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अकबर और बीरबल की ईरान यात्रा भाग 2 | अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Story in Hindi | akbar aur birbal ki iran yatra part 2 akbar birbal ki kahani
ईरान के बादशाह ने बीरबल को अपनी तरफ में अव्वल पाया और वे भी उनकी प्रशंसा करने लगे। उन्होंने बादशाह अकबर से कहा,“ मेरे मित्र मैं आपके प्रिय मंत्री बीरबल की चतुराई और अकल मंदी से बड़ा प्रभावित हूं। वह बहुत ऊंचे पद के दावेदार हैं।” बादशाह अकबर बीरबल की तारीफ करते हुए बोले, “ बेशक बीरबल के कारण मुझे सभी मामलों की बहुत अधिक चिंता नहीं करनी पड़ती, क्योंकि वह हर मामले को बहुत कुशलता पर संभाल लेते हैं।”
ईरान के बादशाह के एक दरबारी को बीरबल से बहुत जलन होने लगी कि बीरबल उनके बादशाह के भी प्रिय बन गए हैं। उसने सोचा कि क्यों न बीरबल के सामने एक चुनौती रखी जाए और उन्हें ईरान के बादशाह एवं अपने बादशाह अकबर के आगे नीचा दिखाया जाए। ऐसी स्थिति में उनका मान सम्मान धूमिल हो जाएगा।
फिर ईरान के दरबारी ने बीरबल को तेज स्वर में पुकारा,ताकि सारे दरबारी सुन सके। फिर वह बोला, “ बीरबल जी, आपको अपनी बुद्धिमता पर बहुत घमंड है। मैं चाहता हूं कि आप मेरी दी गई चुनौती को कबूल करें और उसे पूरा करके दिखाएं।”
बीरबल ने कहा, “ जी, आप अपनी चुनौती बताएं।”
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दरबारी बोला, “ आप सो आसान प्रश्नों के उत्तर देना चाहेंगे या एक कठिन प्रश्न का उत्तर देना चाहेंगे?” बीरबल ने पूरे आत्मविश्वास से कहा, “ आप मुझ पर एक कठिन प्रश्न पूछें।” दरबारी ने कहा, “ यह बताइए दुनिया में पहले मुर्गी का बच्चा आया या अंडा?”
बीरबल तुरंत बोले, “ दुनिया में पहले मुर्गी का बच्चा आया।” ईरान का दरबारी बोला, “ बीरबल राजा आपको अपनी यह बात साबित करनी होगी। आप कैसे कह सकते हैं कि दुनिया में पहले मुर्गी का बच्चा आया?”
बीरबल बोले, “ मेरे दोस्त, शायद आप भूल रहे हैं कि मुझे केवल एक ही कठिन प्रश्न का उत्तर देना था और अगर आप दूसरी बात पूछते हैं, तो वह दूसरा सवाल हो जाएगा। मैंने केवल एक ही प्रश्न का उत्तर देने की हामी भरी थी।”
ईरान का दरबारी अपना सा मुंह लेकर रह गया। उसे कोई जवाब नहीं सूझा। ईरान के बादशाह ने हंसते हुए बीरबल की पीठ थपथपाई और उन्हें सोने की मोहरे इनाम में दी ।
इसके बाद बादशाह अकबर और बीरबल ने ईरान के बादशाह से विदा ली। विदाई के समय ईरान के बादशाह ने बीरबल से पूछा, “ अब वापस जा रहे हैं। मैं आपसे पूछना चाहूंगा कि आप अपने बादशाहा और मेरी तुलना किस प्रकार करेंगे?” बीरबल बोले, “ जहांपना, आप चंद्रमा के समान हैं, परंतु हमारे बादशाह चौथ के चांद की तरह है।”
बीरबल का जवाब सुनकर ईरान के बादशाह को बहुत अच्छा लगा, जबकि बादशाह अकबर मन ही मन बहुत नाराज हुए, उन्होंने रास्ते में कहां, “ बीरबल, मैं हमेशा यह सोचता था कि तुम मेरे वफादार हो, परंतु मेरी सोच गलत निकली। तुमने ईरान के बादशाह को वह जवाब देकर मेरा अपमान किया है तुम्हें वे मुझसे कहीं ज्यादा बेहतर और अच्छे लगे।”
बीरबल गंभीर स्वर में बोले, “ जहांपना मेरी बात में छिपा अर्थ आपकी समझ में नहीं आया। मैं आपको समझाता हूं पूर्ण चंद्र तो हर बिन के साथ घटता चला जाता है परंतु चौथ का चांद दिनों दिन बढ़ता रहता है। जहांपना आपका सितारा लगातार बुलंद होगा। आप उनसे हर मायने में बेहतर है।” अपने प्रिय मंत्री बीरबल के मुख से उसकी कहीं बात का अर्थ जानकर बादशाह अकबर बहुत खुश हुए।
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