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Akbar Birbal Story in Hindi | uljhan sulajh gai akbar birbal ki kahani
1 दिन सुबह का समय था और बादशाह अकबर के दरबार में कार्यवाही शुरू होने वाली थी। तभी एक तेल व्यापारी ने आकर बादशाह अकबर को सलाम किया और बोला, “ जहांपना मुझे आपकी मदद चाहिए। एक गांव वाला मेरा धन चुराने की कोशिश कर रहा है।”
बादशाह अकबर बोले, “ उस गांव वाले को मेरे सामने पेश करो मैं दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद ही कोई फैसला करूंगा।”
अगली सुबह तेल व्यापारी उस गांव वाले को अपने साथ लेकर दरबार में आया और बोला, “ जहांपनाह यही आदमी मेरा धन चुराने की कोशिश कर रहा है।” गांव वाला बोला, “ जहांपना, यह तेल व्यापारी झूठ बोल रहा है। वह पैसा तो मेरा ही है।”
तेल व्यापारी बोला, “ नहीं, जहांपना, यह झूठ बोल रहा है। 1 दिन इसने मुझसे तेल खरीदा। पहले इसने मुझे पैसे दिए और अब उन्हीं पैसों को चुराना चाहता है।”
गांव वाले ने कहा, “ जहांपना, मैं तो कभी इसकी दुकान पर गया ही नहीं। मैं इसके पहले से पैसे कैसे चुरा सकता हूं।” वे दोनों इसी तरह दरबार में बहुत देर तक बहस करते रहे। ऐसे में बीरबल ने चिल्लाकर उन दोनों को चुप कराया। अकबर और बीरबल उनकी सारी बातें सुनने के बाद किसी नतीजे पर पहुंचने की कोशिश कर रहे थे। अंततः बीरबल बोले, “ तुम धन से भरी थैली मुझे दे दो।” फिर उन्होंने एक नौकर को पानी से भरा कटोरा लाने के लिए कहा।
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जब दोनों चीजें आ गई तो बीरबल ने थैली के सिक्कों को पानी में डाल दिया। सिक्कों पर लगा तेल पानी में दिखाई देने लगा। बीरबल बोले, “ तेल व्यापारी इस धन का स्वामी है। इस गांव वाले ने कहा है कि यह कभी तेल व्यापारी के पास गया ही नहीं, इसलिए यह पैसा तेल व्यापारी का है।
यह गांव वाला सफेद झूठ बोल रहा है।” सभी दरबारियों और मंत्रियों ने बीरबल के न्याय की प्रशंसा की। इसके बाद एक अन्य व्यक्ति ने दरबार में प्रवेश किया। वह बोला, “ जहांपना, मेरे पड़ोसी ने मेरे खिलाफ एक मुकदमा दायर किया है। उसका कहना है कि मैंने उसके घर से एक हार चुराया है। जज ने मुझे अदालत में बुलाकर कहा, “ तुम्हें लोहे की एक गर्म छड़ पकड़नी होगी।
अगर तुमने हार नहीं चुराया है तो तुम्हारा हाथ नहीं चलेगा। तब हम मान लेंगे कि तुमने हार नहीं चुराया।” जहांपनाह, इस मामले में कृपया मेरी मदद करें। मैंने कोई चोरी नहीं की है।” यह सुनकर सभी लोग दंग रह गए। जज द्वारा अपराधी का पता लगाने का यह तरीका गलत था।
बीरबल ने कहा, “ जब जब तुम्हें लोहे की गर्म छड़ पकड़ने के लिए बोले, तो उससे कहना कि वह तुम्हारे पड़ोसी की भी यही परीक्षा ले। बाकी सारी बातें वही साफ हो जाएंगी।” अगले दिन उस व्यक्ति ने जज से ऐसा ही करने के लिए कहा और जज ने उसकी बात मान ली। जब पड़ोसी को भी लोहे की गर्म छड़ पकड़ने के लिए कहा गया, तो उसने परीक्षा देने से साफ मना कर दिया और बोला, “ हो सकता है कि आर चोरी ना हुआ हो। मैं देखूंगा कि कहीं उसे रखकर भूल तो नहीं गया। मैं यह मुकदमा वापस लेता हूं।” uljhan sulajh gai
इस प्रकार बादशाह अकबर के प्रिय बीरबल ने एक अन्य व्यक्ति के साथ होने वाले अन्याय से उसे बचा लिया।
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