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चार मूर्ख | अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Story in Hindi | char murkh akbar birbal ki kahani
एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल! जाओ, हमारे राज्य में से चार मूखों को पकड़कर यहां ले आओ। हम उन महामूखों से मिलना चाहते हैं।”
बीरबल यह बात सुनकर चौंक गए, फिर हाथ जोड़कर बोले, “महाराज! मैं ऐसा ही करूंगा, लेकिन मुझे कुछ दिनों का समय चाहिए, क्योंकि इस राज्य में मूर्ख भरे पड़े हैं और मैं आपके सामने सबसे बड़े मूर्खो को पेश करना चाहता हूं।”
बादशाह अकबर ने बीरबल की बात मान ली। बीरबल मुख्य बाजार से गुजरे और पहला मूर्ख तलाश करने लगे। तभी उन्होंने एक आदमी को एक थाली ले जाते हुए देखा। उस थाली में महंगे उपहार, मिठाई तथा अन्य सामान रखे थे। बीरबल ने हैरान होकर उससे पूछा, “तुम ये थाली कहां ले जा रहे हो?”
वह आदमी बोला, “मेरी पत्नी मुझे छोड़कर किसी दूसरे व्यक्ति के साथ रहने लगी थी। उसके घर बेटा हुआ है। इसलिए मैं ये सब ले जा रहा हूं।” बीरबल ने सोचा कि उन्हें पहला मूर्ख मिल गया है।
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उन्होंने उस आदमी से कहा कि वह अगले दिन दरबार में महाराज के सामने हाजिर हो । मूर्ख आदमी ने तत्काल हामी भर दी। तत्पश्चात बीरबल दूसरे मूर्ख की तलाश में आगे बढ़े। इस बार वे खेतों की ओर पहुंच गए।
उन्होंने देखा कि एक आदमी भैंस की सवारी करने की कोशिश कर रहा है। उसके सिर पर घास का एक बड़ा गट्ठर रखा था। वे उसके पास गए और कहा, “तुम इस तरह भैंस की सवारी करने की कोशिश क्यों कर रहे हो? घास का गट्ठर इसकी पीठ पर क्यों नहीं रख देते?”
उस आदमी ने कहा, “श्रीमान् ! मेरी भैंस मां बनने वाली है। अगर मैं इसकी पीठ पर गट्ठर लाद दूं, तो यह बहुत बुरी बात होगी। अतः मैंने घास का गट्ठर अपने सिर पर रख लिया है, ताकि इस पर ज्यादा भार न पड़े।”
उस आदमी का जवाब सुनकर बीरबल ने निर्णय कर लिया कि यह दूसरा मूर्ख है। उन्होंने उसे भी अगले दिन बादशाह अकबर के दरबार में हाजिर होने का आदेश दिया। वह मूर्ख आदमी हामी भरकर चला गया।
अगले दिन बीरबल दरबार में उन दोनों मूर्खों के साथ गए और उनके किस्से बादशाह को सुनाए । बादशाह दिल खोलकर हंसे। फिर उन्होंने कहा, “बीरबल ! मैंने तुम्हें चार मूर्ख लाने को कहा था। बाकी दो मूर्ख कहां हैं?”बीरबल ने उत्तर दिया, “जहांपनाह! अगर आप बुरा न मानें, तो एक बात कहूं।
तीसरे मूर्ख आप हैं, जिन्होंने मुझे मूर्खों की तलाश करने भेजा और चौथा मूर्ख मैं हूं, जो आपके कहने से यह काम करने निकल पड़ा। जिस काम को करने की कोई वजह न हो, उसे करने वाला मूर्ख ही तो कहलाएगा।”
बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर ठहाके लगाकर हंस पड़े। उनके साथ-साथ सभी दरबारी भी हंसने लगे। तत्पश्चात बादशाह अकबर ने बीरबल को शाबाशी दी। वे मान गए कि बीरबल वाकई एक बुद्धिमान और वफादार साथी हैं।
वे बादशाह अकबर को उनकी किसी गलत बात पर टोकने से भी नहीं हिचकिचाते। दूसरी तरफ बादशाह अकबर भी ऐसे व्यक्ति थे, जो बीरबल की हंसी-मजाक का बुरा नहीं मानते थे।
Char Murkh – Akbar Birbal Stories video
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