ बरगद के पेड़ मे बने सांप के बिल तक जा पहुँचा।
सांप और नेवले के बीच भीषण लड़ाई हुई और नेवले ने कुछ ही देर में सांप को मार डाला।
लेकिन वह सांप को मारने के बाद अपने बिल में नही लौटा और पेड़ पर चढ़कर चिड़ियाओं के बच्चों को खाना शुरु कर दिया। अब तो वह रोज ही चिड़ियाओं के बच्चों को अपना निवाला बनाने लगा। खाते – खाते वह बहुत मोटा और आलसी हो गया और एक दिन पेड़ की डाल पर चढ़ते समय फिसल कर नीचे जा गिरा और मर गया।
इस प्रकार केकड़े ने चिड़ियाओं की समस्या तो दूर करी ही साथ ही नेवले के हाथों चिड़ियाओं से होने वाले स्वंय के प्रति संभावित खतरे को भी टाल दिया।
शिक्षा – शत्रु की सलाह पर अमल करना घातक होता है।
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