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बीरबल का घोड़ा | अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Story in Hindi | birbal ka ghoda akbar birbal ki kahani
बीरबल हमेशा दरबार में सभी मंत्रियों और दरबारियों से पहले आते थे, लेकिन एक बार उनको आने मे देरी हो गई, तब बादशाह अकबर ने अपने एक नौकर को यह देखने के लिए भेजा कि बीरबल दरबार में क्यों नहीं आए।
बादशाह अकबर ने अपने नौकर को इतनी जल्दी वापस आता देखकर हैरानी से पूछा, “क्या हुआ? तुम इतनी जल्दी कैसे आ गए? क्या बीरबल आज दरबार में नहीं आएंगे?”
नौकर बोला, “जहांपनाह! मैं तो बीरबल जी को उनके घर देखने जा रहा था, लेकिन वे रास्ते में पैदल आते हुए दिख गए, इसलिए मैं वापस लौट आया।
जब बीरबल दरबार में पहुंचे, तो बादशाह अकबर ने पूछा, “बीरबल ! मुझे पता चला है कि तुम आज अपने घर से पैदल आए हो और देर से दरबार में पहुंचे हो। तुम्हारे घोड़ों में को क्या हुआ?”
बीरबल ने जवाब दिया, “जहांपनाह! मेरी पत्नी और अन्य संबंधी घोड़ों द्वारा दूसरे नगर की यात्रा पर गए हैं। यही कारण है कि मुझे पैदल आना पड़ा। जहांपनाह! देर से आने के लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं।”
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बादशाह अकबर ने तत्काल अस्तबल के मुखिया को बुलवाया और बीरबल के लिए, अच्छा घोड़ा लाने का आदेश दिया।
अस्तबल का मुखिया बीरबल से बहुत जलता था। उसने बादशाह अकबर की बात सुनकर अनसुनी कर दी और बीरबल को जान-बूझकर एक कमजोर एवं बूढ़ा घोड़ा दे दिया।
वह घोड़ा पिछले कई दिनों से बीमार था। अस्तबल के मुखिया को यह देखकर बहुत खुशी हुई कि बीरबल ने बिना कुछ कहे वह घोड़ा ले लिया। आज उसे अपनी जलन मिटाने का अच्छा मौका मिल गया था।
बदकिस्मती से उसी रात घोड़ा मर गया। अगले दिन अकबर ने बीरबल को पुनः पैदल आते देखा। जब अकबर ने बीरबल से उनके नए घोड़े के बारे में पूछा, तो वे बोले, “महाराज! मुझे जो घोड़ा दिया गया था, वह बहुत मजबूत और फुर्तीला था। वह इतना तेज निकला कि कल रात भागते-भागते सीधे स्वर्ग चला गया । “
बादशाह अकबर समझ गए कि अस्तबल के मुखिया ने जान-बूझ कर बीरबल को मरियल और बीमार घोड़ा दिया था। उन्होंने उसे दरबार में बुलाया। बादशाह अकबर बहुत गुस्से में थे। उन्होंने अस्तबल के मुखिया को सौ कोड़ों की सजा सुनाई। ऐसे में वह उनके पैरों में गिरकर माफी मांगने लगा, लेकिन बादशाह ने अपना फैसला नहीं बदला।
बादशाह बोले, “तुमने ऐसा करने का साहस कैसे किया। मेरे आदेश के अनुसार तुम्हें बीरबल को सबसे अच्छा घोड़ा देना चाहिए था, लेकिन तुमने धोखा किया । तुम्हें सौ कोड़ों की सजा भुगतनी ही पड़ेगी। “
तभी बीरबल बीच में आ गए। उन्होंने बादशाह से विनती की कि वे अस्तबल के मुखिया को माफ कर दें। अकबर ने बीरबल की बात मान ली। अगले दिन अस्तबल के मुखिया ने बीरबल को एक सुंदर और ताकतवर घोड़ा लाकर दिया। उसे अपनी भूल का एहसास हो गया था।
हरा घोड़ा (चतुर बीरबल) | Hara Ghoda | Hindi | Bedtime Moral Stories for Kids | Stories for kids video
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