प्रस्तावना | Essay on Lord Ganesha in Hindi | भगवान गणेश पर निबंध
भगवान गणेश विध्नहर्ता और विद्या दाता के रूप में जाना जाता है । भगवान गणेश को प्रथम पूज्य होने का गौरव प्राप्त है । हम लोग किसी भी कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करते है । यदि तत्काल विधिवत पूजा नहीं कर पाते तो भी उनके नाम का स्मरण जरूर करते हैं । भगवान गणेश विशेष रूप से बच्चों को अति प्रिय होते हैं।
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भगवान गणेश की जन्म की कथा –
भगवान गणेश के जन्म के संबंध कथा प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार माता पार्वती स्नान करने के पूर्व अपने उबटन से एक पुतला तैयार कर उसमें प्राण संचार कर दिया जिससे एक हृष्ट-पुष्ट किशोर बालक प्रकट हुआ । माता पार्वती ने उसे एक मुदगर (दण्ड) और खाने को लड्डू देकर आदेश दिया कि मेरे स्नान करते समय किसी को अंदर मत आने देना।
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वह बालक अपनी माता के आदेश के अनुपालन में द्वारपाल के रूप पहरा देने लगा । इस बीच अनेक देवता परीक्षा लेने की इच्छा से उस बालक के सामने जाकर अंदर जाने की कुचेष्टा करने लगे । इस पर वह बालक उन सभी देवताओं को अपने मुदगर से रोकने में सफल रहा।
इसी बीच भगवान भोलेनाथ अपने घर के अंदर जाने को उद्धृत हुआ, जिसका उस बालक ने प्रतिरोध किया इस पर भगवान भोलेनाथ उस बालक कई बार समझाने का प्रयास किया कि वे इस घर के गृहस्वामी है किंतु बालक नहीं माना तब भोलेनाथ ने उस पर अपने त्रिशूल का वार कर दिया जिससे उसका सिर धड़ से अलग हो गया ।
इस घटना का ज्ञान जैसे ही माता पार्वती को हुआ वह अत्यंत क्रुद्ध हो गई और अपने बालक को जीवित करने के लिए कहने लगी । उसके कहने पर भगवान भोलेनाथ ने उनके धड़ पर एक हाथी के सिर को जोड़ कर उस बालक को जीवित कर दिया । इस प्रकार माता पार्वती द्वारा शरीर का धड़ और पिता भोलेनाथ द्वारा सिर दिए जाने से माता पार्वती और पिता भोलेनाथ के संतान के रूप में जाना गया ।
भाद्र शुक्ल चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है । यह जन्मोत्सव पूरे 11 दिन तक चलता है । इस अवसर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करके पूरे 11 दिन तक विधि-विधान से पूजा-अर्चना किया जाता है ।

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प्रथम पूज्य गणेश-
एक बार गणेश और उनके बड़े भाई कार्तिकेय एक प्रतिस्पर्धा हुआ कौन पूरे ब्राहमण्ड का पहले चक्कर लगाएगा । जिसके निर्णायक उनके माता-पिता थे । कार्तिकेय अपने वाहन से ब्राहमण्ड का चक्कर लगाना शुरू कर दिया किंतु गणेश जी वहीं बैठे रह गए । कुछ विचार करने के बाद उसने अपने माता-पिता को एक साथ बिठा कर उन्हीं की परिक्रमा शुरु कर दी ।
कार्तिकेय ब्राहमण्ड का चक्कर लगा कर आया तो देखा कि गणेश जी उनके पहले पहुॅच गए हैं । गणेश जी पूछा गया उनका परिक्रमा पूरा कैसा हुआ तो उन्होंने बतयालाया कि माता धरती का स्वरूप और पिता आकाश के स्वरूप होते हैं मैंने दोनों का एक साथ परिक्रमा करके सारे ब्राहमण्ड की परिक्रमा पूरी कर ली । इस पर भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर उनकी बुद्धिमता की प्रशंसा करते हुए प्रथम पूज्य होने का आर्शीवाद दिया ।
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महाभारत के लेखक गणेश जी का एक दंत होना
महाभारत की रचना करने के लिए वेद व्यास को एक ऐसे लेखक की आवश्यकता थी जो उसके बोलते ही उसे लिख सके इसके लिए उन्होंने गणेश जी से निवेदन किया । गणेश जी ने शर्त रखी कि जब तक आप लगातार बोलते रहेंगे मैं लिखता रहूंगा और एक बार आप रूके और मेरी कलम रूक गई तो मैं आगे नहीं लिखूँगा ।
वेद व्यास जी शर्त स्वीकार करते हुए कहा हां, ठीक है बस एक निवेदन हैं आप जो भी लिखेंगे उसे समझ कर ही लिखें । वेद व्यास बोलते गए, गणेश जी लिखते गए । लिखते-लिखते गणेश जी का कलम टूट गया तब वे अपने एक दांत को तोड़ कर उससे लिखने लगे । इस प्रकार गणेश जी एकदंत हो गए ।
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विघ्नहर्ता एवं बुद्धिदाता गणेश जी
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता एवं बुद्धि का देवता माना जाता है । विघ्नहर्ता के रूप में ही उनका प्रथम पूजन किया जाता है ताकि उस कार्य में विघ्न-बाधा न होवे । जहां विद्या की देवी सरस्वती को माना जाता है वहीं विद्या के देवता भगवान गणेश को माना जाता है । यही कारण है विद्यार्थी वर्ग गणेशजी की आराधना अधिक करते हैं ।
My Favourite God Ganesha in Hindi | मेरे प्रिय भगवान गणेश जी पर हिन्दी निबंध | StudyPrideCorner video
उपसंहार
हमारे भारतीय संस्कृति में गणेश जी प्रथम पूज्य के रूप में आदिकाल से स्थापित हैं । सभी शुभ कामों को करने से पहले गणेश जी का पूजन अवश्य किया जाता है । गणेश जी का जन्मोत्सव पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है । गणेश जी का पर्व एकमात्र ऐसा धार्मिक पर्व है, जो हमारे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को जीवंत एवं एकजुटता बनाए रखने में सहायक रहा।
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reference
Essay on Lord Ganesha in Hind