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बादशाह अकबर अपनी बहादुरी के अलावा अपनी दरियादिली के लिए भी जाने जाते थे। वे अक्सर लोगों को दान में कपड़े तथा अन्य बहुत सी किमती वस्तुएं दिया करते थे।
पूरे राज्य के लोग बादशाह अकबर की दान प्रियता के बारे में जानते थे। अतः कई बार ऐसे लोग भी दान लेने के लिए आ जाते थे, जिनके पास पहले से ही सब कुछ होता था।
एक बार की बात है। बादशाह अकबर ने निश्चय किया कि वे अपने राज्य में रहने वाले सभी अंधों को दान देंगे। इस दान से कोई अंधा वंचित न रह जाए, इसलिए एक दरबारी से कहा गया कि वह राज्य में रहने वाले सभी अंधे लोगों की सूची तैयार करे तथा उस सूची की जांच का कार्य बीरबल को सौंपा जाए।
दरबारी ने सूची बनाकर बीरबल को दे दी। बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा कि वे अंधे लोगों को दान देने का प्रबंध करें।
बीरबल बोले, “महाराज! मुझे लगता है कि इस सूची में कुछ कमी है। हमारे राज्य में तो बहुत से अंधे लोग हैं। अतः इस सूची में बाकी अंधे लोगों का नाम जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। “
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बादशाह अकबर चकरा गए और बोले, “अगर यह बात है, तो तुम नई सूची बनाकर लाओ। हो सकता है कि हमारे दरबारी से कोई कमी रह गई हो।”वस्तुतः बीरबल, बादशाह अकबर को बताना चाहते थे कि अंधे होने का अर्थ यह नहीं है कि किसी व्यक्ति की दोनों आंखें न हो। अंधों की श्रेणी में वे लोग भी आते हैं, जिनकी आंखें तो होती है, लेकिन उनका व्यवहार अंधों-सा होता है।
उसी शाम बीरबल भीड़ से भरे एक बाजार में पहुंचे। उनका नौकर भी साथ था। वे अपने साथ चारपाई बुनने का सामान भी ले गए थे। उन्होंने वह सामान वहीं रख दिया और चारपाई बुनने लगे। उनका नौकर हाथ में कागज और कलम लिए खड़ा हो गया।
तभी उधर से गुजरने वाले एक आदमी ने बीरबल को देखा और पूछा, “आप यहां क्या कर रहे हैं?” बीरबल ने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने अपने नौकर के कान में धीरे से कुछ कहा और उसने अपने कागज पर कुछ लिख लिया।
इसके बाद इसी तरह बहुत से लोग आकर सवाल करते रहे, लेकिन बीरबल ने किसी को कोई जवाब नहीं दिया। वे हर बार नौकर के कान में कुछ बोलते और वह उस शब्द को अपने कागज पर लिख देता ।
फिर शीघ्र ही यह खबर बादशाह अकबर तक पहुंच गई। वे भी वहां आ गए और बोले, “बीरबल ! मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि तुम क्या कर रहे हो।” इस बार बीरबल ने अपने नौकर पर एक नजर डाली और उसने संकेत पाकर अपने कागज पर कुछ लिख लिया।
अब वह कागज बीरबल के हाथ में था। उन्होंने वह कागज बादशाह अकबर के हाथ में देते हुए कहा, “महाराज! यह आपके राज्य के संपूर्ण अंधे लोगों की सूची है।” बादशाह अकबर ने सूची ले ली, लेकिन उस सूची के अंत में अपना नाम देखकर चौंक गए।
“बीरबल! क्या तुम्हारा दिमाग घास चरने चला गया है? तुमने मेरा नाम इस सूची में क्यों लिखा?” बीरबल ने सफाई देते हुए कहा, “आप भी तो इसी सूची में आते हैं। आपने भी दूसरों की तरह मुझे चारपाई बुनते हुए देखा।
फिर भी आते ही पूछा कि मैं क्या कर रहा हूं? क्या आपको दिखाई नहीं दिया? इस तरह आपका नामः भी आंख वाले अंधों की इस सूची में शामिल कर लिया गया।” बादशाह अकबर के पास बीरबल की इस बात का कोई जवाब नहीं था।
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