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बीरबल की खिचड़ी | अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Story in Hindi | Birbal ki khichdi akbar birbal ki kahani
बहुत समय पहले की बात है। सर्दियों का मौसम था। उस रात कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। अकबर और बीरबल महल के तालाब के आसपास घूम रहे थे। अचानक उनके बीच धन के विषय पर बहस होने लगी।
बीरबल ने कहा, “जहांपनाह मेरा तो यह मानना है कि पैसे के लिए इन्सान कुछ भी कर सकता है।”
बादशाह अकबर बोले, “नहीं बीरबल। इस संसार में पैसा ही सब कुछ नहीं होता।”
“क्षमा करें जहांपनाह! गरीब आदमी कई बार धन पाने के लिए किसी भी तरह का कष्ट सहने को तैयार हो जाता है। ” बीरबल बोले, परंतु बादशाह अकबर बीरबल की इस बात से बिलकुल सहमत नहीं हुए।
बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा, ‘क्या तुम सोचते हो कि पैसे के लिए कोई इन्सान सारी रात इस तालाब के ठंडे पानी में खड़ा रह सकता है?”
बीरबल ने कहा, “बेशक! मैं आपको ऐसा इन्सान खोजकर दिखा सकता हूं।” बादशाह अकबर बोले, “अगर कोई व्यक्ति इस ठंडे पानी के बीच पूरी रात बिता दे, तो मैं उसे सोने की एक हजार मोहरें इनाम में दूंगा। “फिर अगले दिन बीरबल एक दुबले पतले और गरीब आदमी को लेकर दरबार में आए, जो चुनौती लेना चाहता था।
बादशाह अकबर ने कहा, “बहुत अच्छे बीरबल! अगर यह आदमी सारी रात तालाब के ठंडे पानी में खड़ा रहने में कामयाब रहा, तो मैं इसे सोने की एक हजार मोहरें इनाम में अवश्य दूंगा।
जैसा की अकबर ने कहा था चुनौती के अनुसार वह व्यक्ति सारी रात उस ठंडे पानी के तालाब में खड़ा रहा।
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अगली सुबह वह आदमी दरबार में आया और अपना इनाम मांगा। अकबर ने हैरान होकर पूछा, “तुम्हें सर्दी नहीं लगी? आखिर तुम सारी रात उस ठंडे पानी में कैसे खड़े रहे।”
वह आदमी बोला, “जहांपनाह! काफी दूरी पर महल में एक दीपक जल रहा था। मैं उसे देखता रहा और उसकी गरमी से मुझे यह चुनौती पूरी करने में मदद मिली। “
यह सुनकर बादशाह अकबर को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने उस आदमी को इनाम देने से साफ इनकार कर दिया। वे बोले, “तुम्हें तो दीपक से गरमी मिलती रही, अतः यह इनाम नहीं मिलेगा । “
उस आदमी ने सारी बात बीरबल को बताई। बीरबल उस आदमी को न्याय दिलाना चाहते थे। वे अगले दिन दरबार में नहीं गए। अकबर ने अपने एक दरबारी को भेजा कि वह बीरबल को बुलाकर लाए।
दरबारी ने अकबर से आकर कहा, “बीरबल खिचड़ी पका रहे हैं। जब खिचड़ी तैयार हो जाएगी, तो वे उसे खाकर दरबार में आएंगे।” लेकिन शाम हो गई और बीरबल दरबार में नहीं आए।
जब बादशाह अकबर से नहीं रहा गया, तो वे बीरबल से मिलने के लिए उनके घर चले गए। बादशाह अकबर ने वहां जाकर देखा कि खिचड़ी पकाने का बरतन कम-से-कम दस फुट की ऊंचाई पर टंगा है और जमीन पर आग जल रही है। यह देखकर बादशाह अकबर चकरा गए।
अकबर ने बीरबल से कहा ” उस बरतन को पूरी आंच नहीं मिल रही है। तुम चाहे जितने दिन लगा दो, तुम्हारी खिचड़ी नहीं पक सकती।”
बीरबल बोले, “जहांपनाह! जब बहुत दूरी पर जलते दीपक की लौ से किसी को गरमी मिल सकती है तो इस दस फुट की ऊंचाई से इस बरतन को भी आंच मिल सकती है।
बादशाह अकबर समझ गए कि बीरबल उनसे क्या कहना चाहते हैं। अगले ही दिन उन्होंने उस आदमी को बुलवाया और उसका इनाम देकर उसे विदा किया। इस प्रकार बीरबल ने अपनी बुद्धिमत्ता और सूझबूझ से उस आदमी को उसका पुरस्कार दिलवा दिया।
बीरबल की खिचड़ी | अकबर बीरबल | बच्चों के लिए एनिमेटेड कहानियां हिंदी में video
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