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यह कैसी उलझन | अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Story in Hindi | yah kaisi uljhan akbar birbal ki kahani
हमेशा की तरह बादशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था, चर्चा शुरु ही हुई थी कि तभी एक किसान रोता हुआ वहां आया। उसके साथ एक और व्यक्ति भी था।
अकबर के पूछने पर किसान ने कहा, “जहांपनाह! यह आदमी मेरा पड़ोसी होते हुए भी इसने मुझे धोखा दिया।
कुछ दिनों पहले इसने अपना कुआं मुझे बेच दिया था, लेकिन जब मैं उस कुएं से पानी लेने गया, तो इसने मुझे पानी लेने से रोक दिया और कहा अगर पानी चाहिए तो इसके लिए अलग से पैसे देने पड़ेंगे। “
किसान का पड़ोसी बोला, “जहांपनाह! मैंने कुआं बेचा था, कुएं का पानी नहीं। अगर इसे पानी चाहिए, तो उसके लिए इसे अलग से पैसे देने होंगे। ”
बादशाह उलझन में पड़ गए। उनके दरबार में ऐसा मुकदमा पहली बार आया था। बादशाह ने बीरबल को इस समस्या को सुलझाने के लिए कहा।
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बीरबल उनकी बातों से पहले ही समझ चुके थे कि किसान का पड़ोसी बहुत दुष्ट है और ऐसे आदमी को ईंट का जवाब पत्थर से ही देना पड़ेगा।
उन्होंने किसान के पड़ोसी से पूछा, “अगर तुमने किसान को सिर्फ कुआं बेचा है, तो तुमने किसान के कुएं में अपना पानी क्यों रखा है? इसके लिए किसान को किराया दो या अपना सारा पानी बाहर निकाल लो।”
जब किसान के पड़ोसी ने यह बात सुनी तो उसके होश उड़ गए। उसकी समझ में आ गया कि वह बीरबल के तर्क का सामना कदापि नहीं कर सकता। उसने भरी सभा में किसान से माफी मांगी और आपसी समझौते के बाद वे दोनों वापस लौट गए।
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