- प्रस्तावना – Essay on Gautam Buddha in Hindi | महात्मा गौतम बुद्ध पर निबंध हिन्दी में | Lord Buddha Essay in Hindi
- भगवान बुद्ध का जन्म
- भगवान बुद्ध का बाल्यकाल
- भगवान बुद्ध की दयालुता
- भगवान बुद्ध का वैवाहिक जीवन
- भगवान बुद्ध द्वारा सत्य की खोज
- Essay on Gautam Buddha In Hindi | Essay on Mahatma Buddha In Hindi | Gautam Buddha Par Nibandh video
- उपसंहार
प्रस्तावना – Essay on Gautam Buddha in Hindi | महात्मा गौतम बुद्ध पर निबंध हिन्दी में | Lord Buddha Essay in Hindi
ईश्वर के अनेक अवतार हुए हैं, इन्हीं अवतारों में भगवान राम, भगवान कृष्ण की ही भांति एक नाम और आता है वह है भगवान बुद्ध की । भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की । पूरे विश्व को ज्ञान और ध्यान का महत्व समझाया । भगवान गौतम बुद्ध को ‘लाइट ऑफ एशिया’ के नाम से पूरे विश्व में जाना जाता है । भगवान बुद्ध एक प्रखर अध्यात्मवादी थे।
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भगवान बुद्ध का जन्म
भगवान गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल की तराई के लुम्बिनी में हुआ था। इनके पिता का नाम शुद्धोधन एवं माता का नाम माया देवी था । इनके पिता कपिलवस्तु राज्य के शासक थे । इनकी माता माया देवी इनके जन्म लेते ही दुनिया छोड़ कर चली गई, जिससे उनका पालन-पोषण उनकी विमाता गौतमी देवी ने किया । भगवान बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था । इनके जन्म के समय ही राज्य ज्योतिषि इनके महान संत होने की भविष्य कर रखी थी जो भविष्य में अक्षरशः: सत्य हुआ ।

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भगवान बुद्ध का बाल्यकाल
भगवान बुद्ध बाल्यकाल से ही कुशाग्र बुद्धि के थे । कई ज्ञान उनको उनके शिक्षक के पढ़ाने से पहले पता होता था इस पर उनके शिक्षक आश्चर्यचकित रह जाते थे । बालक सिद्धार्थ एक राजकुमार थे, उनका पालन-पोषण पूरे राजकीय ठाट-बाट से होता था । उनको सभी प्रकार के ऐशो-आराम की सुविधा दी जा रही थी किन्तु उनका मन सांसारिक भोग विलास में नहीं लगता था । इस बात से उनके पिता काफी चिंतित रहा करते थे । बालक सिद्धार्थ अंतर्मुखी रहा करते थे, उन्हें अकेले में रहना और आत्म चिंतन करना बेहद पसंद था । उनके मन में एक प्रश्न घर कर गया था कि लोग मरते क्यों हैं ?
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भगवान बुद्ध की दयालुता
भगवान बुद्ध बचपन से दयालु प्रकृति के थे । एक राजकुमार होकर भी उनका मन शिकार करने में नहीं लगता था हालांकि वह अस्त्र चलाने में निपूर्ण थे । इसके विपरीत वह शिकार करने के खिलाफ रहा करते थे । वह अक्सर हमउम्र चचेरे भाई देवव्रत को शिकार करने से रोकते थे । एक बार देवव्रत द्वारा शिकार में घायल किए हंस को सेवा करने बचाया । बाल्यकाल की यही स्वभाव उन्हें भविष्य में भगवान बुद्ध बनाया ।
भगवान बुद्ध का वैवाहिक जीवन
बालक सिद्धार्थ के सांसारिक विरक्ति के स्वभाव से उनके पिता चिंतित रहा करते थे । वह उन्हें सांसारिक मोह-माया के पाश में बांधने का सतत प्रयास किया करते थे । इसी प्रयास उन्होंने सिद्धार्थ का शीघ्रता से विवाह कर दिया । उनका विवाह यशोधरा नामक राजकुमारी के साथ हुआ । पिता चाहते थे कि सिद्धार्थ जल्दी ही पारिवारिक मोह-माया में फंस जाये, ईश्वर करे उन्हें शीघ्र ही संतान की प्राप्ति हो जिससे वह संतान मोह में पड़ कर विरक्ति भाव से अलग हो ।
ईश्वरी प्रेरणा से सिद्धार्थ को शीघ्र एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई किन्तु यह क्या सिद्धार्थ पुत्र जन्म के बाद भी खुश नहीं हुए उनका मन संसारिकता के प्रति खिन्न ही रहा करते थे और इसी खिन्नता में उन्होंने एक दिन रात सोते हुए अपनी पत्नी और अपने पुत्र को छोड़ कर घर से निकल गए ।
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भगवान बुद्ध द्वारा सत्य की खोज
घर छोड़ते ही युवा सिद्धार्थ बाल्यकाल से मन में पल रहे प्रश्न- लोग दुखी क्यों होते हैं?, लोग बुढ़े क्यों होते हैं? लोगों की मृत्यु क्यों होती है? आदि के उत्तर खोजने का उद्यम करने लगा । इस प्रयास में वह एक भिखारी की तरह गांव-गांव जंगल-जंगल भटकने लगे । जंगलों में बैठकर घंटों ध्यान लगाया करते थे किन्तु उनको अपने प्रश्नों का जवाब नहीं मिला तपस्या करते हुए उन्होंने अपने शरीर को बहुत कष्ट दिया करते थे जिससे शरीर रुग्ण और कमजोर रहने लगा इसके बाद भी उन्हें अपने प्रश्नों का जवाब नहीं मिला ।
अपने प्रश्नों के उत्तर पाने अधीर हो रहे थे । एक बार गया के बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाए बैठे थे अचानक उन्हें आत्मबोध हुआ । उन्हें ऐसा लगने लगा उनके मन में पल रहे सारे प्रश्नों का उत्तर उन्हें अब मिल चुका है । इस ज्ञान प्राप्ति के बाद अब सिद्धार्थ सिद्धार्थ नहीं बल्कि अब उनका परिचय गौतम बुद्ध के रूप में होने लगा ।
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उपसंहार
बोधि वृक्ष के नीचे मिले ज्ञान को गौतम बुद्ध दुनिया को बांटने लगे । उन्होंने लोगों को सत्य और अहिंसा के पथ पर चलने के लिए प्रेरित किया । उन्होंने बताया कि लोगों दुखों का कारण उनके मन की इच्छाएं ही हैं जो तृप्त नहीं होती । वे लोगों को अपनी इच्छाओं का दमन करने की प्रेरणा देते । अपनी शिक्षाओं से वे लोगों दुख दर्द को कम किए करते इससे प्रभावित होकर लाखों लोग उनके अनुयायी हो गए जिससे बौद्ध धर्म की रचना हुई, जो आज भी अनवरत चल रहा है ।
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reference
Essay on Gautam Buddha in Hindi