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तीन शाही सलाहकार | अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Story in Hindi | teen sahi salahkar akbar birbal ki kahani
1 दिन बादशाह अकबर अपने दरबार में मंत्रियों तथा दरबारियों के साथ किसी गंभीर विषय पर चर्चा कर रहे थे। तभी दरबान ने आकर कहां, “जहांपना बाहर तीन व्यक्ति आए हैं वेआपसे मिलना चाहते हैं। उन्हें अंदर भेज दूं?”
बादशाह अकबर ने दरबान से पूछा, “ वे लोग कौन है? क्या उनके बीच कोई झगड़ा हो गया है क्या वे किसी परेशानी में है?उनसे पूछ कर बताओ कि वे हमसे क्यों मिलना चाहते हैं? हम अभी दरबार की कार्यवाही में बहुत व्यस्त है।”
दरबान बोला, “ नहीं जहांपना इनमें से कोई बात नहीं है दरअसल वे आपके शाही सलाहकार करना चाहते हैं।” दरबान की बात सुनकर अकबर चकित रह गए। उन्हें अच्छी तरह मालूम था कि किसी व्यक्ति की अकलमंदी और चतुराई की परख कैसे की जानी चाहिए। उन्होंने दरबान से कहा शाही सलाहकार बनने की इच्छा रखने वाले तीनों व्यक्तियों को दरबार में पेश किया जाए।
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तीनों व्यक्तियों ने दरबार में आकर बादशाहा को सलाम किया। उनमें से एक ने कहा, “ जहांपना आपने हमें दरबार में आने की अनुमति दी, आपकी बड़ी मेहरबानी है। हम आपके शाही सलाहकार बनने की इच्छा से यहां आए हैं।”
बादशाह अकबर को यह एहसास हुआ कि तीनों व्यक्ति अपनी बुद्धिमता के घमंड में चूर है। उन्होंने निर्णय किया कि वे उन्हें सबक सिखाएंगे। जय बोले, “ आप लोग शाही सलाहकार बनने के लिए यहां आए हैं, परंतु केवल आपके चहाने से ऐसा नहीं होगा। मैं आप तीनों को एक चुनौती दूंगा और उसे आप तीनों को पूरा करके दिखाना है। अब आप लोग एक रेशमी कपड़ा ले और उससे मुझे पूरी तरह ढक दें। याद रखें की कपड़ा मुझे पूरी तरह ढक ले।” फिर अकबर ने उन्हें एक रेशमी कपड़ा दिलवाया।
पहले व्यक्ति ने जब बादशाह अकबर को ढकना चाहा तो उसे लगा कि वह कपड़ा तो छोटा है। उसने कपड़े को फैलाना चाहा परंतु यह संभव नहीं हुआ। तभी दूसरा व्यक्ति आगे आया।
उसने भी अपनी ओर से हर तरह से प्रयास किया परंतु वह भी सफल नहीं हो सका। फिर तीसरे व्यक्ति की तिकड़म भी किसी काम नहीं आई। वे तीनों व्यक्ति इतना आसान सा काम भी नहीं कर सके। फिर अकबर ने बीरबल को बुलाया और कहा, “ बीरबल यह तीनों शाही सलाहकार बनना चाहते हैं परंतु इनसे छोटा सा काम नहीं हो पाया इस कपड़े से मुझे ढक सके। अब तुम्हें इन्हें बताना है कि यह काम कैसे किया जा सकता है?”
बीरबल ने बादशाह अकबर को सिहासन पर बिठाया और बोले, “जहांपनाह जब हम सभी बैठे हुए हैं, तो आपको खड़े नहीं रहना चाहिए। आप यहां बैठ जाए।” जब बादशाह अकबर बैठ गए, तो बीरबल ने उसी कपड़े से उन्हें पूरी तरह ढक दिया। अब उन्हें सपने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी।
इसके पश्चात बादशाह अकबर ने मुस्कुराते हुए उन तीनों व्यक्तियों से कहा, “ ऐसी बुद्धि पाना आसान नहीं होता। यह सब इतना सरल नहीं है, जितना देखने में लगता है। आप आप लोग समझ गए होंगे कि बीरबल आज इस स्थान पर क्यों है और आप लोग क्यों नहीं है?”
वे तीनों व्यक्ति अपना सा मुंह लेकर दरबार से लौट गए और अकबर ने बीरबल को बहुत से उपहारों के साथ विदा किया।
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