आज के इस आर्टिकल में हम भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर के बारे में निबंध प्रस्तुत करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।
भूमिका – मोर की खूबसूरती की वजह से ही इसे पक्षियों का राजा कहा जाता है। मोर को राजा की उपाधि सिर्फ इसके बड़े आकार और खूबसूरती की वजह से ही नहीं दी जाती। दरअसल, मोर दूसरे पक्षियों की तुलना में काफी भिन्न होता है। अन्य पक्षियों को जहां बारिश में भीगना पसंद नहीं होता, वही मोर वर्षा ऋतु के दौरान अपना खूबसूरत नृत्य पेश करता है। हम लोगों की तरह प्रकृति भी मोर को पक्षियों का राजा मानती हैं और यही वजह है कि उसने इसके सिर पर ताज जैसी कलगी दी है।
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मोर का परिचय
मोर भारत समेत पूरे विश्व भर में पाया जाता है। यह एक शर्मीला पक्षी माना जाता है। कहा जाता है कि मोर बहुविवाहित होते हैं और ये एक साथ छह मोरनियों के साथ समूह बनाकर निवास करते हैं। ये बतौर खाद्य पदार्थ सांप और छिपकली तक खा जाते हैं। यही वजह है कि जब मोर के पंख को घर पर लगाया जाता है तो किसी भी तरह की कीड़े-मकोड़े, छिपकली घर पर नहीं आते।
मोर की शारीरिक संरचना
यदि बात करें मोर की शारीरिक संरचना की तो देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पाए जाने वाले मोर एक दूसरे से काफी अलग होते हैं। भारत में पाए जाने वाले मोर का रंग इंद्रधनुषी नीला होता है। वहीं उसके पंख हरे रंग के होते हैं। मादा मोर, नर मोर की तुलना में छोटी और कम वजन की होती हैं।
मोर की ऊंचाई 506 फीट तक होती है। इनकी आंखों के करीब सामान डिजाइन बने होते हैं। ये डिजाइन लाल, सुनहरे और नीले रंगों के बने होते हैं। मोर के पंख भी अन्य पक्षियों के मुकाबले लंबे होते हैं। लेकिन इतने लंबे होने के बावजूद भी ये ज्यादा दूरी तक उड़ नहीं पाते।
मोर अन्य पक्षियों की तरह पेड़ों पर घोंसला नहीं बनाते बल्कि ये जमीन पर अपना घोंसला बनाते हैं। एक बार में मोर 3 से 12 अंडे दे सकते हैं। अंडों को सीने से लेकर बच्चों की परवरिश तक का काम मोरनी द्वारा किया जाता है। मोर के अंडों से बच्चे निकलने में 25 से 30 दिन का समय लगता है। जब मोर का बच्चा 1 साल का हो जाता है, तो उसकी पूछ लंबे होने लगती है। मोर का जीवन काल 20 वर्ष होता है।
वर्षा ऋतु के दौरान जब मोर नाचता है, तब उसके कई पंख टूट भी जाते हैं। अगस्त महीने में सबसे ज्यादा मोर के पंख झड़ते हैं। हालांकि गर्मियों के आने तक मोर के सभी पंख वापस आ जाते हैं।
मोर सर्वाहारी होते हैं, वे फूल-पौधे, कीड़े, सरीसृप खाना पसंद करते हैं। अधिकतर मोर चींटियां, दीमक जैसे कीड़ों को खाना पसंद करते हैं, जबकि भारतीय मोर छोटे सांपों को भी खाते हैं। मोर की आवाज भी काफी तेज होती है। इसे आप लंबी दूरी तक सुन सकते हैं। मोर की इतनी खूबियां की वजह से ही यह भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। इतना ही नहीं म्यांमार में भी मोर को राष्ट्रीय पक्षी बनाया गया है।
मोर और भारतीय संस्कृति
भारत की संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं के मद्देनजर मोर एक बेहद महत्वपूर्ण पक्षी है। मोर का वर्णन आपको पौराणिक कथाओं से लेकर पंचतंत्र की कहानियों पर भी मिलेगा। अनेक धार्मिक कथाओं में भी मोर को विशेष स्थान प्राप्त है।
मोर का धार्मिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण के मुकुट में मोर का पंख लगा होता है। दरअसल, पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्री कृष्णा एक बार बांसुरी बजा रहे थे, तभी वहां मौजूद सभी मोर आपस में नाचने लगे। इससे खुश होकर मोर के राजा ने श्रीकृष्ण को धन्यवाद दिया और उनसे अपील की कि वे सदैव उनका पंख अपने सिर पर पहने रखें। तभी से लेकर श्री कृष्ण की हर कृति में मोर का पंख नजर आता हैं।
इसके साथ ही मोर युद्ध के देवता कार्तिकेय का वाहन भी माना जाता है। सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं है बल्कि इस्लाम धर्म में भी मोर को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस्लाम में मोर के पंख को कुरान में रखा जाता है।
ईसाई धर्म में भी मोर को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस धर्म में मोर पुनरुत्थान का प्रतीक समझा जाता है। और तो और भारत के शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम को भी मोर के तर्ज पर ही किया जाता है।
मोर का धार्मिक महत्व होने के साथ ही इसके कई ऐतिहासिक महत्व भी हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो, मोर प्राचीन समय के कई राजा-महाराजाओं का सबसे प्रिय पक्षी रहा है। उदाहरण के तौर पर सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल के दौरान जो सिक्के चलते थे, उन पर मोर का चित्र बना होता था। मुगल बादशाह शाहजहां जिस राजगद्दी पर बैठा करते थे, उसकी संरचना भी मोर जैसी थी। इस राजगद्दी में हीरे जड़े थे। इसका नाम ‘तख्त ए ताऊस’ था। दरअसल, अरबी भाषा में ताऊस का अर्थ मोर होता है।
मोर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से कई लोग मोर के पंखों को अपने घर में रखते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि मोर का पंख घर में रखने से कीड़े, मकोड़े दूर रहते हैं।
भारत का राष्ट्रीय पक्षी
मोर की खूबसूरती, इसके आकार, ऐतिहासिक तथा धार्मिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए साल 1963 में इसे राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया गया। भारत के साथ ही श्रीलंका और म्यांमार में मोर भारी मात्रा में पाए जाते हैं। सबसे खास बात ये है कि मोर भारत के साथ-साथ दो अन्य देशों का भी राष्ट्रीय पक्षी है।
मोर का संरक्षण
भारत सरकार ने मोर को सुरक्षित रखने के लिए कई संरक्षण कार्यक्रम चलाएं हैं। मोर को भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत सुरक्षा दी गई है।
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मोर पर निबंध कैसे लिखें?
मोर पर निबंध – मोर की पंखों में छोटी छोटी पंखुडियां होती हैं। पंख के अंतिम छोर पर चाँद जैसी बैंगनी रंग की आकृतियां होती है, जो दिखने में बहुत ही सुन्दर होती हैं। इनके पंख अन्दर से खोखले होते हैं। बारिश होने पर मोर बहुत ही खुश होते हैं और ये अपनी ख़ुशी पंख फैलाकर और नाचकर व्यक्त करते हैं।
मोर को राष्ट्रीय पक्षी क्यों बनाया?
मोर को राष्ट्रीय पक्षी इसलिए कहा जाता है क्योंकि पक्षियों का राजा होने के कारण ही प्रकृति ने इसके सिर पर ताज जैसी कलंगी लगायी है। मोर के अद्भुत सौंदर्य के कारण ही भारत सरकार ने 26 जनवरी,1963 को इसे राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। हमारे पड़ोसी देश म्यांमार का राष्ट्रीय पक्षी भी मोर ही है।
मोर राष्ट्रीय पक्षी कब बना?
मोर को उसके अद्भुत सौंदर्य के कारण भारत सरकार ने 26 जनवरी 1963 को इसे राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया।
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निष्कर्ष – भारत में तो बारिश आने का संकेत मोर को ही माना जाता है। मोर, बारिश के दिनों में नाचना पसंद करते हैं और नाचने के दौरान वे तेज आवाज निकालते हैं। सुबह-सुबह एक दूसरे से संपर्क साधने के लिए भी मोर अपनी तीखी आवाज की मदद लेते हैं। हालांकि कई बार जब मोर खतरे में होता है, तब वह जंगलों में अपनी आवाज के जरिए अन्य मोर को ढूंढ लेता है।
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reference
Paragraph on Peacock in Hindi, wikipedia