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अकबर का गुस्सा | अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Story in Hindi | Akbar ka gussa akbar birbal ki kahani
अकबर हिंदुस्तान के बादशाह थे। वे जो भी चाहते थे, वह पल भर में उनके सामने हाजिर हो जाता था। उन्हें दुनिया की किसी चीज की कमी नहीं थी और इसी वजह से वे थोड़े घमंडी हो गए थे। यह बात बीरबल से छिपी नहीं थी। एक दिन उन्होंने तय किया कि वे अकबर को उनकी भूल का एहसास करा कर ही रहेंगे।
एक दिन बीरबल साधु का वेश धारण करके शाही बाग में उस समय जाकर बैठ गए, जब अकबर वहां सैर करने आते थे। जब अकबर ने एक साधु को वहां बैठे देखा, तो उन्हें बहुत गुस्सा आया। चिल्ला कर बोले, “ अरे, तुम कौन हो? मेरे बाग में आकर क्यों बैठे हो? भाग जाओ यहां से, नहीं तो मैं तुम्हें जान से मरवा दूंगा।”
साधु ने पूछा, “ जहांपना क्या यह आप का बगीचा है?”
अकबर ने गुस्से से कहा, “ हां, यह सारा राज्य मेरा है।”
साधु मुस्कुराते हुए बोला, “ क्या सारी दुनिया और सारी नदियां भी आपकी है?”
“ हां, यह सब भी मेरा है” बादशाह अकबर ने कहा।
“ जब आप नहीं थे, तो इन सब चीजों का मालिक कौन था?” साधु ने पूछा।
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यह बात सुनकर बादशाह अकबर को अपनी भूल का अहसास हुआ कि इस दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं है। एक दिन उन्हें भी अपना राजपाट हमेशा के लिए छोड़ कर चले जाना है।
यह सोचकर बादशाह अकबर उदास हो गए और एक भी शब्द कहे बिना बांग के दूसरी तरफ चले गए।जो अपने विचारों में इतना खोए हुए थे कि उन्हें आसपास की चीजों का भी एहसास नहीं था। अचानक वे चलते-चलते एक बड़े पत्थर से टकराया और लड़खड़ा कर वहीं गिर पड़े। फिर भी गुस्से से आगबबूला हो गए।
दरबार मैं पहुंच कर बादशाह अकबर ने एक नौकर से कहा, “ माली को दरबार में पेश करो।”
माली के आने पर बादशाह ने उससे कहा, “ आज मैं बाग में पत्थर से ठोकर खाकर गिर पड़ा। यह सब तुम्हारी लापरवाही की वजह से हुआ है। तुम्हें इस अपराध के लिए फांसी की सजा मिलेगी।”
यह सुनकर दरबार में बीरबल सहित सभी लोग हैरान रह गए। वहां सन्नाटा सा छा गया। इतनी सी भूल के लिए फांसी की सजा।
माली ने बादशाह अकबर से माफी मांगी, परंतु वे टस से मस नहीं हुए। दरबार समाप्त हुआ, तो माली बीरबल से मदद मांगने गए। बीरबल ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि वे उसे अवश्य बचा लेंगे।
अगले दिन माली को बादशाह अकबर के सामने दोबारा बुलाया गया। उसने क्षमा मांगी, परंतु अकबर का फैसला नहीं बदला। माली अकबर का गुस्सा। अकबर बीरबल हिंदी कहानी। Nice hindi stories।फासी देने से पहले उसकी अंतिम इच्छा पूछी गई। माली ने आगे बढ़कर बादशाह अकबर के पांव पर थूक दिया। यह देख कर बादशाह अकबर के गुस्से की कोई सीमा न रही। तब बीरबल बोले, “ महाराज यह तो आपका बहुत वफादार आदमी है।
अगर आपने इसे शाहीबाग की छोटी सी भूल के लिए फांसी पर चढ़ा दिया तो लोग आपके बारे में उल्टी सीधी बातें करते। इसलिए इसने जानबूझकर यह गलती की, ताकि यह लगे कि इसे नाजायज सजा नहीं दी गई है।”
यह सुनकर बादशाह अकबर को अपनी भूल का अहसास हुआ कि वह माली को एक छोटी सी गलती की इतनी बड़ी सजा दे रहे थे। उन्होंने मन ही मन में कसम खाई कि अब वह घमंड नहीं करेंगे और कोई भी फैसला करने से पहले उस पर विचार अवश्य करेंगे।
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