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हाथी के पांव की छाप | अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Story in Hindi | hathi ke paon ki chhap akbar birbal ki kahani
बादशाह अकबर और बीरबर के बीच नौक झोक चलती रहती थी लेकिन एक बार किसी गंभीर विषय पर बादशाह अकबर और बीरबल में काफी बहस हुई।
ऐसी स्थिति में बादशाह अकबर इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने बीरबल को तत्काल दीवान पद से हटा दिया और अपनी रानी के भाई को यह पद सौंप दिया।
कुछ दिनों बाद बादशाह अकबर को अपनी भूल का एहसास हुआ। वे अपने प्रिय दीवान बीरबल की हाजिर जवाबी और समझदारी को याद करने लगे।
एक दिन उन्होंने निश्चय किया कि वे अपने नए दीवान की समझदारी परखेंगे। वे शाम को उसके साथ एक मस्जिद में गए। वापसी पर अकबर को हाथी के पांव का बड़ा-सा निशान दिखाई दिया।
उसे देखते ही उनके मन में एक विचार आया और वे नए दीवान से बोले, “क्या तुम हाथी के पांव का निशान देख रहे हो। मैं चाहता हूं कि यह निशान तीन दिनों तक यहां बना रहे। इसका ध्यान रखना।” फिर वे अपने महल में लौट गए।
नए दीवान को यह काम करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। उसे अपने खाने-पीने का भी होश नहीं रहा। उसकी हालत बता रही थी कि वह बीरबल की तरह बुद्धिमान नहीं है।
बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियों से चोरी-छिपे उस पर नजर रखने को कहा था। अकबर को उनके सिपाहियों ने बताया कि नए दीवान के लिए हाथी के पांव की छाप बचाकर रखना बड़ा कठिन हो गया है।
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ऐसी स्थिति में बादशाह अकबर ने सोचा कि उन्हें बीरबल को वापस लाना पड़ेगा। इसके लिए उन्हें एक तरकीब सूझी। उन्होंने पूरे राज्य में मुनादी करवा दी, “सभी जमींदार अपने कुओं को लेकर दरबार में हाजिर हों। जो जमींदार नहीं आएगा, उसे दस हजार सोने के सिक्कों का जुर्माना अदा करना पड़ेगा। “
यह मुनादी सुनकर सभी लोग हैरान हो गए। वे सोचने लगे कि भला कुओं को दरबार में कैसे ले जाया जा सकता है। वे बीरबल के पास गए और उनसे मदद मांगी। वे जानते थे कि बीरबल इस समस्या का कोई-न-कोई उपाय अवश्य बता देंगे।
बीरबल ने जमींदारों को समझाया कि दरबार में जाकर क्या कहना है। अगली सुबह कुछ जमींदार राज्य के प्रवेश द्वार पर पहुंचे और बादशाह अकबर को यह संदेश भिजवाया, “महाराज! हम अपने कुओं को लेकर आ गए हैं। अब आप अपने कुओं को हमारे कुओं के स्वागत के लिए भेज दें। “
यह संदेश सुनते ही अकबर समझ गए कि ऐसा उपाय केवल बीरबल ही सुझा सकते हैं। उन्होंने किसानों से बीरबल का पता लिया और उन्हें दरबार में वापस बुलवा लिया। इसके बाद बादशाह अकबर ने बीरबल को आदेश दिया कि वे हाथी के पांव के निशान को सुरक्षित रखें।
बीरबल तत्काल वहां गए और उस निशान के आसपास रस्सी का बेड़ा बांध दिया। फिर उन्होंने मुनादी करवा दी कि उस रस्सी की सीमा में आने वाले घरों को गिरा दिया जाएगा। यह सुनकर गांव वाले घबरा गए।
वे बीरबल के लिए उपहार में सोने के सिक्के लाए और वादा किया कि वे स्वयं हाथी के पांव के निशान की देख-रेख करेंगे। इस तरह बीरबल ने न केवल हाथी के पांव के निशान को सुरक्षित रखा, बल्कि राज्य के खजाने में सोने के सिक्के भी जमा करवाए। अकबर भी मान गए कि उनके बीरबल जैसा कोई नहीं है।
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