- प्रस्तावना – Essay on Lord Hanuman in Hindi | श्री हनुमान पर निबंध | Hanuman Jayanti Essay in Hindi
- हनुमान जी का परिचय
- नटखट और पराक्रमी बाल हनुमान-
- रामभक्त हनुमान
- संकट मोचन हनुमान-
- बुद्धिदाता हनुमान-
- Essay on Hanuman ji in Hindi | Hanuman ji Par Nibhand | हनुमान जी पर हिन्दी निबंध | StudyPrideCorner video
- उपसंहार-
प्रस्तावना – Essay on Lord Hanuman in Hindi | श्री हनुमान पर निबंध | Hanuman Jayanti Essay in Hindi
कालगणना के चार युग की मान्यता में इस कलयुग में श्री हनुमान एक प्रमुख इष्ट देव हैं । भारत में 33 कोटि देवी-देवताओं की पूजा होती है । इन सब में श्री हनुमान जी को मानने वालों की संख्या सबसे अधिक है । किसी भी धर्म, किसी भी पंथ के इष्ट को मानने वालों की संख्या से हनुमान जी को मानने वाले सबसे अधिक हैं, यह बात हनुमान जी के महत्व को स्वयं प्रमाणित करते हैं । गांव-गांव, शहर-शहर, गली-गली में हमें हनुमान जी का मंदिर आसानी से मिल जाता है ।
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हनुमान जी का परिचय
भक्ति साहित्य हनुमान जी के गुणगान से अटा पड़ा है । बच्चा-बच्चा हनुमान जी को रामभक्त के रूप में जानते हैं । सबसे अधिक पढ़े जाने वाली धार्मिक ग्रंथ ‘रामचरितमानस’ है जिसके प्रमुख पात्र हनुमानजी ही हैं । भारत के लगभग आधी आबादी को श्री हनुमान जी का हनुमान चालीसा जरूर याद है । हनुमान जी बुद्धि और बल दोनों में समान रूप से दक्ष हैं । हनुमान जी को भक्त संकटमोचक के रूप में पूजते हैं ।
हनुमान जी का जन्म-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म त्रेता युग में चैत्र पूर्णिमा को हुआ था । इनके माता का अंजनी देवी और पिता का नाम केसरी था । हनुमान जी का जन्म पवन देव के आशीर्वाद से हुआ था इसलिए पवन नंदन के नाम भी जाना जाता है । हनुमान जी को रूद्र के ग्यारहवें अवतार के रूप में भी जाना जाता है, इसलिए इन्हें शंकर सुवन भी कहा जाता है ।
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नटखट और पराक्रमी बाल हनुमान-
हनुमान जी बचपन में नटखट किंतु पराक्रमी थे । एक बार वो सूर्य को फल समझ कर अपने मुँह में निगल लिये जिससे पूरा सृष्टि अंधकारमय हो गया । सभी देवताओं बालक को बहुत समझाया, मनाया कि सूर्य को मुक्त कर दें किन्तु वह बालक नहीं माने तब इंद्र देव अपने वज्र से उसके हनु (ढोढ़ी) पर कर दिये, इसी कारण उनका नाम हनुमान पड़ा ।
बचपन में हनुमान जी साधु संतो से भी शरारत करते थे । इसी शरारत से तंग आकर उन्हें श्राप दे दिया गया वे अपने बल को भूल जाये, और जब कोई जरूरत पड़ने पर याद दिलाये तो पुन: अपने बल को प्राप्त कर लेवे। बाद में समुद्र पार कर लंका जाने के समय जामवंत द्वारा याद दिलाये जाने पर अपने बल को पुन: प्राप्त करते हैं।
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रामभक्त हनुमान
हनुमान को जानने वाले उनका पहला परिचय रामभक्त हनुमान के रूप में ही जानते हैं । कहा जाता उनका अवतार भगवान राम की सेवा करने के लिए ही हुआ था । बाल्यावस्था में भी दोनों की भेंट होने की कथा आती है किंतु दोनों की पहली मुलाकात सीता को खोजते हुए जब राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ जा रहे थे तब ऋष्यमूक पर्वत के निकट हुई । जब वह सुग्रीव के दूत के रूप इन दोनों का ऋष्यमूक पर्वत के निकट आने का कारण जानने वेश बदल कर गए थे । इस मुलाकात के बाद हनुमान जी फिर कभी राम से अलग नहीं हुए । उनका सारा जीवन राम काज में ही लगा रहा ।
सीता की खोज करते लंका जाना, लंका दहन करना, राम लक्ष्मण को नागपाश से मुक्त कराना, राम लक्ष्मण को अहिरावण से मुक्त कराना, लक्ष्मण को शक्ति लगने रातों रात औषधि लाना, ऐसे अनेक प्रसंग है, जो हनुमान को राम काज में तत्पर दिखाता है । एक कथा के अनुसार वह हर चीज में राम को ही देखते थे, इस पर प्रति प्रश्न किए जाने पर अपने छाती को फाड़ कर दिखाया उनके अंदर श्रीराम ही रहते हैं । ऐसी थी उनकी राम के प्रति अनन्य भक्ति ।
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संकट मोचन हनुमान-
हनुमान के भक्त उन्हें संकटमोचन के रूप में पूजते हैं । भक्तों का यह आस्था और विश्वास है कि हनुमान जी के आराधना करने से, उनके नाम का स्मरण करने से उनके संकट दूर हो जाते हैं । भक्त यह तर्क रखते जिस हनुमान ने श्री राम के हर संकट को दूर किया वह हमारे संकट को भी हरेंगे ।
भूत-प्रेत बाधा, काला जादू आदि से बचने के लिए लोग हनुमान जी को ही याद करते हैं । बुरे प्रभाव से बचने के लिए लोग आस्था और विश्वास हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं ।
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बुद्धिदाता हनुमान-
हनुमान जी को ‘ज्ञानी नाम अग्रगण्यं’ कहा गया है । हनुमान जी केवल शारीरिक बल में ही शक्तिशाली नहीं थे अपितु वह बौद्धिक रूप से भी शक्तिशाली थे । इसी कारण उनके भक्त उसे बुद्धिदाता के रूप में भी पूजा करते हैं विशेष विद्यार्थी वर्ग, विद्या, बुद्धि की कामना से हनुमान जी की आराधना करते हैं ।
बाबा तुलसी दास जी हनुमान जी प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि-
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमरव पवन कुमार ।
बल बुद्धि विद्या देहू मोही हरहू कलेष विकार ।।
इस दोहे से स्पष्ट है कि हनुमान जी बल, बुद्धि और विद्या के दाता हैं ।
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उपसंहार-
हनुमान जी को माता सीता से अजर अमर होने का वरदान मिला हुआ है, इसलिए वह आज भी जीवित है किन्तु वह प्रत्यक्ष रूप में न होकर सूक्ष्म रूप में जगत में व्याप्त हैं । श्री राम जी धरती को छोड़ कर जाते समय हनुमान जी कह कर गए हैं कि कलयुग में राम महिमा का प्रचार करें और भक्तों का दुख हरें । इसी कारण सांसारिक लोग अपने हर संकटों से छुटकारा के लिए हनुमान जी के शरण में जाते हैं ।
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reference
Essay on Lord Hanuman in Hindi