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व्यापारी की उलझन | अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Story in Hindi | vyapari ki uljhan akbar birbal ki kahani
1 दिन दोपहर में बीरबल, बादशाह अकबर से बोले, “ जहांपना मुझे तो लगता है कि जल्दी मुझसे सबसे अधिक अकलमंद हो चतुर व्यक्ति की उपाधि चलने वाली है।”
बादशाह अकबर ने कहा,” बीरबल भला ऐसा कौन है, जो तुम्हारा मुकाबला कर सकता है?”
“ जहांपना जिस तरह दिनों दिन आपके प्रश्न कठिन होते जा रहे हैं, उसे देखकर तो यही लगता है कि कुछ समय बाद आप ही सबसे चतुर और अकलमंद व्यक्ति कहलाएंगे।” बीरबल ने कहा।
“हा-हा-हा बीरबल, मैं यह सपना तो उसी दिन से देख रहा हूं, जब से मेरी मुलाकात तुमसे हुई है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह सपना कभी पूरा हो सकेगा।” बादशाह अकबर ने हंसते हुए कहा।
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यह सुनकर बीरबल और बाकी दरबारी भी हंसने लगे। तभी एक पहरेदार ने बादशाह को बताया कि नगर का एक बड़ा व्यापारी अपने दो पुत्रों के साथ उनसे भेंट करना चाहता है बादशाह अकबर ने उन्हें दरबार में बुलाने को कहा। व्यापारी अपने दोनों बेटों के साथ दरबार में आ गया।
बादशाह अकबर ने व्यापारी से पूछा, “ तुम यहां क्यों आए हो? क्या तुम्हारी कोई समस्या है?” व्यापारी परेशान दिखाई दे रहा था। उसने कहा, “ जहांपना, मैं एक व्यापारी हूँ। यह दोनों मेरे बेटे हैं। इनके नाम अली और हसन है। अली बहुत चुस्त और जिम्मेदार लड़का है। यह जो भी काम करता है पूरी लगन से करता है।
लेकिन हसन अपने बड़े भाई से ठीक उल्टे स्वभाव का है। इसे खेलने के सिवा दूसरा कोई काम अच्छा नहीं लगता। यह किसी भी जिम्मेदारी को पूरा नहीं करता। मुझे व्यापार करने के लिए प्राय एक नगर से दूसरे नगर जाना पड़ता है। दुविधा इस बात की है कि इनमें से दुकान का भार किसे दिया जाए और गोदाम की देखरेख का भार किसे सौंपा जाए?”
अकबर ने व्यापारी की सारी बातें गौर से सुनी और उसकी उलझन का हल निकालना चाहा, लेकिन वह कोई भी उपाय नहीं सोच सके। उन्होंने बीरबल को बुला कर कहा, “ बीरबल यह स्थिति देखने में बहुत सरल है, परंतु उलझी हुई है। इस बारे में तुम क्या राय दोगे?”
बीरबल ने उस व्यापारी की सारी बातें ध्यान से सुनी थी। उन्होंने कहा, “ जहांपना आप चिंता ना करें। मैं अभी इसे हल कर देता हूं।”
फिर वह व्यापारी के पास जाकर बोले, “ मेरे दोस्त, तुम दुकान का भार हसन पर और गोदान का भार अली पर छोड़ देना चाहिए।”
व्यापारी बोला, “ बीरबल जी आप कैसी बातें कर रहे हैं। अगर मैंने दुकान का भार हसन पर छोड़ा, तो यह मेरा सारा व्यापार ही खत्म कर देगा। मैं इसे दुकान का भार कैसे दे सकता हूं?” इससे अच्छा तो यह है कि मैं अपना सारा व्यापार अली को ही सौंप दूं।”
बीरबल बोले, “ नहीं, इस तरह तो दोनों भाइयों के बीच आपसी संबंध खराब हो जाएंगे। किसी भी व्यवसाय के लिए गोदाम बहुत मायने रखता है। अगर केवल उसी का ध्यान रखा जाए, तो दुकान की पूरी देखरेख ना होने पर भी व्यापार सुरक्षित रहेगा। लेकिन अगर गोदाम सुरक्षित हाथों में ना रहा, तो तुम्हारा सारा व्यापार खत्म होते देर नहीं लगेगी। इसलिए दुकान का भार हसन पर और गोदाम का अली को, यही हर हाल में बेहतर होगा।”
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